सरकार ने कहा ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौतें, फिर अचानक इंतजाम में क्यों झोंक दी पूरी ताकत
केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है....
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार। अब जब केंद्र सरकार उच्च सदन में यह बयान देती है कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना काल के दूसरी लहर में किसी के जान जाने की सूचना नहीं है , तो ऐसे वक्त पर सवाल उठना लाजमी है कि फिर स्वास्थ्य क्षेत्र में सर्वाधिक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों की दिलचस्पी क्यों रही। युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना का नतीजा रहा कि गोरखपुर मंडल के सभी जिले ऑक्सीजन की मांग के सापेक्ष अधिक उत्पादन कर रहे हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में बुनियादी सुधार को लेकर ऐसे ही अन्य पहल की जरूरत महसूस की जा रही है। जिससे की देश मजबूती से तीसरी लहर का मुकाबला कर सके।
सांसों पर पहरा, मौतों पर पर्दा यह कैसा सियासत का खेल है। सत्ता की मादकता में इतना भी चूर् न हो जाओ की चंद दिनों पूर्व जिन अपनो को खोया था, उसकी याद तक न आए। ऑक्सीजन की कमी से न जाने कितनों के दम घुटते व क्षणभर में सांसें थम जाते हर शहर व हर गांव में हमने देखा। अस्पताल के बेड पर तड़पते मरीजों के लिए चाह कर भी कुछ न कर पाने की चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की विवशता खुब दिखी। एक बार फिर तीसरी लहर के खतरों की आशंका ने सबको अशांत कर रखा है। ऐसे वक्त पर केंद्र सरकार संसद में यह बयान देती है कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी के भी मौत की कोई सूचना नहीं है। इसे सरकार का गैर जिम्मेदाराना बयान कहेंगे या राज्य व केंद्र के अधिकार क्षेत्र के विवाद के चक्कर में इसे मानवता की हत्या करना।
केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है। दरअसल कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा था कि क्या यह सच है कि कोविड19 की दूसरी लहर में कई सारे कोरोना मरीज सड़क पर और अस्पताल में इसलिए मर गए क्योंकि ऑक्सीजन की किल्लत थी? इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने इस सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि 'स्वास्थ्य राज्य का विषय है। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना के दौरान हुई मौतों के बारे में सूचित करने के लिए गाइडलाइंस दिये गये थे। किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि किसी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है।'
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने आगे बताया कि महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई। उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है। पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश कोविड के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं। उन्होंने बताया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड से मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने कहा ''इसके अनुसार, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड के मामले और इसकी वजह से हुई मौत की संख्या के बारे में सूचना देते हैं। बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है।
अप्रैल माह में अचानक बढ़ गई ऑक्सीजन की मांग
अप्रैल माह में ऑक्सीजन को लेकर कमोबेश देश भर में हर जगह हाहाकार मचा रहा। पश्चिम में महाराष्ट्र और गुजरात से लेकर उत्तर में हरियाणा और मध्य भारत में मध्य प्रदेश तक सभी जगह मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी पैदा हो गई थी। उत्तर प्रदेश में तो कुछ अस्पतालों ने बाहर 'ऑक्सीजन आउट ऑफ़ स्टॉक' की तख़्ती लगा दी थी। लखनऊ में अस्पतालों ने तो मरीज़ों को कहीं और जाने के लिए कहना शुरू कर दिया। दिल्ली के छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम भी यही कर रहे थे। कई शहरों में मरीज़ों के बेहाल परिजन ख़ुद सिलिंडर लेकर री-फ़िलिंग सेंटर के बाहर लाइन लगा कर खड़े दिख रहे थे।
हैदराबाद में तो एक ऑक्सीजन प्लांट के बाहर जमा भीड़ पर क़ाबू पाने के लिए बाउंसरों को बुलाना पड़ा था। हक़ीक़त यह है कि देश में ऑक्सीजन का जितना प्रोडक्शन होता है उसका सिर्फ़ 15 फ़ीसदी हिस्सा ही अस्पताल इस्तेमाल करते हैं। बाक़ी 85 फ़ीसदी का इस्तेमाल उद्योगों में होता है।
सीनियर हेल्थ अफ़सर डॉक्टर राजेश कुमार के मुताबिक़ कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन सप्लाई का 90 फ़ीसद अस्पतालों और दूसरी मेडिकल ज़रूरतों के लिए इस्तेमाल किया गया। जबकि पिछले साल सितंबर के मध्य में जब कोरोना की पहली लहर के दौरान संक्रमितों की संख्या सबसे ज़्यादा थी तो हर दिन मेडिकल ज़रूरतों के लिए 2700 टन ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही थी।
उस दौरान देश में हर दिन कोरोना संक्रमण के क़रीब 90 हज़ार नए मामले आ रहे थे। लेकिन इस साल अप्रैल में ही दो सप्ताह पहले तक एक दिन में कोरोना संक्रमण के नए मामले बढ़ कर 1,44,000 तक पहुँच गए थे। इसके बाद तो हर दिन संक्रमणों की संख्या बढ़ कर दोगुना से अधिक यानी तीन लाख तक पहुँच गई ।
देवरिया में पांच सौ लीटर प्रति मिनट क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना
देवरिया जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं हो इसके मद्देजनर करीब सत्तर लाख की लागत से नया ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है। प्लांट से पीआईसीयूआई, इमरजेंसी सहित वार्ड में हर बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध रहेगी। प्लांट ऑटोमेटिक सिस्टम से सुसज्जित है। इसकी क्षमता पांच सौ लीटर प्रति मिनट है।
महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज से संबद्ध बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाहर से होती है। इससे कभी-कभी ऑक्सीजन की कमी हो जाती थी। वहीं हार्ट व संक्रमण से ग्रसित, सांस सहित अन्य गंभीर मरीजों के लिए परेशानी होती थी। अस्पताल में सामान्य दिनों में तकरीबन डेढ़ से दो सौ लीटर प्रतिदिन आवश्यकता पड़ती है। जबकि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन की खपत काफी बढ़ गई थी। प्रशासन ने गोरखपुर से ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाकर किसी तरह काम चलाया। वहीं, अस्पताल प्रशासन को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस समस्या को देखते हुए मारुति कंपनी की तरफ से पांच सौ लीटर प्रति मिनट क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट जिला अस्पताल को उपलब्ध कराया गया है। सैम गैस प्रोजेक्ट गाजियाबाद के प्रोजेक्ट इंजीनियर विधान चंद मौर्या का प्लांट को स्थापित करने में योगदान रहा।
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में इंडस्ट्रियल एरिया उसरा बाजार में 1500 सिलिंडर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट का भी काम चल रहा है। मोदी केमिकल्स इस प्लांट को स्थापित कर रहा है।
मोदी केमिकल्स के निदेशक प्रवीण मोदी ने बताया कि इस यूनिट की क्षमता रोजाना 1500 ऑक्सीजन सिलिंडर रिफिलिंग की होगी। इस प्लांट के लग जाने के बाद देवरिया एवं आसपास के इलाकों में ऑक्सीजन गैस की आपूर्ति निर्बाध रूप से हो सकेगी।
कुशीनगर में एक करोड़ 38 लाख रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट
कुशीनगर जिले के पडरौना नगरपालिका जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाने के लिए राज्य वित्त आयोग के एक करोड़ 38 लाख रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो रहा है । इसे बनाने को लेकर पहली किस्त 30 लाख रुपये तत्काल अवमुक्त भी कर दिया गया था। महामारी के समय बढ़ते कोरोना मरीजों और उनके लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता के बाद जिले में उपजे ऑक्सीजन संकट के समाधान के लिए कुशीनगर जिला अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराने को लेकर नगरपालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल ने पहले किस्त अवमुक्त कर दिया। कोविड-19 के दूसरे वेब में मरीजों को ऑक्सीजन की सबसे अधिक जरूरत पड़ रही थी। ऐसे में कुशीनगर के मरीजों को सिलेंडर मिल पाना और भी मुश्किल हो रहा था।
गोरखपुर में मांग के मुकाबले दोगुना ऑक्सीजन उत्पादन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिला गोरखपुर प्राणवायु यानी ऑक्सीजन उत्पादन के मामले में आतनिर्भरता से भी आगे बढ़ चुका है। यहां ऑक्सीजन की उपलब्धता मांग के सापेक्ष दोगुनी बनी हुई है। जिले में ऑक्सीजन की डिमांड 2500 डी टाइप सिलेंडर (जम्बो सिलेंडर) की रही जबकि उत्पादन या उपलब्धता 5500 जम्बो सिलेंडर की हो गई है। जिले में कई कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लग जाने से गोरखपुर के उत्पादन से पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश में कभी ऑक्सीजन की किल्लत नहीं रह जाएगी।
अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में गोरखपुर में प्रतिदिन दो हजार सिलेंडर ऑक्सीजन की उपलब्धता हो पा ही रही थी। तब गीडा की दो फैक्ट्रियों मोदी केमिकल्स और आरके ऑक्सीजन में ही उत्पादन हो पा रहा था। ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रशासन ने गीडा में बंद पड़ी एक फैक्ट्री अन्नपूर्णा एयर गैसेज को कड़ी मशक्कत के बाद चालू करा दिया है। वर्तमान में मोदी केमिकल्स के दो तथा आरके ऑक्सीजन व अन्नपूर्णा एयर गैसेज के एक-एक प्लांट (तीन फैक्ट्रियों में चार प्लांट) में कुल उत्पादन की क्षमता अप्रैल माह से चार गुना बढ़कर प्रतिदिन 8000 सिलेंडर हो गया है।
गुरु गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय परिसर के आयुर्वेदिक कॉलेज में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट चालू हो गया है। बड़हलगंज के राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के 100 बेडेड कोविड अस्पताल के लिए भी ऑक्सीजन प्लांट के अलावा गोरखपुर में 15 जून से एक दर्जन से अधिक स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाने का कार्य प्रारंभ हो गया है।
महराजगंज जिले में लगेंगे चार और आक्सीजन प्लांट
महराजगंज जिले में चार और ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया है। कोरोना के दूसरे चरण में जिले में ऑक्सीजन की कमी की वजह से काफी समस्या आई थी। तीसरे चरण की आशंका तथा बच्चों के प्रभावित होने की बात को देखते हुए प्रशासनिक और राजनीतिक जिम्मेदारों ने बचाव के लिए पहल शुरू कर दी है। नगर पालिका की ओर से उपलब्ध कराया गया ऑक्सीजन प्लांट जिला अस्पताल में चालू हो चुका है।
जिला अस्पताल में ही सांसद पंकज चौधरी तथा परतावल के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ने ऑक्सीजन प्लांट उपलब्ध कराया है। जल्द ही इसका शुभारंभ होने वाला है। सदर विधायक ने घुघली सीएचसी, फरेंदा विधायक ने सीएचसी बनकटी, पीएम केयर फंड से जिला अस्पताल में एक और तथा आईसीआईसीआई फाउंडेशन की ओर से गोपाला में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा। मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि जिले में चार और ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने हैं। इनके लग जाने से 200 बच्चों को निर्बाध स्प से ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सकेगी।