स्टेन स्वामी ने स्पेशल कोर्ट में मांगा स्ट्रा-सिपर कप, जवाब देने के लिए NIA ने मांगा 20 दिन का वक्त

पर्किंसन रोग से पीड़ित स्टेन स्वामी का नर्वस सिस्टम कमजोर होता जा रहा है, इस बीमारी के चलते उनके हाथ पैर अचानक कांपने लग जाते हैं या मांसपेशियों में अड़कन होती है.....

Update: 2020-11-07 11:53 GMT

पिछले 10 माह से जेल की सलाखों के पीछे बंद बुजुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की हालत है बहुत गंभीर

मुंबई। आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी ने मुंबई की स्पेशल कोर्ट के समक्ष जेल में चाय आदि पीने के लिए स्ट्रा-सिपर कप (बंद कप और पाइप) की मांग की है। स्टेन स्वामी पर्किंसन रोग से ग्रसित हैं। इसी का हवाला देते हुए उन्होंने यह मांग की है। वहीं इस पर जवाब देने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बीस दिनों का समय मांगा है।

फादर स्टेन स्वामी को बीते 8 अक्टूबर को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था। स्पेशल कोर्ट उन्हें जेल परिसर के बाहर से स्ट्रा सिपर कप लाने की इजाजत दे सकती है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 26 नवंबर तक के लिए टाल दी है।

पर्किंसन रोग से पीड़ित स्टेन स्वामी का नर्वस सिस्टम कमजोर होता जा रहा है। इस बीमारी के चलते उनके हाथ पैर अचानक कांपने लग जाते हैं या मांसपेशियों में अड़कन होती है। इस बीमारी के चलते उन्हें रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कत आती है, यहां तक की खाने-पीने में भी दिक्कत होती है। उन्हें कुछ चबाने या निगलने में भी परेशानी महसूस हो रही है।

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स्टेन स्वामी अभी तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि वह पर्किंसन के कारण अपने हाथ में एक गिलास भी नहीं पकड़ सकते। फिलहाल वह जेल के अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

बीते महीने स्वामी खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी लेकिन एनआईए कोर्ट ने स्वामी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। एनआईए कोर्ट ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि स्वामी को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया है लिहाजा उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

बता दें कि साल 2018 में कई सामाजिक कार्यकर्ता, दलित अधिकार कार्यकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता भीमा कोरेगांव में बने वार मेमोरियल पर इकट्ठा हुए थे, इसके बाद वहां पर हिंसा भड़क गई थी। इसके एक दिन पहले हुई एल्गार परिषद में दिए गए भाषणों को इसके लिए कथित तौर पर जिम्मेदार माना गया। एनआईए का कहना है कि स्वामी के सीपीआई (माओवादी) से रिश्ते हैं और हिंसा को भड़काने में उनका भी हाथ था। 

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