Lakhimpur Kheri Case : जांच एजेंसी ने माना हत्या की सोची समझी साजिश, आज अदालत में पेश होगा आशीष मिश्र

Lakhimpur Kheri Case : एसआईटी की ताजा जांच में नई हकीकत सामने आई है। हादसे की धाराएं हटाकर हत्या की साजिश धाराएं जोड़ीं गई है। अब आरोपियों को जमानत मिल गई तो उनकी रिहाई नहीं हो पाएगी। इसके लिए आरोपियों को जमानत अर्जी नए सिरे से दाखिल करना होगा।

Update: 2021-12-14 05:36 GMT

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Lakhimpur Kheri Case : तिकुनिया कांड में तीन महीने बाद नया खुलासा हुआ है। नई जांच टीम ( SIT ) ने मामले में आईपीसी ( IPC ) की नई धाराएं जोड़ते हुए इसे दुर्घटना के बजाय हत्या (Murder)  की सोची समझी साजिश माना है। आज इस मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे व मुख्य आरोपी आशीष मिश्र ( Ashish Mishra ) सहित 13 आरोपी अदालत में पेश किए जाएंगे।

अब SIT ने हादसे को माना हत्या

इस मामले को अभी तक एसआईटी ( SIT ) हादसा मान रही थी। केवल विकल्प के रूप में हत्या की धाराएं इस्तेमाल कर रही थी। लेकिन सोमवार को एसआईटी के मुख्य जांच अधिकारी विद्यामराम दिवाकर साफ कर दिया है कि यह लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए दुर्घटनावश मृत्यु का मामला न होकर सोची-समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने, हत्या ( Well Planned Murder ) करने और हत्या की कोशिश के साथ अंग-भंग करने की साजिश का मामला है। मुख्य जांच अधिकारी का कहना है कि जेल में बंद आरोपियों पर से दुर्घटना की धाराएं हटाई जा रही हैं और 120बी, 307, 34, 326 आईपीसी की धाराएं जोड़ी जा रही हैं।

एसआईटी के नए जांच अधिकारी की ओर से धाराओं में तब्दीली की रिपोर्ट सामने आने के बाद सीजेएम चिंताराम ने भी इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने जेल में बंद हत्यारोपियों पर बदली हुई धाराओं के तहत केस चलाने की मंजूरी के लिए आशीष मिश्र मोनू, और अंकित दास सहित सभी 13 आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के लिए अधीक्षक जिला जेल खीरी को आदेशित किया है।

आरोपियों की रिहाई संभव नहीं

एसआईटी के इस रुख का आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्रों पर असर पडे़गा। वैसे भी आशीष मिश्र मोनू, लवकुश राना, आशीष पांडेय, रिंकू राना सहित छह लोगों की जमानतें जिला जज की अदालत से खारिज हो चुकी हैं, जिनमें पुरानी धाराएं ही थीं उन जमानत प्रार्थना पत्रों में 307, 34, 326 की धाराएं नहीं थीं। इसलिए इन जमानत प्रार्थना पत्रों के निस्तारण आदेश में भी इन धाराओं का जिक्र नहीं है। अब मुख्य आरोपी आशीष मिश्र सहित सभी आरोपियों को नए सिरे से जमानत अर्जी दाखिल करना होगा। ऐसा न करने पर हाईकोर्ट से भले ही जमानत मंजूर हो जाए पर आरोपियों को नई धाराओं में तब्दीली के कारण रिहाई नहीं मिलेगी।

आशीष मिश्र की मुश्किलें बढ़ीं

तिकुनिया कांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र उर्फ मोनू की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। वरिष्ठ जांच अधिकारी एसपी यादव ने बताया कि अब तक विशेष जांच दल ने एक्सीडेंटल केस के साथ ही विकल्प के रूप में हत्या की धाराओं केस को आगे बढ़ा रही थी। अब एसआईटी से जुडे़ मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने अदालत में साफ कर दिया है कि बारीकी से जांच करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि लापरवाही और उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए मृत्यु कारित करने का दुघर्टना का मामला नहीं है, बल्कि सोची समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने, हत्या करने और हत्या के प्रयत्न के साथ ही अंग-भंग करने की साजिश का मामला है। साथ ही विवेचक ने अपनी रिपोर्ट देते हुए बताया कि एक्सीडेंटल केस से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है। एकराय होकर जानलेवा हमला करने और अंगभंग करने की धाराएं बढ़ाई जाती हैं।

क्या है तिकुनिया मामला

बता दें कि 03 अक्तूबर 2021 को हुए तिकुनिया कांड में 4 किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे। तिकुनिया थाने में किसानों की ओर से उसी रात दर्ज कराई 219 नंबर एफआईआर में आशीष मिश्र समेत अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। 04 अक्तूबर की सुबह सदर थाने में 220 नंबर एफआईआर में भाजपा पार्षद सुमित जायसवाल ने अज्ञात किसानों पर मुकदमा दर्ज कराया था। अब तक 219 नंबर एफआईआर मामले में आशीष मिश्र मोनू, अंकित दास, सुमित जायसवाल, लतीफ, नंदन सिंह बिष्ट, सत्यम त्रिपाठी, शिशुपाल समेत 13 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 220 नंबर एफआईआर में विचित्र सिंह, गुरविंदर सिंह समेत चार किसानों की गिरफ्तारी हुई है।

अभी तक की सुनवाई में आशीष मिश्र मोनू, लवकुश राना, आशीष पांडेय, रिंकू राना सहित छह लोगों की जमानतें जिला जज की अदालत से खारिज हो चुकी हैं। नई धाराएं 307, 34, 326 की धाराएं जोड़ी गई है। इस बदलाव के बाद बचाव पक्ष के लिए मुश्किलें बढे़ंगी तो अभियोजन टीम को मजबूती मिलेगी, क्योंकि अब तक हरेक अवसर पर बचाव पक्ष की ओर से दलीलें दी जाती थीं कि जांच करने वाली एजेंसी खुद ही तेजी और उतावलेपन से वाहन संचालन करने की बात कहते हुए दुघर्टना मृत्यु की बात कह रही है। लेकिन नए विवेचक विद्याराम दिवाकर की ओर से की गई जांच में तब्दीली के बाद अब अभियोजन केस एकदम स्पष्ट हो चुका है कि मामला हत्या और हत्या के प्रयास का है। एक साजिश रचते हुए गाड़ी चढ़ाकर मार डालने और मार डालने का प्रयास करने और अंग भंग करने की एकराय होकर यह हमला किया गया था, जिसे लेकर अब कोई शक या संदेह नहीं है कि यह घटना अकस्मात नहीं थी, बल्कि सोची समझी साजिश है।

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