त्रिपुरा सरकार ने अगरतला के DM को हटाया, निष्पक्ष जांच के लिए डॉ. शैलेश यादव ने खुद किया था आग्रह

कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि मुख्य सचिव ने उनके पत्र को स्वीकार कर लिया और उन्हें जिला मजिस्ट्रेट के अपने पद से मुक्त कर दिया....

Update: 2021-05-03 12:26 GMT

जनज्वार डेस्क। त्रिपुरा सरकार ने अगरतला के जिलाधिकारी डॉ. शैलेश कुमार यादव को हटा लिया है। उनके खिलाफ कोरोना गाइडलाइन्स के उल्लंघन के आरोप में एक शादी समारोह के दौरान दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा है। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। रविवार को मुख्य सचिव मनोज कुमार को लिखे पत्र में शैलेश यादव ने उनसे अगरतला के डीएम के प्रभार से मुक्त करने का अनुरोध किया था, क्योंकि इस घटना के बारे में उनसे पूछताछ चल रही है।

यादव ने पत्र में लिखा था, 'त्रिपुरा सरकार ने 26 अप्रैल 2021 की रात को हुई घटनाओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। निष्पक्ष जांच के लिए मैं खुद को पश्चिमी जिला के डीएम पद के प्रभार खुद को मुक्त करने के लिए अनुरोध करता हूं।'

कानून मंत्री रतन लाल नाथ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, 'मुख्य सचिव ने उनके पत्र को स्वीकार कर लिया और उन्हें जिला मजिस्ट्रेट के अपने पद से मुक्त कर दिया। उद्योग और वाणिज्य विभाग के निदेशक रवेल हमेंद्र कुमार को फिलहाल पश्चिम जिला मजिस्ट्रेट का प्रभार दिया गया है।'

बता दें कि जिलाधिकारी शैलेश कुमार यादव ने 26 अप्रैल को पहले जिले में कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल का जायजा लिया। इसके बाद जब वह वहां से आए तो उन्हें रास्ते में किसी मैरीज हॉल में शादी समारोह चल रहा था। इसको देखते हुए जिलाधिकारी आक्रोशित हो गए और उन्होंने हॉल को तुरंत खाली करने के लिए कहा। 

डॉ. शैलेश कुमार के मुताबिक कोरोना गाइडलाइंस का उल्लंघन हुआ है क्योंकि रात दस बजे के बाद मैरीज हॉल में शादी समारोह चल रहा था। वायरल वीडियो में वह यह कहते हुए भी सुनाई दिए थे कि ये अमीर लोग हैं, गरीब नहीं है, पढ़े लिखे लोग हैं। वहीं दूसरी से शादी समारोह वालों की ओर दुर्व्यवहार और मेहमनाओं से अपमान करने का आरोप लगाया गया है। 

हालांकि जब वीडियो वायरल हुआ तो डॉ. शैलेश यादव ने माफी मांगते हुए कहा कि यह कार्रवाई बड़े जनहित को ध्यान में रखते हुए की गई थी। कोरोनो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अपने कर्तव्य के अनुसार कानून-व्यवस्था लागू की थी।

घटना के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस घटना पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा और इस मामले की जांच के लिए दो आईएएस अधिकारियों की एक समिति गठित की गई। 

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