UP News: मैनपुरी में छात्रा की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार, 6 हफ्ते में जांच पूरी करने के आदेश दिए
UP News: मैनपुरी के एक गांव की कक्षा 11 की छात्रा का शव जवाहर नवोदय विद्यालय के हॉस्टल के कमरे में लटका मिला था....
UP News जनज्वार। सिंतबर 2019 में मैनपुरी (mainpuri) में नाबालिग छात्रा की स्कूल परिसर में हुई संदिग्ध मौत के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad highcourt) ने एसआईटी ( special investigation team) को 6 हफ्ते में जांच पूरी करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस की कार्यप्रणाली (Court angry over police functioning) पर नाराज़गी जताई औऱ केस संबंधी सवालों के माकूल जवाब न दे पाने पर राज्य के पुलिस महानिदेशक ( director general of police) को प्रयागराज (prayagraj) में ही रोका और फाइल पढ़कर पूरी तैयारी के साथ अगले दिन कोर्ट आने का फरमान सुनाया।
कोर्ट ने आदेश दिए पीड़िता के माता-पिता को सुरक्षा भी मुहैया करवाई जाए। साथ ही आदेश दिए कि जांच से अदालत और हाई कोर्ट की बार असोसिएशन को अवगत करवाया जाए। साल 2019 में 16 सितंबर को हुई इस घटना की एफ़आईआर 17 जुलाई 2021 को दर्ज कराई गई है। इस बात पर भी कोर्ट ने नाराज़गी जताई कि तीन महीने बाद भी गंभीर आरोप होने के बावजूद अभियुक्तों से पूछताछ नहीं की गई। कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद डीजीपी (dgp) ने मामले की जांच के लिए छह सदस्यीय एक विशेष जांच टीम (6 member special team) गठित की है और लापरवाही के कारण कुछ अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी की है।
यह है मामला
16 सितंबर 2019 को मैनपुरी के एक गांव की रहने वाली कक्षा 11 की छात्रा का शव जवाहर नवोदय विद्यालय (navoday vidhyalay) के हॉस्टल के कमरे में लटका मिला था। पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था जिसमें छात्रा के बैग से एक सुसाइड नोट (suicide note) भी मिला था, जिसमें उसने कॉलेज के प्रिंसिपल और एक छात्र पर परेशान करने का आरोप लगाया था। वहीं परिजनों ने इस मामले में रेप के बाद हत्या (murder after rape) का आरोप लगाते हुए भोगांव थाने में एफ़आईआर (fir) दर्ज कराई थी। लंबे प्रदर्शन के बाद मामले की जांच सीबीआई (central bureau of investigation) को सौंपी गई लेकिन जांच मैनपुरी पुलिस ही करती रही।
दो साल बाद भी जब मामले में कार्यवाही नहीं हुई तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक ( director general of police) को तलब किया। कोर्ट ने इस मामले की केस डायरी 24 अगस्त को मंगाई थी। मंगलवार को केस डायरी के साथ एसआईटी (sit) टीम के सदस्य हाईकोर्ट में हाज़िर हुए थे। लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ के सामने डीजीपी मुकुल गोयल कोर्ट के सवालों का जबाव नहीं दे पाए। जिसके बाद नाराज कोर्ट ने डीजीपी को अगले दिन पूरी तैयारी के साथ आने को कहा और तब तक उन्हें प्रयागराज में ही रुकने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पॉक्सो ऐक्ट से संबंधित मुक़दमों में जांच प्रक्रिया अधिकतम दो महीने में पूरी की जाए।
कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद अब पुलिस ने कार्यवाही में तेजी लाई है। वहीं मामले में जनहित याचिका (PIL) दायर करने वाले मैनपुरी के ही रहने वाले 84 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि लड़की के साथ न्याय नहीं हो रहा है। इसमें बड़े लोग शामिल हो सकते हैं लेकिन मैं जल्दी हार नहीं मानूंगा।