Kohli vs Rohit: कप्तानी नहीं छोड़ रहे थे विराट, BCCI ने पहले दिया अल्टीमेटम फिर जबरदस्ती छीन ली कप्तानी , यह थी बड़ी वजह

Kohli vs Rohit: विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ऐसा होना ही था और बुधवार को बीसीसीआई (BCCI) ने विराट कोहली (Virat Kohli) को भारत की वन-डे टीम के कप्तान पद से हटाकर बागडोर रोहित शर्मा को सौंप दी. कोहली पहले ही टी20 कप्तानी छोड़ चुके थे.

Update: 2021-12-09 07:28 GMT

Kohli vs Rohit: विश्व कप में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ऐसा होना ही था और बुधवार को बीसीसीआई (BCCI) ने विराट कोहली (Virat Kohli) को भारत की वन-डे टीम के कप्तान पद से हटाकर बागडोर रोहित शर्मा को सौंप दी. कोहली पहले ही टी20 कप्तानी छोड़ चुके थे. पता चला है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने उन्हें स्वेच्छा से वनडे टीम की कप्तानी से हटने के लिये पिछले 48 घंटों का इंतजार किया लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. लेकिन 49वें घंटे में रोहित शर्मा को यह पद गंवा बैठे जो होना ही था. शायद किसी को यह बताने के लिये उसका समय हो चुका है, कोहली की बर्खास्तगी के बारे में बीसीसीआई के बयान में जिक्र भी नहीं किया गया जिसमें सिर्फ कहा गया कि चयन समिति ने आगे बढ़ने के दौरान रोहित को वनडे और टी20 अंतरराष्ट्रीय टीमों का कप्तान बनाने का फैसला किया है.

आईसीसी विश्व कप में उन्होंने स्कॉटलैंड के खिलाफ T20 क्रिकेट की कप्तानी करते हुए जीत से विदाई ली थी। मगर अब बीसीसीआई ने उनसे वनडे क्रिकेट की कप्तानी भी छीन ली है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विराट कोहली कप्तानी छोड़ने को तैयार नहीं थे। जिसके चलते बीसीसीआई को उन्हें वनडे क्रिकेट की कप्तानी से हटाना पड़ा।

बीसीसीआई और राष्ट्रीय चयन समिति ने कोहली को कप्तानी से हटा दिया जिनकी महत्वाकांक्षा शायद 2023 वनडे विश्व कप में घरेलू सरजमीं पर भारतीय टीम की अगुआई करने की होगी. जिस क्षण भारत टी20 विश्व कप के ग्रुप चरण से बाहर हुआ, कोहली को कप्तानी से हटाया जाना तय हो गया था लेकिन बीसीसीआई अधिकारी पिछले साढ़े चार वर्षों से टीम के कप्तान को सम्मानजनक रास्ता देना चाहते थे.

महेंद्र सिंह धोनी ने अपने नेतृत्व में कोहली को तैयार किया और फिर जब उन्हें लगा कि समय आ गया तो उन्होंने सफेद गेंद की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी. अगले दो सालों में कोहली टीम के ताकतवर कप्तान बन गये जो अपने हिसाब से चीजें करता, फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गयी प्रशासकों की समिति थी जिन्होंने उनकी हर मांग (कुछ सही और कुछ गलत) को पूरा किया.

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