यूपी-बिहार बॉर्डर के 5 जिलों की हकीकत : 1 करोड़ 68 लाख की आबादी पर सिर्फ 2 आईसीयू और 18 वेंटिलेटर
मौजूद वेंटिलेटर की कुल 18 संख्या में से अगर आबादी के अनुसार गिनती करें तो नौ लाख 36 हजार 111 की जनसंख्या पर एक वेंटिलेटर पड़ेगा । इसी तरह कोरोना मरीजों के लिए कुल 1716 बेड हैं ....
जितेंद्र उपाध्याय की विशेष रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हो या बिहार के सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार की सरकार। कोरोना काल में दोनों के स्वास्थ्य इंतजाम को लेकर बड़े-बड़े दावे हैं। इन दावों में कितना दम है यह पांच जिलों की तस्वीरों से साफ है। ठेठ भोजपुरिया पहचान वाले जिले हैं उत्तर प्रदेश का देवरिया , कुशीनगर ,बलिया तथा बिहार का सिवान व गोपालगंज।
इन जिलों के कुल एक करोड़ 68 लाख 50 हजार आबादी की बीच मात्र गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) दो है तथा 9 लाख 36 हजार 111 आबादी पर 1 वेंटिलेटर। इन जिलों में हर दिन ऑक्सीजन व बेड के अभाव में सांसे थम रही हैं। कोरोना के कहर के सामने ये इंतजाम किसी डरावनी तस्वीर से कम नहीं है। इसके बावजूद नेताओं के बयानबाजी को निर्लजता पूर्ण व्यवहार न कहा जाए तो फिर क्या?
कहा गया है कि बोये पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए। मौजूदा इंतजाम को लेकर यह कहावत सत्य है। जाति व मजहब की खेती कर चुनावों में जीत का फसल काटने वाले इन रहनुमाओं के ऊपर लोगों का गुस्सा वाजिब है। बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज अस्पतालों में भर्ती होने से ऐसे नहीं डर रहे हैं। डेढ़ करोड़ से अधिक की आबादी की बीच इलाज के संसाधनों के नाम पर मुठी भर इंतजाम को सुनकर हर किसी को रोना आए। इसके बाद भी तत्काल इंतजाम करने के बजाए इनके आईटी सेल रोज इंतजाम के झूठे आंकड़ों का पुलिंदा तैयार करने व नारों को गढ़ने में जुटा है।
दोनों राज्यों के स्वास्थ इंतजाम की हकीकत जानने के लिए हमने इन पांच जिलों की हड़ताल की। जहां के आंकड़ों की हकीकत यह है कि कुल एक करोड़ 68 लाख से अधिक की आबादी के बीच मात्र 2 आईसीयू चालू हालत में है। मौजूद वेंटिलेटर की कुल 18 संख्या में से अगर आबादी के अनुसार गिनती करें तो नौ लाख 36 हजार 111 की जनसंख्या पर एक वेंटिलेटर पड़ेगा । इसी तरह कोविड मरीजों के लिए कुल 1716 बेड हैं । जिसका आबादी के आधार पर आकलन करें तो 9819 लोगों के बीच एक बेड की उपलब्धता है।
बलिया में आईसीयू व वेंटिलेटर का नहीं कोई इंतजाम
32 लाख आबादी वाले जिले बलिया का स्वास्थ इंतजाम ही वेंटिलेटर पर है। कोरोना संक्रमित आज भी ऑक्सीजन के संकट से जूझ रहे हैं। सदर अस्पताल के अलावा शांति नरसिंह कॉलेज शंकरपुर, सामुदायिक स्वास्थ केंद्र फेफना व बसंतपुर में कोविड अस्पताल चालू है। यहां कुल वेडों की संख्या 150 है। जिले में कोई ऑक्सीजन प्लांट न होने से दूसरे जिलो का ही भरोसा है।
यहां हर दिन जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर मऊ, 150 किलोमीटर आजमगढ़, 160 किलोमीटर वाराणसी की दूरी तय कर ऑक्सीजन मंगाया जाता है। जिसके चलते समय पर ऑक्सीजन न मिलने से कईयों की सांसे अब तक थम चुकी है। यहां कोई सघन चिकित्सा कक्षा (आईसीयू) का इंतजाम नहीं है। शासन द्वारा 17 वेंटिलेटर दिए गए हैं पर ऑपरेटर के अभाव व तकनीकी कारणों से कोई भी चालू हालत में नहीं है।
इलाज के अभाव में दो भाइयों की थम गई सांस
हर दिन ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों की मौत हो रही है। बलिया जिले के व्यवसाई अशोक गुप्ता व अमित गुप्ता सगे भाइयों की मौत की कहानी सुनकर हर किसी की आंखें भर आएगी। पांच दिनों के अंदर दोनों की ऑक्सीजन की कमी से मौत ने पूरे परिवार को उजाड़ दिया। आज भी परिवार का तीसरा सदस्य कोरोना से जूझ रहा है। मैं थक भाइयों के मित्र सुनील सिंह ने कहा कि ऑक्सीजन लेवल कम होने पर अनिल को हम लोगों ने मऊ भर्ती कराया । जहां इलाज के उचित इंतजाम न होने पर डॉक्टरों ने आजमगढ़ ले जाने की सलाह दी । लेकिन तब तक कोरोना की जांच रिपोर्ट न आने के चलते आजमगढ़ में चिकित्सकों ने भर्ती करने से इंकार कर दिया। लिहाजा लौटकर बलिया ले जाते समय मौत हो गई। इसके 3 दिन बाद ही अनिल के भाई अशोक की हालत बिगड़ गई। जिला अस्पताल में ऑक्सीजन उपलब्ध न होने से जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से मदद की गुहार की। काफी जद्दोजहद के बाद ऑक्सीजन उपलब्ध हुआ। लेकिन ऑक्सीजन लेबल में कुछ देर बाद सुधार होने पर चिकित्सकों ने ऑक्सीजन सिलेंडर को अन्य मरीज को लगा दिया तथा इन्हें घर जाने की सलाह दी। लेकिन कुछ घंटे बाद ही इनकी मौत हो गई। दो भाइयो को गवाने के बाद तीसरे भाई सत्यनारायण का अभी इलाज चल रहा है। अशोक व अनिल जैसे कितने लोग अब तक ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ चुके हैं इसका सही सही आकलन करना मुश्किल है।
देवरिया : 38 लाख आबादी पर आईसीयू शून्य व वेंटिलेटर चार
तकरीबन 38 लाख आबादी वाले देवरिया जिले के स्वास्थ्य इंतजाम की हकीकत यह है कि बड़ी आबादी के बाद भी कोरोना मरीजों के लिए एक भी आईसीयू उपलब्ध नहीं है। जिले में शासन द्वारा 14 वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए हैं पर मात्र चार चालू हालत में बताए जा रहे हैं। यहां संक्रमित मरीजों के लिए बेडों की संख्या 346 है। जिसमें महिला अस्पताल में एल वन व एल टू अस्पताल के अलावा नगर में सावित्री नरसिंग होम, आस्था नरसिंग होम, डिस्चार्ज अस्पताल व वेदांत अस्पताल शामिल है। जिले में आप सीजन प्लांट 9 होने से गोरखपुर से ऑक्सीजन मंगाए जाते हैं।
कुशीनगर जिले में 40 लाख की आबादी पर कोरोना मरीजों के लिए 100 बेड
कुशीनगर जिले के कुल 40 लाख आबादी की बीच स्वास्थ्य इंतजाम का हाल यहां भी नाकाफी है। स्वास्थ्य प्रशासन के मुताबिक यहां मौजूद एक आईसीयू 25 वेंटिलेटर लगे हैं। जिसमें से 10 चालू हालत में हैं। ऑक्सीजन की कमी यहां भी एक पड़ी समस्या बनी हुई है। हर दिन 120 से 140 ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग है, जिसके सापेक्ष अस्सी सिलेंडर की उपलब्धता को पा रही है। जिले में बी टाइप सिलेंडर 1048 व डी टाइप सिलेंडर 1798 है। 3747 जंबो सिलेंडर की आवश्यकता है। जिले में कोई ऑक्सीजन प्लांट नहीं है। कोविड अस्पताल का इंतजाम देख रहे जॉइंट मजिस्ट्रेट फूलचंद वोरा का कहना है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। आवश्यकता के अनुसार मरीजों के लिए बेड की संख्या भी लगातार बढ़ाई जा रही है।
सीवान: तीस लाख आबादी पर एक आईसीयू व चार वेंटिलेटर
बिहार के सिवान जिले के स्वास्थ इंतजाम की तस्वीर यह है कि तकरीबन 30 लाख आबादी के बीच एक आईसीयू उपलब्ध है। इसके अलावा चालू हालत में वेंटिलेटर की संख्या 4 है। यहां स्वास्थ इंतजाम के लिहाज से बेहतर बात यह है कि हवा से ऑक्सीजन जेनरेट की जाने वाली कंसट्रेटेर पोर्टेबल मशीन उपलब्ध है। जिसकी संख्या 96 है। जिसे पिछले वर्ष शासन ने उपलब्ध कराया था। लेकिन यह गोदाम में धूल फांकता रहा।
कोरोना की दूसरी लहर जब चरम पर पहुंची तो आननफान न में इसे चालू करने की प्रक्रिया शुरु की गई है। कोरोना अस्पताल के रूप में सदर अस्पताल के अलावा डायट सिवान व रेफरल अस्पताल महाराजगंज में 100- 100 बेड का इंतजाम है। लेकिन बढ़ते संक्रमित मरीजों की संख्या के चलते बेड के अभाव में इन भटकना पड़ रहा है।
जिलाधिकारी अमित कुमार पांडेय ने कहा कि आज से सदर अस्पताल, सिवान के इंसेंटिव केअर यूनिट में वेंटिलेटर की सुविधा बहाल कर दी गई है। फिलहाल सदर अस्पताल के आई०सी०यू० में चार वेंटिलेटर एवं दस बाइलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर स्थापित कर क्रियाशील करते हुए गंभीर मरीजों का इलाज शुरू कर दी गयी है।जिलाधिकारी के इस पहल से आपात स्थितियों में गंभीर मरीजों को स्थानीय स्तर पर जीवन रक्षक चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने में भरपूर मदद मिलेगी।
गोपालगंज: 28 लाख 50 हजार की आबादी पर न आईसीयू व न वेंटिलेटर
जिला प्रशासन कोरोना मरीजों के लिए बेहतर स्वास्थ्य इंतजाम का दावा करें पर यहां भी हकीकत निराशाजनक है। विभाग चार कोविड केयर सेंटर व 920 वेड का दावा करता है पर हकीकत यह है कि हर दिन मरीज बेड के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। यहां सबसे खराब हालत या है कि आईसीयू तक उपलब्ध नहीं है तथा कोई वेंटिलेटर चालू हालत में नहीं है।
आंकड़ों में बात करें तो अस्सी फीसद चिकित्सक व कर्मियों के पद खाली पड़े हैं। वर्ष 2013 में 65 लाख की मशीनें आई ।लेकिन रख रखाव के अभाव में सब बेकार पड़े हैं। जिले में छह कोविड अस्पताल व 920 वेड मौजूद हैं। जिसमें डायट थावे , जीएनएम गर्ल्स हॉस्टल हथुवा, जीएनएम ब्वॉयज हॉस्टल , पारा मेडिकल ब्वॉयज हॉस्टल, एनम स्कूल बैकुंठपुर, झझवा अस्पताल सिधवलिया शामिल है। जिलाधिकारी डा. नवल किशोर चोधरी ने दावा किया कि ऑक्सीजन की जिले में पर्याप्त उपलब्धता है। लगातार और बेहतर इंतजाम के प्रयास किए जा रहे हैं।