पोर्न हब बनते भारत में चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द पर जतायी कड़ी आ​पत्ति

CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पादरीवाला की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी स्टोर करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत जघन्य अपराध है...

Update: 2024-09-23 07:33 GMT

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Supreme Court on Child Pornography : चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर आज 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पादरीवाला की बेंच ने मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी स्टोर करना और देखना POCSO और IT एक्ट के तहत जघन्य अपराध है।

गौरतलब है कि CJI डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पादरीवाला की बेंच ने केरल और मद्रास हाईकोर्ट के फैसले जिसमें उसने कहा था कि 'अगर कोई चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करता है और देखता है तो यह अपराध नहीं है, बशर्ते उसकी नीयत इस मटेरियल को प्रसारित करने की न हो।' को खारिज कर दिया है।

केरल हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2023 को कहा था कि अगर कोई व्यक्ति अश्लील फोटो या वीडियो देख रहा है तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर वह पोर्न सामग्री दूसरे को दिखायेगा तो वह गैरकानूनी होगा। केरल हाईकोर्ट के इसी फैसले के आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने 11 जनवरी 2024 को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में एक आरोपी को दोषमुक्त किया था। इसी के बाद जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और नई दिल्ली के NGO बचपन बचाओ आंदोलन ने सुप्रीम कोर्ट में फैसलों के खिलाफ याचिका दायर की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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वहीं सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह 'चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लॉइटेटिव एंड एब्यूसिव मटेरियल' (Child Sexually Abusive and Exploitative Material) शब्द का इस्तेमाल किया जाए। केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश लाकर इसमें बदलाव करें और अदालतें भी चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द का इस्तेमाल न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री डाउनलोड करना और उसे अपने पास रखना जघन्य अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति इस तरह की सामग्री को अपने फोन-कम्प्यूटर से नहीं हटायेगा या फिर पुलिस को इसके बारे में सूचना नहीं देगा तो पॉक्सो एक्ट की धारा 15 इसे अपराध माना जायेगा।

हमारे देश में ऑनलाइन पोर्न देखना गैरकानूनी नहीं माना जाता है, लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 में पोर्न वीडियो बनाना, पब्लिश करना और सर्कुलेट करना दंडनीय है और इस पर बैन भी लगा हुआ है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के सेक्शन 67 और 67A में इस तरह के अपराध करने वालों को 3 साल की जेल के साथ 5 लाख तक जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा IPC के सेक्शन-292, 293, 500, 506 में भी इससे जुड़े अपराध को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी में POCSO कानून के तहत कार्रवाई होती है।

भारत में तेजी से बढ़ रहा है पोर्न वीडियो का बाजार

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक हमारे देश में पोर्न वीडियो का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है। 2026 तक मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या 120 करोड़ होने की उम्मीद है। दुनिया की टॉप वेबसाइट ‘पोर्न हब’ ने बताया है कि हर भारतीय औसतन एक बार में पोर्न वेबसाइट पर 8 मिनट 39 सेकेंड समय गुजारता है। पोर्न देखने वाले 44% यूजर्स की उम्र 18 से 24 साल है, जबकि 41% यूजर्स 25 से 34 साल की उम्र के हैं।

गूगल ने भी 2021 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि दुनिया में सबसे ज्यादा पोर्न देखने के मामले में भारत छठे स्थान पर है। पोर्न हब वेबसाइट के मुताबिक पोर्न वेबसाइट को यूज करने वालों में भारतीय तीसरे नंबर पर आते हैं।

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