Supreme Court Order : अविवाहित और विवाहित सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को भी माना आधार

Supreme Court Order : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल र्टिर्मनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 24 सप्ताह में गर्भपात का अधिकार सभी को है, इस अधिकार में महिला के विवाहित या अविवाहित होने से फर्क नहीं पड़ता...

Update: 2022-09-29 06:59 GMT

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Supreme Court Order : सुप्रीम कोर्ट का गर्भपात करवाने के मामले में बड़ा फैसला आया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज देश की सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया, चाहें वो विवाहित हों या अविवाहित। इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल र्टिर्मनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 24 सप्ताह में गर्भपात का अधिकार सभी को है। बता दें कि इस अधिकार में महिला के विवाहित या अविवाहित होने से फर्क नहीं पड़ता है।

24 सप्ताह तक सभी महिलाओं को है गर्भपात का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी महिला की वैवाहिक स्थिति को उसे अनचाहे गर्भ गिराने के अधिकार से वंचित करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। एकल और अविवाहित महिलाओं को भी गर्भावस्था के 24 सप्ताह में मेडिकल र्टिर्मनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार है।

मैरिटल रेप को भी माना आधार

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को लेकर आज गुरुवार को सुनाए गए अहम फैसले में कहा है कि पति द्वारा किया जाने वाला दुष्कर्म 'मैरिटल रेप' की दशा में भी 24 सप्ताह की तय सीमा में पत्नी गर्भपात करा सकती है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत इसे शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून में विवाहित और अविवाहित महिलाओं में फर्क कृत्रिम और संवैधानिक रूप से टिकाऊ नहीं है। यह इस मान्यता को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन गतिविधियों में लिप्त होती हैं।

महिला को अनचाहे गर्भ के लिए नहीं कर सकते मजबूर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी महिला की वैवाहिक स्थिति अनचाहे गर्भ को गिराने के अधिकार से वंचित नहीं कर सकती। सिंगल और अविवाहित महिला को भी उक्त कानून के तहत गर्भावस्था के 24 सप्ताह में गर्भपात का अधिकार है। यह अधिकार उन महिलाओं के लिए राहतकारी होगा, जो अनचाहे गर्भधारण को जारी रखने को विवश हैं।

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