सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब और अन्य सह-आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का दिया आदेश

अर्णब गोस्वामी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अन्वय नाइक की फर्म पिछले सात साल से घाटे में डूबी हुई थी, संभव है कि उसने पहले अपनी मां की हत्या की और उसके बाद खुद सुसाइड कर लिया.....

Update: 2020-11-11 11:50 GMT

नई दिल्ली। शीर्ष अदालत ने गोस्वामी और अन्य सह-आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक अभियुक्त को 50,000 रूपये के बांड पर रिहा करने का आदेश दिया है। गोस्वामी को सुसाइड केस में पीड़ितों को उकसाने के लिए 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उन्हें तलोजा जेल में रखा गया था। 

अर्णब पर साल 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप है। मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने सुनवाई की। इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोर्ट इस केस में दखल नहीं देता है तो वो बर्बादी के रास्ते पर आगे बढ़ेगा।

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कोर्ट ने कहा कि आप विचारधारा में भिन्न हो सकते हैं लेकिन संवैधानिक अदालतों को इस तरह स्वतंत्रतता की रक्षा करनी होगी, वरना हम विनाश के रास्ते पर चल रहे हैं। अगर हम एक संवैधानिक अदालत के रूप में कानून नहीं बनाते और स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करते हैं तो कौन करेगा?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अर्णब गोस्वामी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अन्वय नाइक की फर्म पिछले सात साल से घाटे में डूबी हुई थी। संभव है कि उसने पहले अपनी मां की हत्या की और उसके बाद खुद सुसाइड कर लिया। साल्वे ने द्वा किया कि अर्णब गोस्वामी ने सभी बकाये तय समय पर चुका दिए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रायगढ़ पुलिस ने सुसाइड मामले को दोबारा खोलने में सही कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। 

साल्वे ने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र पुलिस ने दुर्भावना के तहत अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में कई मुकदमे दर्ज किए हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के निर्देश पर अन्वय नाइक सुसाइड केस को फिर से खोला है। 

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