माता-पिता को खोने वाले बच्चों को नवोदय विद्यालय में दी जाये मुफ़्त शिक्षा, सोनिया गांधी ने पीएम मोदी से की मांग
मैं महसूस करती हूं कि एक राष्ट्र होने के नाते हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उन बच्चों को उज्ज्वल व ठोस भविष्य की उम्मीद दें जिनके साथ यह अकल्पनीय त्रासदी घटित हुई है।
जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के चलते देशभर में हजारों बच्चे अनाथ हुए हैं। इस महामारी के दौरान कितने बच्चे अनाथ हुए इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा अब तक सामने नही आया है। बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थाओं व राज्यों की चाइल्ड हेल्पलाइन में की जाने वाली कॉल की संख्या लगातार बढ़ी है।
गैर सरकारी संस्था सेव द चिल्ड्रन के सीईओ सुदर्शन सूची ने बीबीसी को अपनी बातचीत में बताया था कि उनके पास ऐसे बहुत सारे कॉल आ रहे हैं। इनमें से कई मामले ऐसे थे जिनमें मां बाप को कोविड हो गया है और वह बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ हैं तो कई बच्चों के मां-बाप गुजर गए थे। कुछ बच्चे अकेले रह गये। उन्होंने बताया कि पिछले 15 दिनों से कॉल आने बढ़ गए हैं।
कई राज्यों ने चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग का चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 है।
बच्चों पर ध्यान न दिए जाने पर वे बाल श्रम और शोषण का हो सकते हैं शिकार
ह्यूमन राइट वाच की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की वजह से अनाथ हुए बच्चे मानव तस्करी और दूसरे तरह के शोषण जैसे यौन शोषण, जबरन भीख मँगवाने और दूसरी तरह के बाल श्रम के चलते खतरे में हैं।
सोनिया गांधी से पहले भी भारतीय अभिनेता सोनू सूद और अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने ट्वीट कर मां-बाप को खोने वाले बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देने की मांग की थी।
आज 20 मई को कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में गाँधी ने महामारी में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को नवोदय विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने का निवेदन किया है।
अपने पत्र में उन्होंने लिखा है-
महामारी की तबाही के कारण प्रभावित परिवारों ने हृदय विदारक घटनाओं का सामना किया है। छोटे बच्चों के द्वारा अपने माता-पिता या दोनों में से 1 को खो देने की खबरें सबसे ज्यादा मार्मिक हैं। यह बच्चे सब कुछ खोने के आघात को महसूस कर रहे हैं। इनके पास भविष्य में स्थिर रूप से शिक्षा पाने का कोई सहारा नहीं है।
उन्होंने राजीव गांधी द्वारा शुरू की गई नवोदय विद्यालय की योजना का हवाला देते हुए कहा है- भारत के मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली युवाओं तक वहनयोग्य गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराना राजीव गांधी का सपना था। और अब जैसा कि आप जानते हैं देश भर में ऐसे 661 स्कूल है।
मैं आपसे निवेदन करती हूं कि जिन बच्चों ने भी अपने माता-पिता या दोनों में से एक जिसके ऊपर परिवार की आर्थिक आजीविका निर्भर थी को खो दिया के बच्चों को नवोदय विद्यालय में मुफ़्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाये। मैं महसूस करती हूं कि एक राष्ट्र होने के नाते हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उन बच्चों को उज्ज्वल व ठोस भविष्य की उम्मीद दें जिनके साथ यह अकल्पनीय त्रासदी घटित हुई है।
Congress interim chief Sonia Gandhi wrote to PM Modi requesting him to consider providing free education in Navodaya Vidyalaya to children who lost both of their parents or an earning member of the family pic.twitter.com/cgPUP8rlSm
— ANI (@ANI) May 20, 2021
सोनिया गांधी के इस पत्र को सोशल मीडिया पर सराहा जा रहा है। लोग उनके इस पत्र का समर्थन कर रहे हैं।
ट्विटर यूजर विक्रांत सिंह लिखते हैं-
शिक्षा किसी भी देश का मूल अधिकार है, यह बारहवीं तक के बच्चों को फ्री ही मिलनी चाहिए या कम से कम फीस के साथ बेहतर से बेहतर शिक्षा मिलनी चाहियें जो प्राइवेट स्कूलों को चुनौती दे पाये। शिक्षा नीति में बदलाव से फायदा तब होगा जब आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रशिक्षित शिक्षक व शिक्षित शिक्षा मंत्री हो ।
ट्विटर यूजर सलोनी यदुवंशी लिखती हैं-
यह अच्छा सुझाव है, उम्मीद है हमेशा की तरह इस पत्र का भी जवाब नही दिया जायेगा।
ट्विटर यूजर सौरभ सिंह राठौर लिखते हैं-
अब इस सुझाव का भी अहंकारी दमन भरा जवाब दे दीजिए डॉक्टर बाबू।
ट्विटर यूजर प्रदीप खत्री लिखते हैं-
यह सुझाव जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी लागू किया जाना चाहिए। उन सभी बच्चों के लिए जिन्होंने भी कोविड-19 महामारी के कारण अपने माता पिता को खोया है। कहीं न कहीं हमारा स्वास्थ्य क्षेत्र उनको इलाज उपलब्ध कराने में फेल रहा है। अन्यथा किसी के भी माता पिता की मौत नहीं होती, यह बहुत कठिन समय है और मैं विश्वास करता हूं कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस सुझाव को मंजूरी देगा।