आजमगढ़ के पलिया गांव में पुलिसिया बर्बरता की होगी मजिस्ट्रेट जांच, पीड़ित परिवार की 5 मांगें

आजमगढ़ के पलिया गांव में पुलिस की क्रूरता के खिलाफ दलित पीड़ित परिवारों को न्याय का इंतजार है, रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर आजमगढ़ में दो दिन तक पुलिस ने तांडव मचाया, अब मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने पूरी घटना की मजिस्ट्रेट से जांच कराने की बात कही है

Update: 2021-07-07 02:28 GMT

(पालिया गांव घटना की होगी मजिस्ट्रेट जांच)

आजमगढ़ जनज्वार। आजमगढ़ के पलिया गांव में पुलिस की क्रूरता के खिलाफ दलित पीड़ित परिवारों का प्रदर्शन जारी है। रौनापार थाना क्षेत्र के पलिया गांव मं् पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर आजमगढ़ में दो दिन तक पुलिस ने तांडव मचाया। जिसके विरोध में दो जुलाई से चल रहा धरना मंगलवार को भी जारी रहा।

वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने पूरी घटना की मजिस्ट्रेट से जांच कराने की बात कही है। खबर है कि मंगलवार 6 जुलाई को एडीएम प्रशासन नरेंद्र सिंह, एसपी ग्रामीण सिद्धार्थ और एसडीएम सगड़ी गौरव कुमार पलिया गांव पहुंचे और क्षतिग्रस्त मकानों को देखा। अधिकारियों ने इस पूरी कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आश्वासन दिया कि किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी और साथ ही मामले की मजिस्ट्रेटी जांच की जाएगी।

पीड़ित परिवार ने 5 मांगों का सौंपा ज्ञापन

पूरे मामले को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। मामले को लेकर जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, बसपा प्रमुख मायावती योगी सरकार पर बरसी है। वहीं पुलिसिया गुंडागर्दी के खिलाफ पीड़ित परिवार धरने पर है। इस दौरान मंगलवार को धरने का नेतृत्व कांग्रेस ने किया। इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह ने पलिया गांव के लोगों पर किये गये पुलिसिया बर्बरता पर रोष जाहिर करते हुए मौके पर पहुंचे अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की। साथ ही कार्रवाई नहीं होने पर कांग्रेस की ओऱ से बड़ा आंदोलन किये जाने की चेतावनी दी। कांग्रेस पार्टी के नेताओं और पीड़ित परिवार के लोगों ने एडीएम प्रशासन को पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। जिसमें पूरे मामले की न्यायिक जांच, उत्पीड़न में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, घर में लूटे गए सामानों की क्षतिपूर्ति, घटना में लिप्त लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई। एडीएम ने मांग पत्र लेकर न्याय संगत कार्रवाई का आश्वासन दिया। आश्वासन के बाद लोगों ने धरना समाप्त करने की घोषणा की। जिसके बाद कांग्रेस के नेता भी अपने धरने को क्रमिक धरने में तब्दील कर चले गये। लेकिन अधिकारियों और नेताओं की जाते ही भीम आर्मी के कुछ लोग फिर से धरने पर बैठ गए। जिससे यह मामला फिर ज्यों का त्यों लटकता नजर आ रहा है।

क्या है पूरा मामला

यह घटना आजमगढ़ जनपद के राहुल पार थानाक्षेत्र के पलिया गांव में स्थित एक पासी बस्ती की है। यहां 29 जून को एक लड़की की आपत्तिजनक फोटो को लेकर विवाद हुआ, जिसकी परिजनों ने ग्राम प्रधानपति पलिया मुन्ना पासवान, उनके चाचा राजपत पासवान से की। मुन्ना पासवान ने आरोपी पक्ष को समझाने की कोशिश की। लेकिन उसने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी। बाद में मौके पर दो पुलिसकर्मी नशे में धुत्त हालत में पहुंचे थे और ग्राम प्रधानपति पलिया मुन्ना पासवान को मारने लगे। इस दौरान माहौल गर्म हो गया औऱ ग्रामीणों ने नशे में धुत्त दोनों पुलिसकर्मियों को बुरी तरह पीट दिया। जब इस घटना की पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह आजमगढ़ को सूचना मिली तो उन्होंने लगभग 200 पुलिसकर्मियों समेत सत्ता के करीबी कुछ बदमाशों को पलिया में भेजा। पुलिसकर्मियों ने 29 जून को ही रात में ग्रामप्रधान मुन्ना पासवान के चाचा राजपत पासवान के घर पर धावा बोल दिया और बुलडोजर चलवाना शुरू कर दिया। इस दौरान परिवारवालों के साथ बुरी तरह से मारपीट की गयी। महिलाओं के साथ अभद्रता हुई। पीड़ित परिवार की महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है। आरोप है कि रक्षक से भक्षक बनी योगी की यूपी पुलिस ने 6 महीने के दूधमुंहे को भी नहीं बक्शा।

पुलिस अधीक्षक ने कहा- रासुका लगाएंगे

पूरी घटना पर यूपी पुलिस सवालों के घेरे में है। पुलिस के ऐसे बर्बर चेहरे की भर्त्सना हो रही है। लेकिन आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक के तेवर नहीं बदले हैं, हालांकि उनको फोन करने पर वे कतरा रहे हैं और उनकी ओर से मीडियाकर्मियों को दो वीडियो जारी करके दिए जा रहे हैं। लेकिन इस घटना के बाद भी तेवर नहीं बदले हैं। उन्होंने कहा है कि गांव के या गांव के आसपास के कोई भी लोग इस परिवारों की मदद के लिए यदि आगे बढ़ेंगे, उन पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाकर मुकदमा दर्ज करेंगे।

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