सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- कोविड वैक्सीन के लिए राज्यों को अलग-अलग कीमत क्यों चुकानी पड़ रही?
राज्य ग्लोबल टेंडर जारी कर रहे है, लेकिन इन्हें अस्वीकार कर दिया गया है, क्योंकि कुछ विदेशी कंपनियां केवल राष्ट्रीय सरकारों से बात करना चाहती है, राज्यों से नहीं। इसको देखते हुए कोर्ट ने वैक्सीनेशन नीति की मांग की और केंद्र को दोहरी नीति अपनाने के पीछे के तर्क को स्पष्ट करने का निर्देश दिया...
जनज्वार डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड 19 से जुड़े मुद्दों का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान कहा कि देशभर में कोविड 19 की वैक्सीन के लिए एक कीमत तय करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गयी कोविड वैक्सीन की दोहरी कीमत और खरीद नीति के औचित्य पर केंद्र सरकार से कड़े सवाल किए।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार 31 मई की सुनवाई में यह मुद्दा उठाया कि क्या 18 से 45 वर्ष की आयु के बीच की 50% आबादी को भी वैक्सीन को खुद वहन करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के कीमत के अंतर को कम करने के लिए खरीद और वितरण स्थापित करना होगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, 'भारत, राज्यों का एक संघ है। जब संविधान कहता है, तो हम संघीय नियम का पालन करते हैं। सरकार को वैक्सीन खरीदनी और वितरित करनी है। अलग-अलग राज्यों को बीच में नहीं छोड़ा जा सकता है। भारत की वैक्सीन नीति क्या है? क्या आप खुद को एक राष्ट्रीय एजेंसी मानते हैं और राज्यों के लिए खरीद करते हैं या राज्यों को अपने दम पर छोड़ दिया गया है?'
दरअसल राज्य ग्लोबल टेंडर जारी कर रहे है, लेकिन इन्हें अस्वीकार कर दिया गया है, क्योंकि कुछ विदेशी कंपनियां केवल राष्ट्रीय सरकारों से बात करना चाहती है, राज्यों से नहीं। इसको देखते हुए कोर्ट ने वैक्सीनेशन नीति की मांग की और केंद्र को दोहरी नीति अपनाने के पीछे के तर्क को स्पष्ट करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने केंद्र के 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए वैक्सीन खरीदने और 18 से 45 आयु वर्ग को छोड़ने के औचित्य पर भी सवाल उठाया।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'क्या हम कह सकते हैं कि 18 से 45 के बीच की 50% आबादी वैक्सीन का खर्च उठाने में सक्षम होगी? बिल्कुल नहीं। हम हाशिए पर रहने वालों और उन लोगों को कैसे देखते हैं, जो खुद को वैक्सीन उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें हमें गंभीर रूप से देखना होगा। इसके अलावा, राज्यों को अधिक कीमत क्यों चुकानी पड़ती है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि पूरे देश में एक ही कीमत पर वैक्सीन उपलब्ध हो।'