Supreme Court : हम सुप्रीम कोर्ट की 'तारीख पे तारीख' वाली छवि को बदलना चाहते हैं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी

Supreme Court News : जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई को स्थगित करने से इनकार करते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की इस 'तारीख पे तारीख' वाली इमेज को बदलना चाहते हैं...

Update: 2022-09-09 16:07 GMT

Supreme Court News : हम सुप्रीम कोर्ट की 'तारीख पे तारीख' वाली छवि को बदलना चाहते हैं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी

Supreme Court News : देश में जैसे ही कोर्ट-कचहरी का नाम लिया जाता है तो लोगों के दिमाग में यही ख्याल आता है कि अब कोर्ट में बहुत लंबा समय लगने वाला है। न जाने कितनी तारीखें पड़ेंगी और जिस दिन पर हमें उपस्थित भी रहना पड़ेगा। कोर्ट की छवि को एक फिल्म का डायलॉग 'तारीख पे तारीख' अच्छे से उजागर करता है। आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी इसी तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट तारीख पे तारीख वाला अदालत बने।

तारीख पे तारीख वाली इमेज को बदलना है सुप्रीम कोर्ट का लक्ष्य 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज शुक्रवार को कहा कि कोर्ट अपनी अक्सर मामलों को स्थगित करने वाली इमेज को बदलने की कोशिश करेगा। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई को स्थगित करने से इनकार करते हुए कहा कि 'हम सुप्रीम कोर्ट की इस 'तारीख पे तारीख' वाली इमेज को बदलना चाहते हैं।' साथ ही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वकीलों द्वारा नियमित तौर पर स्थगित की मांग करने से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। उन्होंने कहा कि वह इस बात से चिंतित है और संस्था का लक्ष्य 'तारीख पे तारीख' वाली अदालत की छवि को बदलना है।

पीठ ने मामले को स्थगित करने से किया

बता दें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की पीठ उस समय नाराज हो गई, जब एक वकील ने एक मामले पर बहस करने के लिए समय मांगा और उसने इसके लिए एक पत्र भी जमा किया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को स्थगित नहीं करेंगे। अधिक से अधिक हम बोर्ड के अंत में मामले को पारित कर सकते हैं लेकिन आपको इस मामले पर बहस करनी होगी। हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट तारीख पे तारीख अदालत हो। इस धारणा को बदलना चाहते हैं।

काउंसल न्यायालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब न्यायाधीशों ने अपना पूरा समय केस फाइलों को पढ़ने में लगा दिया, उसके बाद काउंसल आसानी से स्थगन की मांग करके न्यायालय के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं। जस्टिस ने कहा कि 'नहीं, ऐसे नहीं। हमने बैठकर 61 मामले पढ़े। कल रात आखिरी बैठ मेरे पास आया। मैं फाइलों को पढ़ने के लिए आज सुबह 3:30 बजे उठा। आप चाहे तो इसे पासवर्ड कर सकते हैं।'

पहले भी मामले स्थगन पर जता चुके हैं चिंता

जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने मामले के स्थगन पर आपत्ति जताई है। हाल ही में जब उन्हें यह सूचित किया गया कि स्थगन के लिए एक पत्र परिचालित किया गया है तो उन्होंने इस पर चिंता जताई।

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