Tripura : न्यूज चैनल संपादक के आवास पर रेड, पत्रकारों ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने पर इस बात की चेतावनी दी
Tripura : त्रिपुरा के डिविजनल पुलिस ऑफिसर हिमाद्रि प्रसाद ने लोकल टीवी न्यूज चैनल एडिटर के आवास पर तलाशी के आरोपों को खारिज कर दिया है। हिमाद्रि का कहना है कि ऐसी कोई तलाशी नहीं हुई है।
Tripura : त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और खुमुलवंग प्रेस क्लबों के पत्रकारों ने त्रिपुरा पुलिस ( Tripura ) द्वारा एक स्थानीय टीवी समाचार चैनल के संपादक के आवास ( Editors house raided ) पर 30 मई को बिना किसी वारंट के कथित तलाशी अभियान ( Search Operation ) की सख्त शब्दों में निंदा की है। पत्रकारों ने तलाशी अभियान में शामिल अधिकारियों व पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। त्रिपुरा प्रेस क्लबों ने संपादक के घर तलाशी अभियान को मीडिया संस्थान और उनके रिश्तेदारों को परेशान करने की कार्रवाई करार दिया है। बता दें कि लोकल न्यूज चैनल के एडिटर के आवास ( Local News channel residence ) पर कथित तलाशी ( Raids ) एक स्थानीय टेलीविजन पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद हुई है।
कार्रवाई न होने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी
लोकल न्यूज चैनल के संपादक के आवास पर तलाशी का मामला सामने आने के बाद खुमुलवुंग प्रेस क्लब के अध्यक्ष अंगशु देबबर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधीक्षक (पश्चिम) से मुलाकात की और कथित तलाशी अभियान में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। क्लब की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने एसपी को घटना की जानकारी दी है। अगर कथित दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो पत्रकार लोकतांत्रिक तरीके से विरोध आंदोलन में शामिल होंगे। एसपी ने 3 दिन के भीतर कार्रवाई का वादा किया है।
प्रतिनिधिमंडल में अगरतला प्रेस क्लब के सचिव प्रणब सरकार, त्रिपुरा इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया सोसाइटी के सचिव सौरजीत पाल, एफडीपीएमसी के महासचिव सेबक भट्टाचार्य, मनीष आचार्य, सर्च इंडिया के मुख्य संपादक, खुमुलवंग प्रेस क्लब के अध्यक्ष अंगशुमोय देबबर्मा, खुमुलवंग प्रेस क्लब के सचिव रंजीत देबबर्मा और राइजिंग त्रिपुरा के संपादक हनीफ अली शामिल थे।
किसी के घर नहीं हुई कोई तलाशी : हिमाद्री
त्रिपुरा जिरानिया अनुमंडल पुलिस अधिकारी हिमाद्री प्रसाद ने तलाशी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि किसी के घर में कोई तलाशी नहीं ली गई है। हमने कुछ लोगों से लापता वाहन की शिकायत के संबंध में पूछा लेकिन किसी के घर की तलाशी नहीं ली गई। हमें अभी तक इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है।
2 वर्षों में 39 मीडियाकर्मियों पर हमले का दावा
दूसरी तरफ स्थानीय मीडिया अधिकार निकाय और असेंबली ऑफ जर्नलिस्ट्स का दावा है कि त्रिपुरा में पिछले दो वर्षों में मीडियाकर्मियों के हमले में कम से कम 39 मामले सामने आए हैं।एओजे का कहना है कि इनमें से अधिकांश में पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत शामिल थी, लेकिन घटनाओं को लेकर किसी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। त्रिपुरा ( Tripura ) में ड्यूटी के दौरान कथित तौर पर दो पत्रकार भी मारे जा चुके हैं। दोनों मामलों की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है।
फरवरी 2021 में राइट एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप की ओर से जारी रिपोर्ट कहती है कि सबसे ज्यादा पत्रकारों को निशाना बनाए जाने वाले राज्यों में त्रिपुरा ( Tripura ) भी शामिल है। पत्रकारों पर हमलों के मामले में जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद त्रिपुरा का ही नंबर आता है।
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