लखीमपुर खीरी के गोला से BJP विधायक अरविंद गिरि का चलती कार में दिल का दौरा पड़ने से मौत, मीटिंग में शामिल होने जा रहे थे लखनऊ

अरविंद गिरी चाहे भाजपा में रहे हों या सपा में, इससे उनके क्षेत्र की जनता को कोई फर्क नहीं पड़ा, जनता ने उन्होंने भरपूर समर्थन देकर 5वी बार भी विधानसभा भेज दिया....

Update: 2022-09-06 05:10 GMT

लखीमपुर खीरी के गोला से BJP विधायक अरविंद गिरि का चलती कार में दिल का दौरा पड़ने से मौत, मीटिंग में शामिल होने जा रहे थे लखनऊ

इस बीच हार्ट अटैक के केसों खासकर कोरोना के बाद, बहुत बढ़ोत्तरी हुयी है। अब भाजपा विधायक अरविंद गिरी भी इसके शिकार हुए हैं। आज 6 सितंबर को लखनऊ मीटिंग में शामिल होने कार से जा रहे भाजपा विधायक अरविंद गिरी को दिल का दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गयी। जानकारी के मुताबिक चलती गाड़ी में उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई।

मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक कल 5 सितंबर तक उनकी तबीयत बिल्कल ठीक थी। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र गोला की विकास योजनाओं की समीक्षा की थी और एक मीटिंग भी अटैंड की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विधायक अरविंद गिरी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

 वर्ष 1994 में समाजवादी पार्टी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करने वाले 65 वर्षीय अरविंद गिरी 1995 में गोला नगर पालिकाध्यक्ष बने थे। 1996 में पहली बार सपा के टिकट पर विधायकी के चुनाव में उतरे और जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंच गये। वर्ष 2000 में उन्होंने दोबारा गोला नगर पालिका परिषद का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष पद का चुनाव जीत गये।

30 जून 1958 को जन्मे गिरी 2002 में एक बार फिर से 2002 में समाजवादी पार्टी से विधायकी का चुनाव जीते। उनके राजनीतिक प्रभाव का असर था कि 2005 में सपा सरकार में उन्होंने अपने भाई की पत्नी अनीता गिरि को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और 2007 में नगर पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष पद पर अरविंद गिरी की पत्नी सुधा गिरी ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2007 में तीसरी बार अरविंद गिरी सपा के टिकट पर विधायक बने।

2017 में अरविंद गिरि ने भाजपा का दामन थाम लिया और टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतरे। भाजपा टिकट पर गोला विधानसभा से चौथी बार विधायक बने और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी अरविंद गिरि ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की। पांच बार के विधायक अरविंद गिरि का सियासी कद यूपी की सियासत में काफी बड़ा माना जाता था। अरविंद गिरी चाहे भाजपा में रहे हों या सपा में, इससे उनके क्षेत्र की जनता को कोई फर्क नहीं पड़ा, जनता ने उन्होंने भरपूर समर्थन देकर पांचवी बार भी विधानसभा भेज दिया।

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