यूपी के शिक्षामंत्री का भाई EWS कोटे से बन गया मनोविज्ञान प्रोफेसर, मंत्री जी बोले नो कमेंट तो सोशल मीडिया में खड़ा हुआ बवाल
कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे का कहना है कि मनोविज्ञान में लगभग डेढ़ सौ आवेदन आए थे। मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया है। जिसमें अरूण पुत्र अयोध्या प्रसाद भी थे...
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में काबिज भाजपा की योगी सरकार भाई-भतीजावाद, गरीबी, मंहगाई, भृष्टाचार इत्यादी हटाने को लेकर नगाड़े बजाकर सत्ता में आई थी। बावजूद इसके यह सरकार बाकी से इक्कीस नहीं तो बीस भी नहीं रही। ताजा मामला बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई की शिक्षाा विभाग में नौकरी गरीब कोटे से लगने का सामने आया है।
बेसिक शिक्षाा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई अरूण द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविधालय, कपिलवस्तु में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुई नियुक्ति सूबे में चर्चा का विषय बन चुकी है। उनका चयन ईडब्लयूएस जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी, से मनोविज्ञान विभाग में हुआ है। तब जब मंत्री जी जिले की इटवा सीट से माननीय विधायक हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्ट पर चयन के बाद शुक्रवार 21 मई को ही मंत्रीजी के भाई ने पदभार ग्रहण किया है। जिसके बाद से इसे लेकर सोशल मीडिया में पोस्ट वायरल हो रहे हैं। विश्वविधालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे का कहना है कि मनोविज्ञान में लगभग डेढ़ सौ आवेदन आए थे। मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया है। जिसमें अरूण पुत्र अयोध्या प्रसाद भी थे।
बताया गया है कि इन 10 लोगों के हुए साक्षात्कार में अरूण दूसरे स्थान पर रहे थे। इंटरव्यू एकेडमिक व अन्य अंको को जोड़ने पर वह पहले स्थान पर आ गए। जिस वजह से 10 में सिर्फ उनका चयन हुआ है। ईडब्लयूएस का प्रमाणपत्र प्रशासन जारी करता है। शैक्षिक प्रमाण पत्र सही था। इंटरव्यू की वीडियो रिकार्डिंग भी उपलब्ध है। प्रोफेसर का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से ही उन्हें भी जानकारी मिली कि वह मंत्री के भाई हैं।
प्रोफेसर का कहना है कि यदि ईडब्लयूएस प्रमाणपत्र फर्जी होगा तो वह दंड के भागी होंगे। वहीं दूसरी तरफ मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने इस मसले पर कोई भी टिप्पणी देने से मना कर दिया। इस मामले को लेकर क्षेत्र में गजब चर्चा है। अन्य जिम्मेदार भी बोलने से कतरा रहे हैं।