उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे मिले हजारों शव, कुत्ते नोंच रहे लाशों को

एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार मुफ्त अंतिम संस्कार का दावा कर रही है तो वहीं गंगा के किनारे बहती हुई और सड़ती हुई लाशें उत्तर प्रदेश सरकार के झूठ की पोल खोल रही हैं।

Update: 2021-05-15 07:32 GMT

लखनऊ। गंगा नदी को माँ का दर्जा दिया गया है। गंगा को हिन्दू धर्म में पूजनीय माना गया है। मान्यता के अनुसार मां गंगा धरती पर लोगों को तारने के लिए अवतरित हुई लेकिन आज लाशों से बदहाल हो चुकी है गंगा। गंगा नदी में लाशें बह रही हैं और किनारे लाशों से पटे हुए हैं। यह कहानी उत्तर प्रदेश की है। उत्तर प्रदेश के 27 जिलों से होकर गंगा बहती है। इनमें मुख्य रूप से कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, प्रयागराज, बिजनौर आदि हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार गंगा किनारे के 1140 किलोमीटर में दो हजार से ज्यादा लाशें नदियों के किनारों पर सड़ रही हैं या बह रही हैं।

इन 27 जिलों में से कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, गाजीपुर व बलिया में गंगा किनारे दफनाई गयीं लाशों की स्थिति भयावह है। कन्नौज के महादेवी गंगा घाट के पास 350 से ज्यादा शवों को दफनाया गया है। कानपुर के खेरेश्वर घाट के पास आधा किलोमीटर के क्षेत्र में 400 से ज्यादा लाशें दफन की गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार उन्नाव के शुक्लागंज घाट और बक्सर घाट के पास करीब 900 से ज्यादा लाशों को दफनाया गया है। यहां लाशों की स्थिति भयावह थी। कुत्ते लाशों को नोच रहे थे। उन्नाव से सटे फतेहपुर में गंगा किनारे 20 शव मिले। इसी तरह गाजीपुर में 110 से ज्यादा लाशें मिलीं थीं।

13 मई गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी गंगा नदी में बहती हुई लाशें मिली थीं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश व बिहार राज्यों को इस संबंध में नोटिस जारी करते हुये जवाब माँगा है। 

राज्य में कोरोना के चलते इतनी ज्यादा मौतें हुई हैं कि लाशों को श्मशान घाट में दफनाने के लिए जगह कम पड़ गई है। जिन घाटों पर जगह मिली भी तो वहां अंतिम संस्कार के लिये लकड़ी व ईंधन नही है। ईंधन की कालाबाज़ारी भी की जा रही है। लोगों को काफी ऊँचे दामों पर अंतिम संस्कार के लिये लकड़ियां बेची गयीं। इन सब समस्याओं को देखते हुए ग्रामीणों व नगर वासियों ने लाशों को या तो नदी में बहा दिया या फिर नदी के किनारे दफना दिया। प्रशासन कि बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। जब इन लाशों को दफनाया जा रहा था तब स्थानीय प्रशासन क्या कर रहा था जैसे कई सवाल हैं जिनके उत्तर जनता जानना चाहती है। 

एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार मुफ्त अंतिम संस्कार का दावा कर रही है तो वहीं गंगा के किनारे बहती हुई और सड़ती हुई लाशें उत्तर प्रदेश सरकार के झूठ की पोल खोल रही हैं। पहले तो लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और जब वे इलाज के अभाव में मार जाते हैं तब सम्मानजनक रूप से उनका अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाता। उनकी लाशे कुत्तों के द्वारा नोची जा रही हैं।

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