आपके लिए कोरोना महामारी एक बड़ा संकट, लेकिन निजी अस्पतालों के लिए लोगों को लूटने का एक सुनहरा अवसर

मोहाली के फोर्टिस अस्पताल ने 86 साल की बुजुर्ग महिला को कोरोना संक्रमित बताकर 29 घंटे में 1.5 लाख का बिल बना दिया, मरीज के परिजनों ने जब मरीज को मायो अस्पताल में रेफर कराया तो पता चला कि महिला को कोरोना था ही नही....

Update: 2021-05-27 13:25 GMT

फोर्टिस अस्पताल मोहाली पर मरीज के परिजन ने अधिक बिल वसूलने का आरोप लगाया 

जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों के द्वारा मरीजों के साथ की जा रही लूट थमने का नाम नहीं ले रही है। इस महामारी के समय जब जनता बुरी तरह से त्रस्त है प्राइवेट अस्पताल जनता के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाने की बजाय जनता को लूट कर अपनी जेब गर्म करने पर पूरा ध्यान लगा रहे हैं। एक मामला मोहाली से सामने आया है। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल ने 86 साल की बुजुर्ग महिला को कोरोना संक्रमित बताकर 29 घंटे में 1.5 लाख का बिल बना दिया। मरीज के परिजनों ने जब मरीज को फोर्टिस अस्पताल से मायो अस्पताल में रेफर कराया तो जांच कराने पर पता चलाकि महिला को कोरोना था ही नही।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ सेक्टर 22-B की रहने वाली 86 वर्षीय सुभाग कौर गुजराल को उनके दामाद रमिंदर सिंह ने 21 मई को छाती में संक्रमण के चलते फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल ने सुभाग कौर को कोरोना संक्रमित बताकर आईसीयू में भर्ती कर लिया। रमिंदर सिंह के अनुसार बुजुर्ग महिला को दवाइयां, स्टेरॉयड दिये गए जिससे उनकी मौत हो सकती थी। रमिंदर सिंह ने अस्पताल प्रबन्धन पर आरोप लगाया कि उनसे ओवर चार्ज वसूल करते हुए उनके बिल में पीपीई किट व आईसीयू का खर्चा जोड़कर 29 घंटे का बिल 1 लाख 49 हजार बना दिया गया।

मायो अस्पताल रेफर कराते ही सुधरी हालत-

रमिंदर सिंह ने बताया कि मायो अस्पताल ले जाते ही उचित SPO 2 स्तर के साथ फोर्टिस में जो ऑक्सीजन की आवश्यकता पहले 15 लीटर थी वह घटकर 5 से 6 लीटर हो गई। 25 मई को 10:00 बजे मरीज को बिल्कुल फिट घोषित कर दिया गया।

रमिंदर सिंह ने आरोप लगाते हुये कहा- फोर्टिस अस्पताल कोरोना संक्रमित बताकर नॉर्मल मरीजों से पैसे की ठगी कर रहा है। पीड़ित ने अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग की है।

महामारी की लहर में मरीजों की मदद करने की वजह प्राइवेट अस्पताल लूटने का काम कर रहे हैं। सरकार की तरफ से हिदायतें और दिशा-निर्देश जारी होने के बाद भी प्राइवेट अस्पताल मनमाने पैसे वसूल रहे हैं। सरकार की तरफ से निर्धारित रेट लिस्ट अस्पतालों में लगाई गई है। जिसके अनुसार ही पेशेंट से चार्ज वसूलने की बात की गई है लेकिन सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए निजी अस्पताल प्रबंधन अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।

बिहार के पटना में भी 2 दिन पहले इसी तरह का मामला सामने आया था। पटना के बाईपास के पास रामकृष्णा नगर स्थित मेडीवर्ल्ड हॉस्पिटल ने 20 घंटे के इलाज के लिए 1 लाख 15 हजार रुपये वसूले थे। जबकि परिजनों को 50 हजार का बिल ही दिया गया था। एंबुलेंस चालक मरीज को उस अस्पताल में लेकर पहुंचा था। इस मामले में एंबुलेंस चालक व अस्पताल प्रबंधन के बीच सांठगांठ भी सामने आई थी। यह अस्पताल जिला प्रशासन द्वारा कोविड-19 के लिए जारी की गई सूची में शामिल नहीं था। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन कोरोना के मरीज को भर्ती कर उपचार कर रहा था। अस्पताल के खिलाफ आपदा अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

सरकारें भी हैं जिम्मेदार 

प्रतिदिन निजी अस्पतालों में जनता के साथ लूट की घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके लिये सरकार भी जिम्मेदार हैं। सरकार इस मामले में कड़े कदम नही उठा रही हैं। एसे  समय में सरकारों को सभी निजी अस्पतालों को अधिग्रहित कर लेना चाहियें था, लेकिन सरकारों ने एसा नहीं किया। 


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