कृषि अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा और पंजाब में ज़ोरदार प्रदर्शन, बाजार बंद सड़कों पर किसान
हरियाणा के जींद से निकलने वाली गाड़ियों को रद्द कर दिया गया है। अंबाला में भी 50 से ज्यादा विशेष रेल को आंशिक रुप से रद्द कर दिया है...
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। कृषि अध्यादेशों के विरोध में हरियाणा और पंजाब के किसानों का बुलाया गया बंद सुबह दस बजे से शुरू हो गया। किसानों ने दुकानदारों से अपील की कि वह स्वयं अपनी दुकान बंद रखे। हरियाणा में सिरसा, कुरुक्षेत्र और अंबाला में प्रदर्शन शुरू हो गया है।
हरियाणा में रेल गाड़ियों के रूट बदल दिए गए हैं। जींद से निकलने वाली गाड़ियों को रद्द कर दिया गया है। अंबाला में भी 50 से ज्यादा विशेष रेल को आंशिक रुप से रद्द कर दिया है।
स्थिति पर नजर रखने के लिए पुलिस की पांच बटालियन तैनात की गयी है। रेलवे लाइन और सड़कों पर पुलिस को तैनात किया गया है।
इधर पंजाब में भी किसान मजदूर संघर्ष समिति ने तीन दिन के रेेल रोका आंदोलन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन को दूसरे किसान संगठन भी समर्थन दे रहे हैं। किसानों ने अमृतसर और फिरोजपुर में रेल पटरियों पर कब्ज़ा कर रखा है।
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह ने कहा कि वह राज्य में इन क़ानूनों को लागू नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान देश की रीढ की हड्डी है, लेकिन नए कानून इस रीढ को कमजोर करना चाह रहे हैं। उन्होंने अकाली दल पर भी राजनीति करने का आरोप लगाया। कैप्टन ने कहा कि जब अध्यादेश जारी हो रहे थे तो क्यों अकाली दल चुप था। अब जब किसान इसका विरोध करने लगे तो उन्हें अपना वोट बैंक खिसकता नजर आया तो उनकी सांसद मंत्री पद छोड़ रही है। यह सिर्फ दिखावा भर है। कैप्टन ने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के पूरी तरह से खिलाफ है, इन्हें किसी भी हालत में पंजाब में लागू नहीं होने दिया जाएगा।
हरियाणा में जहां कांग्रेस और इनेलो कृषि सुधार कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं, वहीं भाजपा के कई नेता भी खुल कर किसानों के समर्थन में आ गए हैं। इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी के पूर्व नेता अौर अब भाजपा में शामिल रामपाल माजरा ने कहा कि सरकार को इस पर किसानों से बातचीत करनी चाहिए थी। इसी तरह से भाजपा के नेता परमिंद्र सिंह ने भी पार्टी को इस कानून पर आड़े हाथ लिया है।
हालांकि भाजपा के मंत्रियों का रवैया अभी भी अडियल बना हुआ है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को भीड़ जमा करने से पहले इजाज़त लेनी होगी। इसके विरोध में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि वह हर तरह की कुर्बानी के लिए तैयार है। उनहोंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को कारपोरेट के हवाले करना चाह रही है। यहीं वजह है कि वह इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर दिया जाए। इसके लिए सरकार मंडी सिस्टम ही खत्म करने जा रही है। हम इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।
किसान आंदोलन का असर दिल्ली अंबाला हाइवे पर नजर आ रहा है। वाहनों की आवाजाही काफी कम है। इधर अंबाला, कुरूक्षेत्र, यमुना नगर, करनाल, पानीपत व सोनीपत में बंद का असर नजर अ रहा है।