कल 26 मई को आंदोलन के 6 माह पूरे होने पर काला दिवस मनाएंगे किसान, सत्य व अहिंसा का संदेश भी देंगे

कल दिल्ली बॉर्डर समेत देश के सभी किसान मोर्चों पर किसान बुद्ध पूर्णिमा भी मनाएंगे। किसान एकता मोर्चा ने देशवासियों से बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार देश भर में मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा है- सत्य, अहिंसा के मार्गदर्शक महात्मा बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डालें। मोर्चे ने कहा है कि यह आंदोलन अहिंसक है व सत्य के लिए लड़ा जा रहा है।

Update: 2021-05-25 07:06 GMT

सिंघू बॉर्डर दिल्ली में जारी किसान आंदोलन, कल 26 मई को काला दिवस मनाएंगे किसान 

जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। 3 कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 6 महीने से आंदोलन पर कर रहे हैं । कल 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे हो रहे हैं। इस दिन को किसानों ने काला दिवस दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला किया है। कल किसान पूरे देश में काला दिवस मनाएंगे।

किसान अपने घरों और वाहनों पर काले झंडे लगाएंगे। आगामी 31 मई को एक और अहम बैठक होगी जिसमें किसान नेता आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।


बुद्ध पूर्णिमा मनाकर सत्य और अहिंसा का संदेश देंगे किसान-

कल दिल्ली बॉर्डर समेत देश के सभी किसान मोर्चों पर किसान बुद्ध पूर्णिमा भी मनाएंगे। किसान एकता मोर्चा ने देशवासियों से बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार देश भर में मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा है-  सत्य, अहिंसा के मार्गदर्शक महात्मा बुद्ध के जीवन पर प्रकाश डालें। मोर्चे ने कहा है कि यह आंदोलन अहिंसक है व सत्य के लिए लड़ा जा रहा है।

12 राजनीतिक दलों ने दिया किसानों को समर्थन

कल किसान मोर्चे द्वारा किए जाने वाले देशव्यापी प्रदर्शन को कांग्रेस समेत 12 विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया है।

एक संयुक्त बयान में विपक्षी दलों के द्वारा यह जानकारी दी गई है।

संयुक्त बयान में कहा गया है- हम किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के 6 महीने पूरे होने के मौके पर 26 मई को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत देशव्यापी प्रदर्शन को अपना समर्थन देते हैं। केंद्र सरकार को अड़ियल रवैया छोड़कर इन मुद्दों पर संयुक्त किसान मोर्चा से फिर से वार्ता शुरू करनी चाहिए।

बयान में कहा गया है- हमने 12 मई को संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि महामारी का शिकार बन रहे हमारे लाखों अन्नदाताओं को बचाने के लिए 3 कृषि कानून निरस्त किए जाएं।ताकि वे अपनी फसलें उगाकर भारतीय जनता का पेट भर सके।

बयान में कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप देने की मांग की गई है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से की थी बातचीत की अपील-

संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 मई को सरकार को पत्र लिखकर कृषि कानूनों पर बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया था। किसानों ने पत्र में चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार 25 मई तक बातचीत शुरु नही करती है तो आंदोलन को और तेज किया जायेगा। किसानों के बातचीत के निवेदन का सरकार ने कोई जवाब नही दिया है।

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