Ground Report : UP के परास गांव में 20 दिन में 40 मौतें, प्रशासन की निष्क्रियता से गांव छोड़ रहे मजबूर ग्रामीण

बीमारी के खौफ से परास में रहने वाले सुनील तिवारी, भोला समेत कई लोगों ने गांव छोड़ दिया है। ये लोग अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों के यहां या किसी दूसरी जगह चले गए हैं...

Update: 2021-05-13 07:21 GMT

घाटमपुर के परास गांव से 'जनज्वार' को भेजी गई मृतकों की लिस्ट

जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से सटे घाटमपुर-फतेहपुर रोड पर परास गांव में सन्नाटा है। यहां तक की लोग एक दूसरे के घर भी जाने से कतरा रहे हैं वजह है कि यहां महज बीस दिन के भीतर ही 40 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के लक्षण वाली इन मौतों को कोरोना मृतक नहीं कहा जा सकता क्योंकि गांव में अब तक किसी की जांच नहीं हुई।  

बीमारी के खौफ से परास में रहने वाले सुनील तिवारी, भोला समेत कई लोगों ने गांव छोड़ दिया है। ये लोग अपने परिवार के साथ रिश्तेदारों के यहां या किसी दूसरी जगह चले गए हैं। कई परिवार ऐसे ही हैं जो अपने बुजुर्गों और बच्चों को गांव के बाहर रिश्तेदारी में छोड़ आए हैं। घाटमपुर ब्लॉक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत परास के लोग पंचायत चुनाव में व्यस्त थे और बीमारी पांव पसार रही थी। 

ग्रामीणों के मुताबिक यहां मतदान के दो-चार दिन पहले से ही हालात बिगड़ने लगे थे। देखते ही देखते परिवार के परिवार सर्दी, खांसी और बुखार की चपेट में आते गए। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में सबसे पहले राकेश सविता की मौत हुई थी। जिसके बाद उनके भाई की भी मौत हो गई। राकेश गांव के बाहर चाय-पान की दुकान चलाता था। अब घर में पत्नी और दो बच्चे ही बचे हैं। राकेश को एक दिन बुखार आया और दूसरे दिन ही मौत हो गई थी। 

गांव के ही सत्येंद्र गुप्ता की इसी तरह अचानक बुखार से मौत हो गई। मौत के आठ दिन बाद ही उनके भाई राजकुमार गुप्ता की भी जान चली गई। सबकी बीमारी एक जैसी ही थी। जनज्वार को मिली मृतकों की लिस्ट के मुताबिक अब तक गांव के काले गुप्ता (45), राकेश सविता (55), शोमी तिवारी (35), रजन बाबू (55), रामशंकर चैरसिया (55), राजकुमार गुप्ता (58), अरविन्द अवस्थी, शीलू तिवारी, राजकिशोर मिश्रा, शिवनारायण दुबे, लवकुश सचान, हरीशंकर सैनी, श्रीकांत अवस्थी, नन्हका पासी, मिश्रीलाल प्रजापति, रामऔतार संखवार, रामशंकर चौरसिया, मिर्चीलाल, श्रीकांत अवस्थी, राहुल तिवारी सहित कुल 40 लोगों की मौत बीमार होने के एक-दो दिन के भीतर हुई है। 

इन सभी को पहले बुखार आया और एक दो दिन बाद सांस लेने में दिक्कत हुई और मौत हो गई। 7 हजार आबादी वाले इस गांव में सर्दी, खांसी और बुखार से करीब 1 हजार लोग पीड़ित हैं। प्रशासन, स्वास्थ्य महकमा, जनप्रतिनिधि किसी को फुर्सत नहीं। गांव के लोगों ने हंगामा किया तो एसडीएम पहुंचे जरूर लेकिन पांच मिनट भी नहीं रुके। एक घंटे में 60 लोगों की एंटीजन से जांच की गई तो 50 लोग संक्रिमत पाए गए। प्रशासन के मुताबिक 10 में ही संक्रमण मिला। यह तब है जब गांव घाटमपुर तहसील से सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है। फिर भी ग्रामीण मजबूरन निजी डॉक्टरों या फिर झोलाझाप से इलाज करा रहे हैं।

ग्रामीण इन मौतों की वजह कोरोना बता रहे हैं। लोगों का मानना है कि प्रशासन के लापरवाह रवैए की वजह से कोरोना की जांच नहीं की गई। जब अचानक से मौतें शुरू हुईं तो कैंप लगाकर जांच हुई थी। इसमें एक ही घर से आठ लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे। कई ग्रामीणों ने जब कानपुर जाकर जांच कराई तो वे भी संक्रमित पाए गए। गांव के ही अल्केश तिवारी और गोरे तिवारी ने बताया कि प्रशासन ने केवल एक दिन गांव में सेनेटाइजेशन कराया था, तब से कोई सुध नहीं ली गई।  

परास गांव में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है। सीएचसी प्रभारी ने बताया कि यहां एएनएम सुधा वर्मा तैनात हैं। गांव वालों का कहना है कि पिछले कई महीनों से उपकेंद्र का ताला ही नहीं खुला। छोटे अस्पताल में किसी को देखा तक नहीं। ऐसे में वे लोग ग्रामीणों से चंदा इकट्‌ठा करके सेनेजाइजेशन करा रहे हैं। लोग घरों से निकलने से डर रहे हैं।

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