दबंगों के खौफ से रेप पीड़िता ने छोड़ दिया गांव, आज 4 महीने बाद भी कोसों दूर है न्याय
5 मार्च 2021 यह वो तारीख है जिसे गांव दलीपपुर की रहने वाली पीड़िता ताउम्र नहीं भूल सकती। जनज्वार से बात करते हुए पीड़िता व उसके पिता ने कहा था कि 'ना जाने कौन से समय में जी रहे हम लोग, जहां न्याय नाम की चीज का पतन हो गया है...
जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित थाना सचेंडी से तीन किलोमीटर दूर गांव दलीपपुर में दारोगा की तैयारी कर रही लड़की से गांव के ही उंची जाति के दबंगों ने बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। घटना के मुख्य आरोपी की जेल में मौत हो गई लेकिन बाकी के 6 आरोपी गांव में खुलेआम घूम रहे हैं।
5 मार्च 2021 यह वो तारीख है जिसे गांव दलीपपुर की रहने वाली पीड़िता ताउम्र नहीं भूल सकती। जनज्वार से बात करते हुए पीड़िता व उसके पिता ने कहा था कि 'ना जाने कौन से समय में जी रहे हम लोग, जहां न्याय नाम की चीज का पतन हो गया है। न्याय की ऐसी कोई चौखट नहीं बची जहां पीड़ित इंसाफ की झोली ना फैला चुके हों। लेकिन उन्हें निराशा के अलावा कुछ नहीं मिलता।'
मार्च महीने की 5 तारीख की शाम शौच के लिए गांव के बाहर खेत पर गई दारोगा की तैयारी कर रही पीड़िता को सुबोध बाजपेई उर्फ मुच्चू ने गांव के ही अभिषेक पांडेय, बब्लू पांडेय, सचिन बाजपेई उर्फ सल्ली, गौरव बाजपेई, पुल्लन बाजपेई व बउआ तिवारी की मदद से हवस का शिकार बनाया था।
घटना के बाद आरोपी सुबोध उर्फ मुच्चू फरार हो गया था। जिसे ग्रामीणों ने दूसरे दिन यानी 6 मार्च को एक रेलवे क्रासिंग के पास पकड़कर पिता व बाद में पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने आरोपी को उसी दिन जेल भेज दिया जहां 7 मार्च को आरोपी सुबोध उर्फ मुच्चू की मौत हो गई।
आरोपी सुबोध की मौत के बाद उसके भाई श्रीकांत ने पीड़ित पक्ष के 23 लोगों पर एफआईआर नंबर 87/2021 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था। आरोपी दबंग व धनी परिवारों से ताल्लुक रखते हैं, जिसके चलते तत्कालीन थानाध्यक्ष सचेंडी सतीश राठौर ने कथित सांठगांठ कर पीड़ित पक्ष के चार लोगों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था।
इस मामले में पीड़िता व उसका परिवार आईजी, एडीजी सहित तमाम आलाधिकारियों से न्याय की गुहार लगा चुका है। हालांकि इस दौरान कथित आरोपी थानेदार सचेंडी सतीष राठौर का तबादला कर दिया गया। थानेदार पर आरोपियों से मिलकर कार्रवाई करने का आरोप था। तमाम अफसरों ने पीड़िता व उसके परिवार को न्याय का भरोसा दिया था।
तब से अब तक पूरे 4 महीने का समय बीत चुका है। पीड़िता और उसका परिवार दबंगों के खौफ से गांव भी छोड़ चुका है। सीओ से लेकर महिला आयोग तक भटकने-घूमने के बाद भी पुलिस पीड़िता को न्याय नहीं दिला पा रही है। न्याय मांगती पीड़िता का कहना है कि ऐसी जिंदगी से आजिज आकर अगर कल को वह कुछ कर लेती है तो उसकी मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा? ये बड़ा सवाल है जिसका जवाब शायद पुलिस के पास भी ना हो।