फिलहाल मिलता रहेगा उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरी में क्षैतिज आरक्षण, हाईकोर्ट के फैसले पर लगी सुप्रीम रोक
धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुग्रह याचिका दाखिल कर दी थी, इसी याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा राज्य की महिलाओं को दिए जा रहे 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर लगी रोक को हटा दिया...
Dehradun news : धामी सरकार की किरकिरी बन रहे उत्तराखंड की महिलाओं को राज्य की नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण के मुद्दे पर फिलहाल देश के सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिल गई है। राज्य से बाहर की एक दर्जन से अधिक महिलाओं द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से ही प्रदेश सरकार पर राज्य की महिलाओं के हितों की रक्षा न करने के आरोप लग रहे थे। इस मुद्दे को लेकर जहां राज्य सरकार लगातार असहज होकर रक्षात्मक मुद्रा में थी तो तमाम राज्य आंदोलनकारियों सहित विपक्ष सरकार पर हमलावर थे। लगातार हो रहे इन हमलों से परेशान राज्य सरकार ने बड़ी अदालत में गुहार लगाई थी, जिसके बाद उसे यह राहत मिली है।
बता दें कि लोक सेवाओं में उत्तराखंड राज्य की महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के लिए राज्य सरकार ने साल 2006 में शासनादेश के माध्यम से 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी। इस आरक्षण के खिलाफ राज्य से बाहर की एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने गैर कानूनी बताते हुए इसे उत्तराखंड उच्च न्यायालय में ही चुनौती दी थी। इस याचिका में कहा गया था कि इस साल तीन अप्रैल को हुई प्रारंभिक परीक्षा में राज्य की अधिवासित महिलाओं के लिए निर्धारित कट-ऑफ से अधिक अंक हासिल करने के बावजूद उन्हें राज्य लोक सेवा की मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई, जिस पर उच्च न्यायालय ने राज्य के बाहर से एक दर्जन से अधिक महिला उम्मीदवारों द्वारा दायर इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 अगस्त 2022 को शासनादेश के माध्यम से दिए जा रहे 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी थी।
न्यायालय का यह आदेश आते ही राज्य का राजनैतिक तापमान चढ़ गया था। राज्य आंदोलनकारी सहित समूचा विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया था कि सरकार महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को कायम रखने के लिए कानून बनाएगी और उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में भी जाएगी, जिसके बाद प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों विकल्पों पर सहमति बनीं और अध्यादेश लाने का फैसला लिया गया। महिला क्षैतिज आरक्षण के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने भी अध्यादेश लाने पर सहमति दी थी। उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद कार्मिक व सतर्कता विभाग ने प्रस्ताव विधायी को भेज दिया था।
इसी के साथ राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुग्रह याचिका दाखिल कर दी थी। इसी याचिका पर शुक्रवार 4 नवंबर को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एसए नजीर व न्यायमूर्ति वी राम सुब्रमण्यम की पीठ ने नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा राज्य की महिलाओं को दिए जा रहे 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण पर लगी रोक को हटा दिया।
उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर लगे स्टे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कटिबद्ध है। हमने महिला आरक्षण को यथावत बनाए रखने के लिए अध्यादेश लाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी। साथ ही हमने हाईकोर्ट में भी समय से अपील करके प्रभावी पैरवी सुनिश्चित की थी। जबकि कानूनी जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी से पहले अध्यादेश लाने से मामले की पैरवी को और ज्यादा मजबूती मिल सकती थी। मौजूदा स्थिति में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों के लिए ही पैरवी करेगी।