भ्रष्टाचार के मामले में त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ हाईकोर्ट ने दिए CBI जांच के आदेश तो सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सीबीआई जांच और एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी....

Update: 2020-10-29 15:03 GMT

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नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपी सीबीआई जांच के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की, जिसमें न्यायधीश एम.आर. शाह और आर. सुभाष रेड्डी भी शामिल थे।

वेणुगोपाल ने कहा कि हाईकोर्ट ने सभी आधारों को मिला दिया है और जिस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वह विशेष रूप से एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई के लिए बाध्य है, जो एक सार्वजनिक कार्यालय रखता है। उन्होंने शिवकुमार मामले का हवाला दिया, जहां यह कहा गया कि चूंकि इस मामले में कोई पक्षकार नहीं है, इसलिए जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता।

जस्टिस भूषण ने कहा कि ऐसा कठोर आदेश पारित किया गया जिसने सभी को हैरान कर दिया औऱ इसमें मुख्यमंत्री भी एक पार्टी नहीं थे। जस्टिस शाह ने कहा कि इस आदेश ने न तो सभी को ही आश्चर्य में डाल दिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सीबीआई जांच और एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर भाजपा के झारखंड प्रभारी रहते हुए गौ सेवा आयोग में उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उनके रिश्तेदारों के बैंक खाते में धन हस्तांतरित करने का आरोप लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने रावत के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाया। 

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