Uddhav Thackeray न तो बालासाहेब और न ही शरद पवार की रख पाए लाज, अब क्या करेंगे सरताज

उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) ने अब भी सही फैसला नहीं लिया तो वो न घर के रहेंगे न घाट के। पार्टी की विचारधारा से दूरी बनाकर वह अपने पांव पर दो साल पहले कुल्हाड़ी मार चुके हैं।

Update: 2022-06-23 10:25 GMT

Maharashtra political crisis: बागी विधायकों से बोले CM ठाकरे मेरे सामने आकर बोलें, मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं,

Maharashtra : महाराष्ट्र में रजनीतिक संकट ( Maharashtra Political Crisis ) पहले से ज्यादा गहरा गया है। सीएम उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) न तो बालासाहेब ( Balasaheb Thackeray ) के हिंदू साम्राज्य की रक्षा कर पाए न ही महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य व एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ( Sharad pawar ) की लाज। हालात ये हैं कि अब वो अपने घर में भी बेगाने हो हो गए हैं। उनके पास शिवसेना ( Shiv Sena ) के 55 में से केवल 13 विधायक है। उसमें उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे भी शामिल हैं, जो महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी हैं।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि अब वो क्या करेंगे। क्या सीएम पद से इस्तीफा देंगे या अभी भी अपनी जिद पर अड़े रहेंगे। जैसाकि शिवसेना ( Shiv Sena ) सांसद और प्रवक्ता संजय राउत कह रहे हैं।

फिलहाल, इतना तय है कि अब शिवसेना ( Shiv Sena ) प्रमुख के पास विकल्प सीमित और समय भी कम है। जो विकल्प है उनमें से किसी एक पर फैसला लेना होगा। ये फैसला कब लेंगे ये भी उन्हें ही तय करना है। 13 विधायकों के दम पर सरकार को बनाए रखना संभव नहीं है। उद्धव ठाकरे की समस्या यह है कि इन हालातों में अगर वो ( Uddhav Thackeray ) इस्तीफा देते हैं तो महाराष्ट्र के क्षत्रप शरद पवार की नाराजगी का उन्हें सामना करना पर सकता है। यानि शिवसेना प्रमुख के सियासी हालात आगे और पीछे दोनों स्थिमि में राजनीतिक मौत का कुआं के समान है।

अब मुख्य बात ये है कि वो चाहते हुए भी सीएम पद की जिद नहीं कर सकते। अगर वो ऐसा करेंगे तो उनकी छवि और खराब होगी और उन्हें अपमान का घूंट भी पीना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए की शिवसेना के 55 में से 42 एमएलए अब एकनाथ शिंदे के साथ है। खास बात ये है कि बागी और करीबी नेता एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ हैं।

ऐसे में उद्धव ( Uddhav Thackeray ) के पास एक ही विकल्प है कि वो अपने पद से इस्तिफा दे दें लेकिन खतरा ये है कि शरद पवार और कांग्रेस के नेता नारज हो जाएंगे, जिनके समर्थन से करीब ढ़ाई साल पहले सीएम बने थे। सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अपना था। यानि बालासाहेब के सिद्धांतों से अलग अपने लिए सियासी राह तय करने का उन्होंने फैसला लिया था। सच ये है कि सीएम बनने के लिए उनके पास इसके सिवाय और कोई विकल्प भी नहीं था।

उद्धव ( Uddhav Thackeray ) के इस फैसले से शिवसेना के एमएलए और विधायक इतने नाराज हुए की उस समय तो कुछ नहीं बोल पाये लेकिन अब एकनाथ शिदें के नेतृत्व में विधायकों बगावत कर दिया। उद्धव ठाकरे के हालात यहां तक ​​खराब हो गए हैं कि अब असली शिवसेना भी उनके पास नहीं है। इसको लेकर पिछले तीन दिनों से लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। शिंदे कहते हैं कि असली शिवसेना अब उनका गुट है।

इन परिस्थितियों में उनके लिए बेहतर यही है कि वो एनसीपी और कांग्रेस नेताओं की नरजगी मोल लेते अपने पद से इस्तीफा दे दें और एकनाथ का प्रस्ताव स्वीकार कर लें। ऐसा करने पर वो शिवसेना ( Shiv Sena ) का हिसा बने रहेंगे। साथ ही माकूल स्थिति होने पर पार्टी पर पहले की तरह काबिज भी हो पाएंगे। ऐसा न करने पर न तो उनके सहयोगी उनके साथ रहेंगे, न ही शिवसेना। यानी उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) ने अब भी सही फैसला नहीं लिया तो वो न घर के रहेंगे न घाट के। पार्टी की विचारधारा से दूरी बनाकर वह अपने पांव पर दो साल पहले कुल्हाड़ी मार चुके हैं।

Tags:    

Similar News