Uttar Pradesh News : लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने पर खाप नेताओं ने जताई नाराजगी, कहा महिलाओं के खिलाफ अपराधों में होगी वृद्धि

Uttar Pradesh News : दूल्हा-दुल्हन की न्यूनतम उम्र में समानता लाने के लिए तैयार प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जिसके बाद खास पंचायत के कुछ नेताओं ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है...

Update: 2021-12-17 10:56 GMT

लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने पर खाप नेताओं ने जताई नाराजगी

Uttar Pradesh News : केंद्र सरकार ने लड़कियों के लिए शादी की वैध न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला किया है। दूल्हा-दुल्हन की न्यूनतम उम्र में समानता लाने के लिए तैयार प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। जिसके बाद खास पंचायत के कुछ नेताओं ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार उनका दावा है कि इससे समाज पर बुरा असर पड़ेगा और महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोत्‍तरी होगी।

समाज पर बुरा प्रभाव

बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार 15 दिसंबर को शादी के लिए लड़कियों की उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 किए जाने के प्रस्‍ताव को मंजूरी दी थी। दरअसल देश में लड़कों के लिए भी विवाह की न्‍यूनतम उम्र 21 वर्ष निर्धारित है। इस तरह दोनों के लिए एक समान उम्र सीमा निर्धारित कर दी गई है। सरकार इसी शीतकालीन सत्र के दौरान 2006 के बाल विवाह कानून (चाइल्‍ड मैरेज एक्‍ट-2006) में संशोधन के लिए संसद में बिल लाने की तैयारी में है। इसी बीच कालखंडे खाप पंचायत के प्रमुख चौधरी संजय कालखंडे ने कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाने का निर्णय समाज पर बुरा प्रभाव डालेगा।

14 वर्षीय लड़कियां शादी के लिए परिपक्‍व

कालखंडे खाप पंचायत के प्रमुख चौधरी संजय कालखंडे ने कहा कि आज का समय तकनीक और सोशल मीडिया का है। युवा पीढ़ी इससे जुड़ी है। आज 14 साल की उम्र में भी लड़कियां शादी के लिए पर्याप्‍त रूप से परिपक्‍व हो जाती हैं। गठवाला खाप पंचायत के प्रमुख बाबा श्‍याम सिंह ने कहा कि शादी के लिए न्‍यूनतम उम्र बढ़ाने से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्ध‍ि होगी।

क्या कहा खाप नेताओं ने

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार खाप नेताओं का कहना है कि इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ेंगे। बालिग होने की जो उम्र है उसके बाद शादी की उम्र में पाबंदी नहीं होनी चाहिए। परिवार को किसी लड़‍की की शादी तय करते वक्‍त कई चीजों का ख्‍याल रखना पड़ता है। शदी के लिए लड़कियों की उम्र 21 साल किए जाने की पाबंदी सही नहीं है।

साथ ही उन्होंने कहा कि 'वोट देने का अधिकार और ड्राइविंग लाइसेंस जब 18 वर्ष की उम्र में मिल जाता है तो शादी के लिए 21 साल की पाबंदी क्‍यों होनी चाहिए। वैसे भी आजकल सामान्‍यतया पढ़ाई-लिखाई की वजह से लड़के-लड़कियां 21 से लेकर 25-30 साल या भी उससे भी ज्‍यादा उम्र में शादी करते हैं। निम्‍न वर्ग और मध्यम वर्ग अपनी बेटी की शादी जल्‍दी करना चाहता है। केंद्र सरकार का यह फैसला सही नहीं है। लड़की की न्‍यूनतम आयु सीमा 18 साल ही उचित है।'

उन्होंने आगे कहा कि 'सरकार यह फैसला लड़कियों पर ही क्‍यों नहतीं छोड़ देती। आज लड़कियां पढ़ाई करती हैं और अपना कॅरियर चुनती हैं। उन्‍हें अपनी शादी का निर्णय लेने का भी अधिकार है। लड़कियां 18 साल में बालिग हो जाती हैं। यह हाईकोर्ट भी मानता है। लोकतंत्र में 18 साल की लड़की को वोट देने का अधिकार है। शादी की उम्र में भी लड़कियों को यही अधिकार होना चाहिए।'

पहले भी बढ़ी है लड़कियों की शादी की उम्र

बता दें कि देश में इसके पहले भी दुल्हन की न्यूनतम उम्र की सीमा को बढ़ाकर 12, 14, 15 और फिर 18 साल किया गया था लेकिन हर बार यह दूल्हे की न्यूनतम उम्र से कम थी। अब सरकार के ताजा फैसले से देश में लड़कियों व लड़के की शादी की वैध न्यूनतम उम्र समान हो जाएगी। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सरकार इसके लिए कानून में संशोधन करने संबंधी विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ला सकती है। लैंगिक निष्पक्षता के लिहाज से उम्र बढ़ाने को जरूरी समझा गया।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार उम्र बढ़ाने के लिए चालू संसद सत्र में विधेयक पेश हो सकता है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। 

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