जय शाह को 3 इडियट्स का जावेद जाफरी बताने वालों को समझना होगा कि BCCI में धोनी का किरदार बहुत बड़ा है!
क्या भविष्य में धोनी को कोच की भूमिका के लिए भी तैयार किया जा सकता है? अगर कोच नहीं तो राहुल द्रविड़ की तरह उन्हें अंडर 19 और ए टीम सहित एनसीए की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है...
जनज्वार। बीसीसीआई (BCCI) सचिव जय शाह (Jay Shah) के सुबह वाले बयान पर बड़ी हाय तौबा मची है और कई दिन चलेगी। लेकिन जानकार कह रहे हैं कि, भले ही देखकर, अटककर ही सही शाह ने जो फैसला लिया है वह उनका मास्टरस्ट्रोक है। क्रिकेट टीम में धोनी की वापसी वो भी बतौर मेंटॉर गलत फैसला नहीं है।
खोल को नजदीक से समझने वाले कह रहे, जय शाह ने एक तीर से कई शिकार कर डाले हैं। सबसे पहले तो उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को ये जता दिया कि उनकी खुद की क्रिकेट दूरदर्शिता किसी से कम नहीं है, फिर भले ही कभी क्रिकेट ना खेला हो।
गौरतलब है कि, पिछले कुछ सालों से जिस तरह टीम इंडिया आईसीसी (ICC) की एक ट्रॉफी तक जीतने के लिए तरस रही है उसे देखते हुए धोनी के असाधारण अनुभव को फिर से भारतीय क्रिकेट में लाने की सोच तो गांगुली की होनी चाहिए थी, क्योंकि उनसे बेहतर धोनी के योगदान को और कौन समझ सकता था। लेकिन, गांगुली हमेशा से ही धोनी के शुभचिंतक नहीं माने जाते।
यहां तक की कई मौकों पर उन्होंने जिस तरह से विराट कोहली (Virat Kohli) की कप्तानी का लोहा सार्वजिनक तौर पर माना उस तरीके से कभी एमएस धोनी (MS Dhoni) को वैसा सम्मान नहीं दिया। बावजूद इसके धोनी ने हर ट्रॉफी जीतकर दी है।
सचिव जय शाह ने धोनी की टीम इंडिया (Team India) में फिर से एंट्री कराकर ये तय कर दिया कि क्रिकेट के फैसलों के मामले में सिर्फ कप्तान कोहली और रवि शास्त्री का एकमत ही नहीं चलेगा। क्योंकि बाकि सपोर्ट स्टाफ और खिलाड़ी तो इस जोड़ी के आगे कुछ कह नहीं पाते। जय शाह इस बात को बखूबी जानते थे कि धोनी के नाम पर कोई भी चूं नहीं कर सकता।
कोहली और शास्त्री भी नहीं जिन्होंने राहुल द्रविड़ को 2018 में बैटिंग सलाहकार और ज़हीर खान को गेंदबाज़ी कोच नियुक्त किए जाने के बाद पूरी तरह से ऐसे नजरअंदाज कर दिया कि जैसे दोनों दिग्गजों ने इंग्लैंड का दौरा ही टीम के साथ न किया हो।
द्रविड़ जैसे सम्मानित खिलाड़ी के साथ-साथ अनिल कुंबले का कोच के तौर पर क्या हश्र हुआ वो भी तो किसी से छिपा नहीं है। ऐसे में अगर अपनी नम्रता और लचीले रुख से कोहली को कोई शांत कर सकता है, मुश्किल काम मनवा सकता है तो वो सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी ही हैं।
आने वाले दिनो में बढ़ सकता है कद
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जय शाह, धोनी को इस भूमिका के लिए मनवाने के बाद भविष्य में विकल्प के तौर पर भी देखने की कोशिश करते बताए जा रहे। शाह तय कर रहे कि क्या भविष्य में धोनी को कोच की भूमिका के लिए भी तैयार किया जा सकता है? अगर कोच नहीं तो राहुल द्रविड़ की तरह अंडर 19 और ए टीम सहित एनसीए की ज़िम्मेदारी भविष्य में दी जा सकती है?
इसके अलावा डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट की भूमिका जो ज़हीर खान मुंबई इंडियंस के लिए निभा रहें हैं या फिर इंग्लैंड के लिए उनके पूर्व कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस निभा रहें हैं, पर भी विचार किया जा रहा है। यानि धोनी का मेंटोर बनना सिर्फ एक घोषणा भर नहीं है बल्कि अनुमान है कि, इसके दूरगामी नतीजे भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत कर सकते हैं।