माले प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से मुरादाबाद में योगी की पुलिस ने रोककर किया नजरबंद, पार्टी ने लगाये गंभीर आरोप
संभल पर संसद में कोई चर्चा नहीं होने दी जा रही है और जनप्रतिनिधियों को संभल में पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार संभल में मुसलमानों की हत्याओं पर कोई चर्चा और विरोध प्रदर्शन नहीं होने देने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रही है...
लखनऊ। भाकपा (माले) ने सांसद सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में पार्टी के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को रविवार 1 दिसंबर को संभल जाने से मुरादाबाद में पुलिस द्वारा रोकने और घर में नजरबंद करने की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने प्रदेश के गृह सचिव को पत्र भेजकर कड़ा प्रतिवाद किया है।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार का यह अलोकतांत्रिक कृत्य है। डबल इंजन सरकार की तानाशाही है। सरकार जन प्रतिनिधिमण्डल से क्यों डरती है? माले प्रतिनिधिमंडल संभल में उन मुस्लिम परिवारों से मिलने जा रहा था, जिनके पांच युवा सदस्य 24 नवंबर को यूपी पुलिस की हिंसा में मारे गए थे।
प्रतिनिधिमंडल में भाकपा (माले) के लोकसभा सदस्य सुदामा प्रसाद (बिहार के आरा से सांसद) के अलावा, ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी की केंद्रीय समिति सदस्य कृष्णा अधिकारी, माले के पश्चिमी यूपी प्रभारी अफरोज आलम, मुरादाबाद प्रभारी रोहतास राजपूत, जवाहरलाल नेहरू विवि छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष व आइसा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साई बालाजी शामिल थे। जब टीम मुरादाबाद से संभल की ओर बढ़ रही थी, तो यूपी पुलिस ने टीम को मुरादाबाद में एक स्थानीय निवासी के घर से निकलने से रोक दिया।
राज्य सचिव ने कहा कि टीम के संभल जाने पर जोर देने के बाद, मुरादाबाद के पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में पुलिस ने बताया कि टीम के सदस्यों को नजरबंद किया जा रहा है। नजरबंदी का कारण पूछे जाने पर पुलिसकर्मियों ने संभल के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश का हवाला दिया, जिसमें 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के जिले में प्रवेश पर रोक लगाई गई है। टीम ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि अगर प्रशासन हमें पीड़ितों के परिवारों से मिलने की अनुमति नहीं देता है, तो पुलिस आयुक्त से मिलने दे। अधिकारियों ने साफ तौर पर इनकार कर दिया कि वे टीम सदस्यों को आवास के बाहर जाने की अनुमति नहीं दे सकते, क्योंकि टीम को नजरबंद किया गया है।
राज्य सचिव ने कहा कि संभल पर संसद में कोई चर्चा नहीं होने दी जा रही है और जनप्रतिनिधियों को संभल में पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार संभल में मुसलमानों की हत्याओं पर कोई चर्चा और विरोध प्रदर्शन नहीं होने देने के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल कर रही है।
राज्य सचिव ने निर्दोष लोगों की हत्याओं में संलिप्तता के लिए संभल के डीएम और एसपी को बर्खास्त करने की मांग की। कहा कि मुसलमानों और कमजोरों के खिलाफ पक्षपात करने के लिए योगी सरकार और यूपी पुलिस की भूमिका को उजागर करने और दोषियों को दंडित करने की जरूरत है।