Unemployment in India : मोदी सरकार के 8 वर्षों में आए सरकारी नौकरियों के 22 करोड़ आवेदन, 1% को भी नहीं मिल पाई जॉब
Unemployment in India : 22 करोड़ युवा 8 सालों में सरकारी नौकरियों के लिए कतार में लगे, पर नौकरी मिली सिर्फ 7.22 लाख को मिली। यानि 1000 में से सिर्फ 3 युवाओं को नौकरी मिली।
Unemployment in India : देर से ही सही मोदी सरकार ( Modi Government ) ने मान लिया है कि वो देश के बेरोजगार ( Unemployment in India ) युवाओं को रोजगार देने में पूरी तरह से विफल रही है। ये बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि केंद्र ने जो संसद में आंकड़े पेश किए हैं वही ये बता रहे हैं। यानि रोजगार के मोर्चे पर विपक्षी पार्टियों का आरोप निराधार नहीं है। मोदी सरकार की इस स्वीकारोक्ति के बाद भी चिंता की बात ये है कि सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के नाम पर क्या करने की योजना में है, को लेकर कोई रोडमैप पेश करने के लिए तैयार नहीं है।
जून में मोदी सरकार ( Modi government ) के आठ साल पूरे होने पर इतना भर कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वो 10 युवाओं को रोजगार ( employment ) देने की योजना पर काम कर रही है।
रोजगार को लेकर ये है केंद्र सरकार का जवाब
केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया है कि बीते आठ सालों में उसके विभिन्न विभागों में नौकरी के 22.05 करोड़ आवेदन आये। इनमें से केवल 7.22 लाख आवेदकों को ही नौकरी मिल सकी जो कुल आवेदनों का एक फीसदी से भी कम है। इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में बेरोजगारी ( Unemployment in India ) स्तर कितना विस्फोटक है।
मोदी जी से सवाल पूछो तो उन्हें गुस्सा आता है
एक दिन पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटकर बताया था कि 22 करोड़ युवा 8 सालों में सरकारी नौकरियों के लिए कतार में लगे, पर नौकरी मिली सिर्फ 7.22 लाख को मिली। यानि 1000 में से सिर्फ 3 युवाओं को नौकरी मिली। ऐसे स्थिति में अगर बेरोजगारी पर सवाल पूछो तो राजा को गुस्सा आता है। सच तो ये है कि रोजगार देना इनके बस की बात नहीं। बेरोजगार ( Unemployment in India ) युवा देश के भविष्य हैं। जबकि भाजपा उन्हें देनदारी दिखा रही है। उन्होंने अपने ट्विट में इस बात का भी जिक्र किया है कि लोकसभा में सरकार द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने से लेकर अब तक अलग.अलग सरकारी विभागों में कुल 7 लाख 22 हजार 311 आवेदकों को सरकारी नौकरी दी गई है। सरकार द्वारा दिए आंकड़ों के मुताबिक सबसे कम नौकरी 2018-19 में महज 38,100 लोगों को ही मिली, जबकि उस साल सबसे ज्यादा यानी 5 करोड़ 9 लाख 36 हजार 479 लोगों ने आवेदन किया था। 2019-20 में एक पहले की तुलना में अधिक यानी 1,47,096 युवा सरकारी नौकरी हासिल करने में सफल रहे।
30 लाख पद तो केंद्रीय एजेंसियों में ही खाली पड़े हैं
केंद्र और राज्य स्तर पर 60 लाख से ज्यादा पद खाली हैं। इनमें केंद्रीय एजेंसियों में लगभग 30 लाख पद खाली है। देश के अलग-अलग राज्य सरकारों को छोड़ भी दिया जाये तो अकेले केंद्र सरकार में ही लगभग 30 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं। करीब इतने ही पद राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में खाली पड़े हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के डेटाबेस पर आधारित सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत की बेरोजगारी दर ( Unemployment in India ) बढ़ कर 7.11 प्रतिशत हो गई थी। मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के आंकड़ों के अनुसार तब से देश में बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत से ऊपर ही बनी हुई है। जून 2022 में देश में रोजगार दर में गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि, जुलाई में रोजगार दर बढ़ती दिख रही है।
आर्थिक थिंक.टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। सीएमआईई ने जून 2022 में रोजगार दर में भारी गिरावट के बाद चालू महीने में इसमें सुधार का अनुमान जताया है। सीएमआईई के मुताबिक 12 जुलाई के बाद पिछले तीन दिनों में बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट का रुख देखा जा रहा है। गत 12 जुलाई को बेरोजगारी दर 7.33 फीसदी, 13 जुलाई को 7.46 फीसदी और 14 जुलाई को 7.29 फीसदी आंकी गई।
जून में 7.80% थी बेरोजगारी दर
जून 2022 में अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी दर 7.80 फीसदी थी। बेरोजगारी का यह आंकड़ा शहरी क्षेत्र में 7.30 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 8.03 फीसदी रहा। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक मई 2022 में अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 7.12 फीसदी रही थी। सीएमआईई ने कहा कि भारत के जून 2022 के श्रम आंकड़े बेहद निराशाजनक रहे हैं। रोजगार मई 2022 में 40.4 करोड़ से घटकर जून 2022 में 39.0 करोड़ रह गया। एजेंसी ने कहा कि इससे पता चलता है कि जून में श्रम बाजार सिकुड़ गया था। एजेंसी ने कहा कि श्रम भागीदारी दर जून में अपने निम्नतम स्तर 38.8 फीसदी पर पहुंच गई जो उससे पहले के दो महीनों में 40 फीसदी पर रही थी।
बेरोजगारी के मामले में हरियाणा सबसे आगे
सीएमआईई के मुताबिक जून 2022 में वेतनभोगी नौकरियों की संख्या में करीब 25 लाख की गिरावट दर्ज की गई। इस तरह वेतनभोगी तबके के लिए हालात प्रतिकूल होते हुए नजर आ रहे हैं। उसके लिए राहत तभी हो सकती है जब अर्थव्यवस्था अधिक तेज गति से बढ़े ताकि ज्यादा रोजगार अवसर पैदा हो सकें। अगर राज्यवार बेरोजगारी ( Unemployment in India ) आंकड़ों पर गौर करें तो हरियाणा 30.6 फीसदी बेरोजगारी के साथ सबसे आगे रहा। जबकि पश्चिम बंगाल 5.2 फीसदी के साथ सबसे कम बेरोजगारी वाला राज्य रहा।
हर साल 2 करोड़ नौकरी का क्या हुआ
Unemployment in India : राहुल गांधी का वाल है कि लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था। समय बीतने के साथ भाजपा के ये वादे छलावा साबित हुए। 2014 के बाद बेरोजगारी से जुड़े आंकड़ों ने सत्तारूण भाजपा के दावों की कलई खोलकर रख दी। 16 जून 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी ने अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने का ऐलान किया है। पीएम ने ट्वीट कर सभी विभागों और मंत्रालयों में अगले डेढ़ साल के दौरान 10 लाख लोगों की भर्ती करने का निर्देश दिए हैं। यहां पर भी मेरा सवाल वही है कि उनके और उनकी पार्टी द्वारा दो करोड़ रोजगार देने के वादे का क्या हुआ? इस पर पीएम ने अभी तक कुछ नहीं बोला। पिछले 50 वर्षों में बेरोजगारी दर ( Unemployment in India ) सबसे ज्यादा यानि लगातार 7 फीसदी से ज्यादा है।