25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का अध्यादेश लाने वाली मोदी सरकार बताये 30 जनवरी गांधी की हत्या के दिन को कैसे करेगी सेलिब्रेट!

'25 जून संविधान हत्या दिवस' पर अध्यादेश लाने को भाकपा (माले) ने बताया मोदी राज में 10 साल से जारी अघोषित आपातकाल से ध्यान भटकाने की कोशिश...

Update: 2024-07-13 13:00 GMT

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लखनऊ। ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने के लिए लाए गए अध्यादेश को मोदी सरकार में पिछले 10 सालों से जारी अघोषित आपातकाल से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार 13 जुलाई को जारी बयान में कहा कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की आजादी, नागरिक स्वतंत्रता, जाति, धर्म से परे बराबरी सहित मौलिक अधिकार देने वाले संविधान पर गुजरे दस सालों में रोजाना हमला करने वाली मोदी सरकार को संविधान हत्या दिवस मनाने का अधिकार नहीं है। सिर्फ हमला ही नहीं किया जा रहा, बल्कि संविधान को बदल डालने की साजिश भी रची जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय तो अंबेडकर लिखित संविधान को औपनिवेशिक विरासत बताकर तीन आपराधिक कानूनों की तर्ज पर बदल डालने की पैरवी कर चुके हैं। कई बड़े भाजपा नेता और सांसद भी संविधान बदलने की जरूरत बता चुके हैं। इसके लिए बीते लोकसभा चुनाव में चार सौ पार की मांग भी की गई, जिसे जनता ने दृढ़ता से ठुकरा दिया। भाजपा के पितृसंगठन संघ ने तो शुरूआत में ही मौजूदा संविधान पर सवाल उठाया था और उसकी जगह मनुस्मृति को ही संविधान मानने की हिमायत की थी। भाजपा भी अपनी कार्रवाइयों से इसकी पुष्टि करती रहती है।

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माले नेता ने कहा कि संविधान द्वारा दिये गए आरक्षण के अधिकार को मोदी सरकार भीषण निजीकरण कर बेअसर कर रही है। 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण कर संविधान की खिल्ली ही उड़ाई गई। सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) जैसा साम्प्रदायिक कानून लाकर संविधान के मर्म पर चोट किया गया। संविधान, जिसकी प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद का प्रावधान है, की हत्या की साजिश तो खुद भाजपा सरकार ही कारपोरेट फासीवाद के रास्ते पर तेजी से बढ़कर कर रही है।

संसद में शपथ लेते हुए भाजपा सांसदों ने हिन्दू राष्ट्र का नारा लगाकर संविधान का मजाक ही उड़ाया और संघ के हिन्दू राष्ट्र बनाने के एजेंडे के प्रति अपनी मंशा की पुष्टि की। हिंदू राष्ट्र के बारे में संविधान रचियता डॉ. अंबेडकर पहले ही कह चुके हैं कि यदि ऐसा हुआ, तो यह देश के लिए बड़ी विपत्ति होगी। ऐसे में भाजपा सरकार को कहां से संविधान हत्या दिवस मनाने का अधिकार मिल गया?

राज्य सचिव ने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन द्वारा उठाये मुद्दों पर मिली पराजय को भाजपा पचा नहीं पा रही है। उसके पिछले 10 साल के शासन में संविधान पर खतरे को उत्तर प्रदेश समेत देश की जनता ने वास्तविक रूप में महसूस किया और उसे दो सौ चालीस पर रोक दिया। अब हर साल संविधान हत्या दिवस मनाने का अध्यादेश उसकी बौखलाहट को दर्शाता है।

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माले नेता ने तंज किया कि मोदी सरकार को 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का ख्याल जुलाई के महीने में आया, वह भी अपनी सरकार के 11वें साल में, अब लगे हाथों 30 जनवरी को किस रुप में मनाना चाहिए, इसका भी प्रावधान कर देना चाहिए। 76 साल पहले इस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी।

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