गोंडा ट्रेन दुर्घटना के बाद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे और मोदी सरकार सवालों के घेरे में, 3 यात्रियों की मौत और 3 दर्जन घायल

एक महीना पहले ही कंचनजंघा एक्सप्रेस भीषण रूप से पश्चिम बंगाल में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई थी और पांच दर्जन से ऊपर घायल हुए थे, उसके एक साल पहले उड़ीसा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में करीब 300 मारे गए थे और 1100 घायल हुए थे, तब भी रेलवे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे...

Update: 2024-07-19 06:13 GMT

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में कल बृहस्पतिवार 18 जुलाई को चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही गोंडा-गोरखपुर रेल खंड पर मोतीगंज तथा झिलाही रेलवे स्टेशन के बीच चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ साप्ताहिक एक्सप्रेस के 8 डिब्बे पटरी से उतर गये थे, जिसमें आधिकारिक सूचना के मुताबिक तीन यात्रियों की मौत तथा लगभग 3 दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गये।

भाकपा (माले) ने गोंडा के निकट 15904 चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की दुखदायी घटना में मौतों पर गहरा शोक व परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और अपनी गोंडा इकाई को घायलों का हालचाल जानने और भरसक मदद के लिए निर्देश दिया।

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भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा, रेलवे सुरक्षा को लेकर भारतीय रेल और केन्द्र सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने बचाव कार्य युद्ध स्तर पर करने, घायलों को तत्काल मेडिकल केयर देने व उनका पुनर्वास करने, मृतकों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने और बार-बार हो रही रेल दुर्घटनाओं पर सुरक्षा संबंधी गहन समीक्षा करने की मांग की।

उन्होंने कहा कि एक महीना पहले ही कंचनजंघा एक्सप्रेस भीषण रूप से पश्चिम बंगाल में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई थी और पांच दर्जन से ऊपर घायल हुए थे। उसके एक साल पहले उड़ीसा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना में करीब 300 मारे गए थे और 1100 घायल हुए थे। तब भी रेलवे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे।

राज्य सचिव ने कहा कि डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की ताजा घटना में 14 डिब्बों के बेपटरी होने से अभी तक तीन मौतें, दो यात्रियों के पैर कट जाने और दो दर्जन यात्रियों के घायल होने की सूचना है। कहा कि करोड़ों रुपये महंगी रेलें चलाने पर खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन रेल व यात्री सुरक्षा के नाम पर लगातार लापरवाही हो रही है। इसकी जांच होनी चाहिए और ठोस उपाय किये जाने चाहिए, ताकि भविष्य में रेल दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

माले की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि रेलवे स्टाफ की संख्या में लगातार कटौती की जा रही है, निजीकरण व ठेकाकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। रेलवे का सुरक्षा तंत्र, रखरखाव और आधुनिकीकरण निरंतर सरकार की आपराधिक लापरवाही का शिकार बन रहा है, जिससे दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। रेलवे को निजीकरण नहीं, आधुनिकीकरण और पर्याप्त नई भर्तियों की जरूरत है, जिसमें सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना शामिल है।

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