Pegasus News Hindi : सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को बड़ा झटका, पूर्व जज आरवी रविंद्रन की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी मामले की जांच
Pegasus News Hindi : रिटायर्ड जज के नेतृत्व में 3 सदस्ययी टीम मामले की जांच करेगी। कोर्ट ने आदेश दिया कि कमेटी को 8 हफ्ते में जांच की रिपोर्ट देनी होगी।
Pegasus News Hindi : पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spy Case) में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (supreme court)ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार को बड़ा झटका लगा है। पोगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले की जांच होगी। इस मामले में कोर्ट की निगरानी में अदालत में दाखिल याचिकाओं की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।
एसआईटी करेगी जांच
आज पेगासस जासूसी मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की जांच एक्सपर्ट कमेटी करेगी। कोर्ट ने एसआईटी (SIT) का गठन करने का आदेश दिया है, जो इस मामले की जांच करेगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि रिटायर्ड जज के नेतृत्व में 3 सदस्ययी टीम मामले की जांच करेगी। कोर्ट ने आदेश दिया कि कमेटी को 8 हफ्ते में जांच की रिपोर्ट देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों के कमेटी को जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। रिपोर्ट को 8 हफ्ते बाद मामले की आगे की सुनवाई के दौरान पेश करना होगा। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ पैनल (Experts Panel) के लिए पूर्वाग्रहों से मुक्त सदस्यों का चयन करना बहुत ही मुश्किल कार्य था।
जस्टिस आरवी रविंद्रन होंगे कमेटी के अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि उसने कमेटी का हिस्सा बनने के लिए जाने-मने विशेषज्ञों (Experts) को चुना है। अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस आरवी रविंद्रन की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में जस्टिस रवींद्रन के साथ आलोक जोशी और संदीप ओबरॉय भी शामिल होंगे। बताया गया एक्सपर्ट कमेटी में साइबर सुरक्षा, फॉरेंसिक एक्सपर्ट,आईटी और तकनीकी विशेषज्ञों से जुड़े लोग भी होंगे।
जासूसी की मंजूरी बिल्कुल नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों की विवेकहीन जासूसी बिल्कुल मंजूर नहीं है। कोर्ट का कहना है कि किसी की निजता का उल्लंघन बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रामना ने कहा कि निजता के हर आक्रमण को तार्किकता और संवैधानिक आवश्यकताओं की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए। वैधानिक कानूनों के बिना इस तरह के आक्रमण की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट का कहना है कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है, जिसमें संतुलन भी जरूरी है। यदि तकनीकों पर आपत्ति है तो उसके लिए सबूतों को आधार बनाना चाहिए। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रेस की आजादी पर भी कोई असर नहीं होना चाहिए।
13 सितंबर को सुरक्षित रखा था फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की पिछली सुनवाई 13 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि 'वह केवल यह जानना चाहते हैं कि केंद्र ने नागरिकों की कथित तौर पर जासूसी करने के लिए गैर कानूनी तरीकों से पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं।' जासूसी के मामले की स्वतंत्र जांच के लिए 15 याचिकाएं दायर की गई थी यह याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एन राम, सांसद जॉन ब्रिटास और यशवंत सिन्हा समेत कई लोगों ने दायर की थी। इन याचिकाओं पर कोर्ट में केंद्र सरकार ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा' का हवाला दिया था।
पेगासस जासूसी का आरोप
कोर्ट में स्वतंत्र जांच करने के लिए दायर याचिकाएं जासूसी के मामले की खबरों से संबंधित है। बता दें कि सरकारी एजेंसियों पर कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों नेताओं और पत्रकारों की इजराइली कंपनी एनएसओ के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus Spyware Software) का इस्तेमाल करके जासूसी करने का आरोप लगा है। इसमें एक इंटरनेशनल मीडिया एसोसिएशन ने खबर दी थी कि पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए जासूसी की संभावित सूची में 300 से अधिक प्रमाणित भारतीय फोन नंबर है।