भगवान के सबसे महंगे दरबार तिरूपति बालाजी में 743 भक्त हुए पाॅजिटिव, तीन की मौत
तिरूपति मंदिर प्रबंधन ने मंदिर को बंद करने से इनकार कर दिया है और उन आरोपों को खारिज किया है कि सिर्फ आय के लिए मंदिर का पट खोल कर रखा गया है...
जनज्वार। आंध्रप्रदेश स्थित प्रसिद्ध मंदिर तिरूपति बालाजी मंदिर के 743 कर्मचारी व अन्य लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद भी मंदिर प्रबंधन की इसे बंद करने की कोई योजना नहीं है।
कोरोना से संक्रमित हुए 402 लोग संक्रमण से मुक्त भी हो चुके हैं। आम तौर पर किसी धार्मिक, सार्वजनिक स्थल या कार्यालयों में भी कोरोना संक्रमितों के मिलने के बाद उसे कम से कम तीन दिन के लिए कोरोना प्रोटोकाॅल के तहत बंद कर दिया जाता है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टाें के अनुसार, मंदिर प्रबंधन की दर्शन रोकने की कोई योजना नहीं है।
तिरूपति बालाजी मंदिर भारत का सबसे धनी मंदिर के रूप में माना जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। तिरूमाला तिरूपति देवस्थानम के मुख्य कार्यकारी एके सिंघल ने उन आलोचनाओं को खारिज किया है कि मंदिर का पट इस संक्रमण काल में सिर्फ आय के लिए खोल कर रखा गया है। वे कहते हैं कि श्रद्धालुओं को कोविड19 मानकों के अनुरूप सुविधा देने के लिए हम काफी अधिक धन खर्च कर रहे हैं।
तिरूपति को हिंदू धर्म का सबसे महंगा तीर्थस्थल व अमीर मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का सालाना बजट तीन हजार करोड़ रुपये है। दो महीने के लाॅकडाउन के समय मंदिर का पट बंद था, लेकिन अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद दर्शन के लिए उसे खोल दिया गया।
लाॅकडाउन में जब मंदिर बंद था तो उस समय यह खबर आयी थी कि श्रद्धालुओं का आगमन नहीं होने से मंदिर प्रबंधन अन्य स्रोतों से संचालन खर्च का प्रबंध करने की योजना पर काम कर रहा है।
सिंघल कहते हैं कि मंदिर को 80 दिनों के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोला गया।
मंदिर प्रबंधन की ओर से लाॅकडाउन पीरियर के दौरान दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग लेने वालों के रिफंड की व्यवस्था की गई थी, लेकिन अनलाॅक की प्रक्रिया शुरू होने पर इस अवधि में ऑनलाइन बुकिंग करवाने वालों के लिए रिफंड का प्रबंधन नहीं है। यानी अगर कोई श्रद्धालु इस समय दर्शन के लिए नहीं आएगा तो उसे उसके प्री बुकिंग के पैसे वापस नहीं मिल सकेंगे।