Telecom Tariff Hike: सस्ते फोन कॉल के दिन लदे, आपके मोबाइल को लगेगा महंगाई का झटका

Telecom Tariff Hike: इस साल की दूसरी तिमाही, यानी जुलाई से आपके मोबाइल फोन को महंगाई का झटका लग सकता है। भारत के टॉप 3 टेलीकॉम ऑपरेटरों ने कमाई को 20-25% बढ़ाने के लिए शुल्क में इजाफा करने का फैसला किया है।

Update: 2022-05-31 14:14 GMT

Telecom Tariff Hike: सस्ते फोन कॉल के दिन लदे, आपके मोबाइल को लगेगा महंगाई का झटका

Telecom Tariff Hike: इस साल की दूसरी तिमाही, यानी जुलाई से आपके मोबाइल फोन को महंगाई का झटका लग सकता है। भारत के टॉप 3 टेलीकॉम ऑपरेटरों ने कमाई को 20-25% बढ़ाने के लिए शुल्क में इजाफा करने का फैसला किया है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को कहा कि प्रति ग्राहक राजस्व बढ़ाने और उस पैसे को नेटवर्क और स्पेक्ट्रम पर खर्च करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।

दरअसल टेलीकॉम बाजार में जियो की एंट्री होने के बाद से बाकी ऑपरेटरों के साथ कीमतों को लेकर जंग छिड़ गई थी। करीब दो साल तक छिड़ी इस जंग के आखिर में जीत महंगाई की हुई, यानी दिसंबर 2019 से शुल्क में इजाफा होने लगा। आज बताया गया कि चालू वित्त वर्ष में टेलीकॉम सेक्टर में चोटी पर काबिज तीनों टेलीकॉम ऑपरेटरों की कमाई 20 से 25% तक बढ़ेगी। इससे संचालन में मुनाफा भी बढ़कर 1.80-2.20% हो जाएगा।

कॉल रेट्स में कितनी बढ़ोतरी की उम्मीद है ?

बढ़ती महंगाई को देखते हुए टेलीकॉम कंपनियां वित्त वर्ष 2022 में कॉल रेट्स या यूं कहें प्रति व्यक्ति होने वाले खर्च को ज्यादा बढ़ाने के मूड में नहीं हैं। मुमकिन है कि इस साल कॉल रेट्स में 5% की ही बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन टैक्स जोड़कर आम उपभोक्ता पर पड़ने वाले बोझ का पता तो बाद में ही चलेगा। लेकिन अगले साल या फिर इस साल के आखिर तक कॉल रेट्स में फिर बढ़ोतरी हो सकती है, जो 15-20% तक होने की आशंका है।

पैसे की किल्लत दूर होगी

कॉल रेट्स बढ़ाकर ग्राहक से वसूले गए पैसे को टेलीकॉम कंपनियां नेटवर्क को मजबूत करने और वित्त वर्ष 2023 के लिए नियामक पूंजी जुटाने में करेंगी। फिलहाल कंपनियों के पास पैसे की किल्लत कमाई बढ़ने से कम होने की उम्मीद है। क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोविड काल के दौरान करीब 4 करोड़ यूजर निष्क्रिय हो गए थे, जिससे सकल उपभोक्ताओं की संख्या में कमी आई है। लेकिन तीनों टेलीकॉम ऑपरेटरों की सक्रिय ग्राहक संख्या में 3% की बढ़ोतरी भी हुई है। हालांकि, घटते यूजर बेस और नेटवर्क की गुणवत्ता के मामले में सबसे ज्यादा मार वोडाफोन आईडिया पर पड़ी है, जिसने 3 करोड़ ग्राहक खोए हैं।

मोबाइल पर जमकर हो रहा है खर्च

बढ़ते शुल्क का भारत के मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं पर ज्यादा असर नहीं हो रहा है। असल में मोबाइल सेवाओं पर ग्राहकों का खर्च 8-9% बढ़ने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि भारत में मोबाइल दूरसंचार सेवाओं का बाजार 2016 में जियो की एंट्री के दौर में जा सकता है। फिलहाल ग्राहक मोबाइल सेवाओं पर सालाना 42 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं, जो 2017 की पहली तिमाही के दौरान 41 हजार करोड़ के खर्च के आसपास ही है।

मोबाइल फोन आज के समय में केवल परस्पर संपर्क ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से इंटरनेट के माध्यम से जुड़े रहने और अभिव्यक्ति का भी माध्यम है। संचार के इस साधन पर निर्भरता लगातार दड़बों में सिमटती जा रही दुनिया में शायद ही कम हो। टेलीकॉम कंपनियों के लिए यही बात कमाई का जरिया बन रही है।

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