UP News : सपा गठबंधन की बैठक छोड़ दिल्ली पहुंचे शिवपाल यादव, जानिए क्या है प्रसपा प्रमुख के रूठने की वजह?
UP News : भगवान राम ने लंका का युद्ध उनकी वजह से ही जीता था। हनुमान ने ही लक्ष्मण की जान बचाई थी। इसके बावजूद भगवान राम को भी कठिन परिस्थितियों का सामना किया। लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई।
UP News : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh yadav ) के परिवार में एका के बाद एक बार फिर फूट के आसार हैं। ऐसा इसलिए कि समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए दो दिन पहले न्योता न मिलने से नाराज सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ( Shivpal Singh Yadav) ने जिस अंदाज में अपनी भावनाओं को रखा है, उससे सियासी संकेत तो यही मिल रहे हैं। अपनी भावनाओं को व्यक्त करते वक्त वो अंदर से दुखी नजर आये और बाहर से इस बात का मलाल साल रहा है कि सबकुछ खोने के बाद भी भतीजा अपना मानने को तैयार नहीं है।
प्रसपा के शिव ने क्यों किया हनुमान और शकुनि का जिक्र
प्रसपा प्रमुख का कहना है कि चुनाव परिणाम आने के बाद मैं सपा बैठक में शामिल होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मैं, सपा का विधायक हूं। इसके बावजूद मुझे सपा की बैठक में नहीं बुलाया गया। इस घटना से आहत शिवपाल सिंह यादव ( Shivpal Singh Yadav ) ने मीडिया से बातचीत में रामायण और महाभारत के पात्रों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि शासन और प्रशासन में हमेंशा हनुमान की भूमिका को याद रखना चाहिए। भगवान राम ने लंका का युद्ध उनकी वजह से ही जीता था। हनुमान ने ही लक्ष्मण की जान बचाई थी। इसके बावजूद भगवान राम को भी कठिन परिस्थितियों का सामना किया। लेकिन अंत में सत्य की जीत हुई।
इसी तरह महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि युधिष्ठिर को शकुनि के साथ जुआ नहीं खेलना चाहिए था। अगर उन्हें खेलना था तो दुर्योधन के साथ जुला खेलना चाहिए था। युधिष्ठिर की हार शकुनि की वजह से हुई। इसलिए सच्चाई के साथ खड़ा होना जरूरी होता है।
अपनों और परायों का भेद जानना जरूरी
प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ( Shivpal Singh yadav ) ने कहा कि जब अपनों और परायों में भेद नहीं पता होता है तब महाभारत होती है। सपा विधायकों में उनकी सबसे बड़ी जीत हुई है, इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उनके इन बयानों से साफ है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ( लोहिया ) के प्रमुख व सपा विधायक शिवपाल यादव एक बार फिर सपा से अलग राह पर चलने का फैसला ले सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर मुलायम सिंह यादव के कुनबे में सियासी जंग देखने को मिल सकता हैं
नहीं पट पाई सियासी खाई
सियासी सच्चाई यह है कि शिवपाल भले ही अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) के कहने पर साइकिल पर चुनाव लड़कर विधायक बन गए, लेकिन चचा और भतीजे के बीच कई साल पहले बनी खाई अब तक पट नहीं पाई है। या यूं कहें अब बन रहे रिश्ते फिर पटरी से उतरे दिख रहे हैं।
सपा से शिवपाल का सवाल
सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि उन्हें विधायक दल की बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया? इसका जवाब राष्ट्रीय नेतृत्व ही दे सकता है। सभी विधायकों को फोन गया लेकिन उन्हें फोन नहीं किया गया। मैंने बैठक में शामिल होने के लिए अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। मैं सपा में सक्रिय हूं। विधायक हूं फिर भी नहीं बुलाया गया। उन्होंने पार्टी की हार की समीक्षा की भी मांग किया है। इन्हीं सवालों के साथ सपा में शिवपाल हैं या नहीं, को लेकर सवाल भी उठ खड़ा हुआ है।
सपा-प्रसपा ने इसलिए मिलाया था हाथ
UP News : यूपी विधानसभा चुनावी तकाजों को भांपते हुए सपा व प्रसपा एक मंच पर आ गए थे। शिवपाल ( Shivpal Yadav ) यूपी चुनाव में 100 सीटें मांग रहे थे। भारी मन से उन्होंने केवल एक सीट पर समझौता कर लिया। अब उनकी पार्टी तीन-तेरह होने के कगार पर है। प्रसपा के बड़े नेता रघुराज शाक्य, शिवकुमार बेरिया, शादाब फातिमा पार्टी छोड़कर इधर-उधर चले गए। खास बात यह है कि शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को सियासत में स्थापित नहीं करा पाए। सपा से उन्हें न वह 2017 में टिकट नहीं दिला पाए और न हीं 2022 में। इसलिए उनका दर्द ज्यादा गहरा है।