Terror Funding Case : NIA कोर्ट का बड़ा फैसला, यासीन मलिक, हाफिज सईद सहित कई के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश

Terror Funding Case : विशेष एनआईए कोर्ट ने लश्कर ए तयैबा के फाउंडर आतंकी हाफिज सईद, हिजबुल मुज्जाहिद्दीन के चीफ सैयद सालाहुद्दीन, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम समेत अन्य पर यूएपीए के तहत विभिन्न धाराओं में आरोप तय करने का आदेश दिया।

Update: 2022-03-19 09:24 GMT

 यासीन मलिक, हाफिज सईद सहित कई के खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज होगा।

नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष एनआईए कोर्ट ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है। विशेष एनआईए कोर्ट ने लश्कर ए तयैबा के फाउंडर आतंकी हाफिज सईद, हिजबुल मुज्जाहिद्दीन के चीफ सैयद सालाहुद्दीन, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम समेत अन्यों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम ( Unlawful Activities Prevention Act) के तहत विभिन्न धाराओं में आरोप तय करने के आदेश दिए हैं। जम्मू और कश्मीर से जुड़े आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित एक मामले में स्पेशल कोर्ट ने ये आदेश दिया है।

इस मामलों में हो आरोप तय

दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल एनआई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता और यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना, गैरकानूनी गतिविधियां आदि से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। जिन नेताओं के लिखाफ आरोप तय करने को कहा गया है उनमें कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ ​​पीर सैफुल्ला और कई अन्य शामिल हैं।

अदालत ने माना सुनियोजित साजिश

विशेष NIA कोर्ट के जज परवीन सिंह ने अपने आदेश में जम्मू-कश्मीर में 2017 में हुई आतंकवादी एवं अलगाववादी गतिविधियों को टेरर फंडिंग मामले में सुनियोजित षडयंत्र माना है। एनआईए कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने आतंकी फंडिंग के लिए पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं, इस काम के लिए राजनयिक मिशन का भी इस्तेमाल किया गया। 

अदालत ने माना है कि आतंकी फंडिंग के लिए पैसा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों और आरोपी हाफिज सईद द्वारा भेजा गया था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक लश्कर ए तैयबा ( LeT ), हिज्बुल मुजाहिदीन (HM), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF), जैश ए मोहम्मद ( JeM ) ने पाकिस्तान के ISI के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके घाटी में हिंसा को अंजाम दिया।

1993 में अलगाववादी गतिविधियों को सियासी शक्ल देने के लिए ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ( एपीएचसी ) का गठन किया गया। एनआईए ने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के माध्यम से व्यवधान पैदा करने के लिए एक बड़ी साजिश की गई है। इस सूचना पर गृह मंत्रालय ने एनआईए को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।

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