Tuberculosis in Hindi: यूट्रस में इस बीमारी के होने से मां नहीं बन सकती महिला, जानिए इसके लक्षण और इलाज
Tuberculosis in Hindi: टीबी की बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। महिलाओं में बच्चेदानी में टीबी की बीमारी बहुत देखी जाती है।इसकी वजह से महिलाओं को बांझपन जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है...
Tuberculosis in Hindi: आप में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें ट्यूबरक्लोसिस बीमारी के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं होगी। अक्सर लोगों को यह लगता है कि ट्यूबरक्लोसिस की बीमारी सिर्फ फेफड़ों से जुड़ी होती है। जबकि ऐसा नहीं है टीबी की बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। महिलाओं में बच्चेदानी में टीबी की बीमारी बहुत देखी जाती है।इसकी वजह से महिलाओं को बांझपन जैसी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है।महिलाओं की बच्चेदानी में टीबी की समस्या को फीमेल जेनिटल ट्यूबरकुलोसिस या एफजीटीबी भी कहा जाता है। अक्सर यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। महिलाओं में टीबी की बीमारी सबसे ज्यादा फेफड़ों से माइकोबैक्टीरियम का प्रजनन अंग तक फैलना है।
बच्चेदानी की टीबी का इन्फेक्शन
औरतों के रीप्रोडक्टिव सिस्टम में होने वाली टीबी की बीमारी जिसे पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस भी कहा जाता है एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। ज्यादातर महिलाओं में यह समस्या इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी के वजह से महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या भी होती है। महिलाओं में ओवरी से जुड़े फैलोपियन ट्यूब, बच्चेदानी के मुहं और वजाइना आदि से यह संक्रमण फैलता है। ज्यादातर महिलाओं में बच्चेदानी की टीबी का इन्फेक्शन बच्चा पैदा करते समय होता है।
बच्चेदानी में टीबी के लक्षण
बच्चेदानी की टीबी के लक्षण महिलाओं में बच्चेदानी में टीबी की बीमारी होने पर कई गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं। शुरुआत में भले ही ये लक्षण कम दिखाई दें लेकिन जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है वैसे ही इसके लक्षण भी गंभीर होने लगते हैं। गर्भाशय की टीबी या बच्चेदानी में टीबी की बीमारी होने पर महिलाओं में गंभीर दर्द, पीरियड्स का अनियमित होना और ब्लीडिंग जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं। बच्चेदानी में टीबी के प्रमुख लक्षण हैवी ब्लीडिंग, पीरियड्स का अनियमित होना, पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द, अमेनेरिया की समस्या, योनि से डिस्चार्ज
बच्चेदानी में टीबी की बीमारी का इलाज
बच्चेदानी में टीबी की समस्या होने पर सबसे पहले चिकित्सक इसकी जांच करते हैं। इसके लिए ट्यूबरकुलीन स्किन टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से शरीर के किसी भी हिस्से में टीबी की समस्या की जांच की जाती है। इसके अलावा पेट के निचले हिस्से का अल्ट्रासाउंड भी बच्चेदानी में टीबी की बीमारी का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। टेस्ट के बाद डॉक्टर मरीज का इलाज शुरू करते हैं। हर व्यक्ति का इलाज उसकी स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। कुछ मामलों में तो सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। बच्चेदानी में टीबी की समस्या से बचाव के लिए सबसे पहले आपको टीबी से बचाव का ध्यान रखना चाहिए। शरीर में टीबी की बीमारी होने पर नियमित रूप से दवाओं का सेवन और डॉक्टर की सलाह लेते रहना चाहिए। इसके अलावा टीबी के मरीजों से दूरी और बच्चे पैदा होते समय इन्फेक्शन से बचाव कर बच्चेदानी में टीबी की बीमारी से बचा जा सकता है।
जेनिटल टीबी से महिलाओं को मां बनने में परेशानी
जेनिटल ट्यूबरक्लोरसिस (टीबी) की बीमारी महिलाओं के गर्भधारण नहीं कर पाने का एक मुख्य कारण है। मेडिकल की भाषा में कहा जाए तो जेनिटल टीबी महिलाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या को जन्म देता है। अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह शरीर के अन्य अंगों जैसे की दिमाग, किडनी, पेल्विक एरिया के गर्भाशय और फलोपियन ट्यूब पर बुरा प्रभाव छोड़ता है।आईसीएमआर की हालिया रिपोर्ट में सामने आया कि आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने वाली 50 प्रतिशत महिलाएं जेनिटल ट्यूबरक्लोरसिस से ग्रसित हैं। 95 प्रतिशत केस में देखा गया कि इन्फेकशन महिलाओं के फलोपियन ट्यूब तक पहुंच गया था तो 50 प्रतिशत केस में गर्भाश्य के अंदरूनी हिस्से में जबकि 30 प्रतिशत केस में अंडाशय तक इन्फेकशन फैल चुका होता है। दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र पर आधारित इस डाटा के मुताबिक, जेनिटल टीबी से ग्रसित पांच में से प्रत्येक एक महिला बच्चे को जन्म देने में सक्षम नहीं है।
मिसकैरेज हो सकता है
इस बीमारी के कारण महिलाओं के माँ बनाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। परन्तु ऐसा कम ही देखा गया है कि जेनाइटल टीबी की वजह से महिला का मिसकैरेज हुआ हो। टीबी की गंभीर प्रूसति जटिलताओं में से एक गर्भपात भी है।
टीबी और गर्भावस्था
गर्भवती महिलाओं में सबसे ज़्यादा पायी जाने वाली टीबी फेफड़ों की है। इसके अलावा हड्डी, गुर्दा, पेट यहां भी टीबी हो सकता है। अगर किसी महिला को टीबी है और वह गर्भवती हो जाती है तो यह देखा गया है कि टीबी की बीमारी उससे अप्रभावित रहती है।
टीबी का प्रेगनेंसी पर असर
अगर सही समय पर निदान (diagnosis ) हो जाए और संपूर्ण उपचार किया जाये तो टी बी से गर्भवती महिला और शिशु दोनों को ही कुछ भी हानि नहीं होती। यदि ऐसा ना हो पाए या इलाज को बीच में ही छोड़ दिया जाये तो कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- -गर्भपात
- -पेट में ही बच्चे की मृत्यु
- -गर्भ का ठीक से ना बढ़ना
- -नवजात शिशु की मृत्यु
प्रेगनेंसी में टीबी के लक्षण
प्रेगनेंसी और टी बी के लक्षण बहुत कुछ मिलते जुलते हो सकते हैं और यह जानना मुश्किल हो सकता है कि महिला को क्या हो रहा है। जैसे कि
- -उबकाई या उल्टी
- -वज़न का कम होना
- -बुखार जैसा लगना
- -हृदय की धड़कन का तेज़ होना