अलीगढ़ में जहरीली शराब से अब तक 56 लोगों की हो चुकी है मौत, आँकड़े छुपाने में लगा हुआ है प्रशासन
इतनी मौतों के बावजूद सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। न तो आला अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की जा रही है और न ही जहरीली शराब से होने वाली मौतों को रोकने के लिये सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जहरीली शराब के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। अलीगढ़ में अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 51 के शव का पोस्टमार्टम हो चुका है। वहीं जिला प्रशासन आंकड़ों को छुपाने में लगा हुआ है। प्रशासन ने कई शवों का पोस्टमार्टम नही होने दिया है। शवों का जबरन अंतिम संस्कार कराया जा रहा है। अब तक 56 से 64 मौत का दावा मीडिया रेपोर्ट्स में किया जा रहा है।
स्थानीय सांसद ने डीएम को बताया जिम्मेदार
अलीगढ़ में जहरीली शराब से हुई मौतों पर बीजेपी सांसद सतीश गौतम मौतों के लिए सीधे तौर पर डीएम चंद्र भूषण सिंह को जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से जितनी भी मौतें हुई है सबके घर जाकर उनके परिजनों से मिलेंगे। वहीं सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा है कि जब डीएम अच्छे कामों की सराहना लेते हैं तो इसके लिए जिम्मेदार कैसे नहीं होंगे। जिलाधिकारी जिले का मालिक होता है, सब कुछ उसके नाक के नीचे हो रहा है। सांसद ने कहा कि वे रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। सांसद कहते हैं कि उन्होंने गांव-गांव जाकर शवों की गिनती की है।
अलीगढ़ में गुरुवार देर रात लोधा के करसुआ, खैर के अंडला और जवां के छेरत में लोगों ने अलग-अलग ठेकों से देसी शराब खरीदी थी। शराब पीने के बाद रात से ही मौतें होने लगी। शुक्रवार रात तक 27 लोगों की मौत हुई थी। प्रशासन ने देसी शराब के ठेके बंद कर दिए थे। इसके बावजूद शुक्रवार को भी चोरी से शराब बिकी। भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को पिसावा के शादीपुर और जट्टारी में लोगों ने शराब खरीदी और पी। शनिवार सुबह तक शादीपुर में 6 लोगों की मौत हो गई। लोधा में 11, खैर में 2, जवां में 2, टप्पल में 4, गभाना में 3 और पिसावा में दो की मौत हुई है। इसके अलावा छह से ज्यादा शवों का बगैर पोस्टमार्टम अंतिम संस्कार कराया जा चुका है।
बड़े अधिकारियों पर क्यों नहीं कोई कार्यवाही-
शराब कांड की मजिस्ट्रियल जांच चल रही है। एडीएम डीपी पाल मामले की जाँच कर रहे हैं। शराब कांड में अब तक सरकार ने जिला आबकारी अधिकारी धीरज शर्मा, आबकारी निरीक्षक राजेश यादव, प्रधान सिपाही अशोक कुमार, निरीक्षक चंद्र प्रकाश यादव, निरीक्षक लोधा अभय सिंह, सिपाही रामराज राना को सस्पेंड कर दिया है। लेकिन बड़े अधिकारियों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जिले के डीएम और एसएसपी पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। इतनी मौतों के बावजूद सरकार गंभीर नहीं दिख रही है। न तो आला अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की जा रही है और न ही जहरीली शराब से होने वाली मौतों को रोकने के लिये सरकार द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।