UP : बांदा में मंदिर की फसल बन गई महंत का सिरदर्द, बेचने के लिए SDM ने मांगा भगवान का आधार कार्ड

महंत का कहना है जमीन रामजानकी विराजमान मंदिर के नाम पर है। जमीन के मालिक भगवान हैं, अब वह भगवान का आधारकार्ड कहां से लाएं। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष करीब डेढ़ सौ कुंतल धान की फसल सरकारी केंद्र पर बेची थी। इससे पहले भी फसल की बिक्री सरकारी क्रय केंद्र में करते आ रहे हैं...

Update: 2021-06-09 11:39 GMT

यूपी के बांदा में एडीएम ने फसल बेचने के लिए मंदिर के पुजारी से मांगा भगवान का आधार कार्ड.

जनज्वार, लखनऊ। रामराज्य यानी उत्तर प्रदेश के बांदा में खुरहंड स्थित रामजानकी विराजमान मंदिर की जमीन पर उपजा गेहूं सरदर्द बन गया है। जिससे इस बार यह सरकारी खरीद केंद्र में नहीं बिक पा रहा है। बताया जा रहा है कि, भगवान का अधारकार्ड न होने के कारण गेहूं बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीयन ही नहीं हो पा रहा है।

मंदिर के महंत रामकुमार दास खासे परेशान हैं। उन्होने बताया कि रामजानकी विराजमान मंदिर के नाम पर करीब सात हेक्टेयर जमीन है। लगभग पांच बीघा जमीन पर बगीचा है। बाकी की जमीन पर गेहूं, चना, मटर और धान की खेती कराते हैं। इस बार तकरीबन 100 कुंतल गेहूं पैदा हुआ है।

महंत का कहना है, फसल बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीयन की प्रक्रिया की थी। लेकिन पंजीयन एसडीएम कार्यालय से रद कर दिया गया। हलका लेखपाल से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने एसडीएम से बात करने को कहा। एसडीएम से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि बिना आधार कार्ड के पंजीयन नहीं हो सकता।

महंत के मुताबिक, जमीन रामजानकी विराजमान मंदिर के नाम पर है। जमीन के मालिक भगवान हैं, अब वह भगवान का आधारकार्ड कहां से लाएं। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष करीब डेढ़ सौ कुंतल धान की फसल सरकारी केंद्र पर बेची थी। इससे पहले भी फसल की बिक्री सरकारी क्रय केंद्र में करते आ रहे हैं, लेकिन कभी भी आधार कार्ड की बाध्यता नहीं रही।

महंत रामकुमार दास के मुताबिक फरवरी 2004 में गुरु महंत कमलदास महाराज का स्वर्गवास हो गया था। गुरु-शिष्य परंपरा के मुताबिक उनके बाद से वह मंदिर के संरक्षक हैं। अब तक मंदिर की जमीन की उपज की बिक्री में कोई दिक्कत नहीं आई। ऐसा पहली बार है, जब फसल नहीं बेच पा रहे हैं।

जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी गोविंद कुमार उपाध्याय का कहना है कि मंदिर, मठ और ट्रस्ट की फसल नहीं खरीदी जा सकती है। यह क्रय नीति में नहीं है। पहले खतौनी के आधार पर खरीद होती थी, अब पंजीयन के बाद खरीद होती है, जिसके लिए आधार कार्ड जरूरी है

वहीं एसडीएम अतर्रा सौरभ शुक्ला का कहना है कि भगवान का आधार कार्ड लाने की बात नहीं कही गई है। इतना जरूर कहा है कि पंजीयन के लिए आधारकार्ड जरूरी है। क्रय नीति शासन से बनती है। शासन के निर्णय के अनुसार ही खरीद की जा रही है।

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