DDU News Today: भ्रष्टाचार के आरोपी VC राजेश सिंह के प्रकरण में योगी की चुप्पी बरकरार,राज्यपाल के निर्णय का हर किसी को इंतजार

DDU News Today: यूपी के गोरखपुर स्थित डीडीयू यूनिवर्सिटी लंबे समय से कुलपति के कारनामों को लेकर चर्चा में बना हुआ है। मुख्यमंत्री के शहर होने के बाद भी योगी आदित्यनाथ के पूरे विवाद को लेकर चुप्पी से यहां के छात्रों से लेकर शिक्षकों में संशय बरकरार है।

Update: 2021-12-26 10:44 GMT

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

DDU News Today: यूपी के गोरखपुर स्थित डीडीयू यूनिवर्सिटी लंबे समय से कुलपति के कारनामों को लेकर चर्चा में बना हुआ है। मुख्यमंत्री के शहर होने के बाद भी योगी आदित्यनाथ के पूरे विवाद को लेकर चुप्पी से यहां के छात्रों से लेकर शिक्षकों में संशय बरकरार है। इस बीच कुलपति के खिलाफ लंबे समय से आंदोलित पीएचडी के छात्रों से लेकर एक प्रोफेसर के सत्याग्रह पर उतर जाने के बाद आखिरकार कुलाधिपति के दरबार में पहली बार हलचल दिखी है। लिहाजा आंदोलित छात्र व शिक्षकों के नब्ज टटोलने के लिए राज्यपाल के ओएसडी यहां खुद पहुंचे। दो दिनों के प्रवास के दौरान आंदोलनकारियों के साथ उनकी चली मैराथन बैठक में विवादों के निस्तारण को लेकर ओएसडी कीे दिलचस्पी दिखी। ऐसे में इनके राज्यपाल के दरबार में लौट जाने के बाद से अब आगे के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी है। इस बीच छात्रों का धरना व शिक्षक का सत्याग्रह स्थगित हो गया है।

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पूर्व के उनके राजनीतिक पहलकदमियों से वाकिफ लोगों का मानना है कि बतौर सांसद योगी की पैनी नजर गोरखपुर शहर व यहां के गतिविधियों पर हमेशा रही है। हर छोटे व बडे मसलों को निपटाने में योगी आदित्यनाथ कभी पीछे नहीं रहे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी शहर से जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ। लेकिन खास बात यह है कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति का सवाल रहा हो या नियमों की अनदेखी का मौजूदा कुलपति प्रो. राजेश कुमार सिंह पर लग रहे आरोपों का। इन विंदुओं पर मुख्यमंत्री का निस्तारण को लेकर कभी ठोस पहलकदमी नहीं दिखी। जिसके चलते उनपर भी उं्रगलियां उठती रही हैं। इस बीच नियमों को ताक पर रखकर कुलपति प्रो. राजेश कुमार सिंह के कार्य करने को लेकर लंबे समय से यहां पीएचडी के छात्र आंदोलित हैं। इनका आरोप है कि पिछले ढाई वर्षो में उनकी कोई सुध नहीं ली गईं। न परीक्षा कराया गया और न ही कोरोना काल के चलते उन्हें उत्तीर्ण ही किया गया।

उधर हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर कुलपति प्रो. राजेश सिंह के खिलाफ मुखर रहे हैं।नियमों की अनदेखी कर शिक्षक व कर्मचारियांे का शोषण करने के साथ ही मौजूदा पाठयक्रम से लेकर परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठाया। जिसकी शिकायत कुलाधिपति से लेकर अन्य जवाबदेह अफसरों से भी की। इसके बाद भी कोई नतीजा न निकलने पर आखिरकार कुलपति के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का एलान करते हुए उनके हटने तक सत्याग्रह पर जाने का एलान किया।

सत्याग्रह के साथ शिक्षक व छात्रों ने भी दिखाई एकजूटता

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन पर मौजूद दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने सत्याग्रह की शुरूआत की। 21 दिसंबर को पहले दिन सत्याग्रह पर बैठने के दौरान समर्थन में शिक्षक प्रो.चंद्रभूषण अंकुर,प्रो. उमेश नाथ विारी,प्रो. अजय कुमार गुप्त,प्रो.सुधीर कुमार श्रीवास्तव,प्रो. वीएस वर्मा,. विजय कुमार,प्रो. अरविंद त्रिपाठी उतर आए। देर शाम छात्र भी उनके प्रति समर्थन जताते हुए रात में विश्वविद्यालय गेट पर धरना दिए। जिसमें छात्रसंघ के निवर्तमान प्रतिनिधि के अलावा बड़ी संख्या में छात्रों ने भी हिस्सा लिया। दूसरे दिन के सत्याग्रह में बड़ी संख्या में छात्रों के अलावा शिक्षक भी उतर आए। आंदोलन के साथ ही प्रो. कमलेश गुप्ता कक्षाएं लेने नहीं भूले व उन्होंने विश्वविद्यालय कैंपस में बने हेलीपैड पर ही अपनी क्लास चलाई।

आंदोलित शिक्षकों पर कार्रवाई से माहौल गरमाया

प्रो. कमलेश गुप्ता के सत्याग्रह पर जाने के बाद उन्हें निलंबित करते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठित कर दी गई। मामला यहीं तक नहीं रूका,समर्थन जताने आए शिक्षकों के देर शाम निलंबन की खबर आई। जिसके बाद से आंदोलन ठंडा पड़ने के बजाए गरमाता गया। प्रत्येक दिन प्रो. कमलेश गुप्ता के आंदोलन में छात्रांे व शिक्षकों की संख्या बढ़ती गई।शुक्रवार को एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी खुद आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता जताने पहुंचे। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जिस पर आरोप होता है, उसी को जांच नहीं दी जाती है। एमएलसी के रूप में राजभवन, सदन या जिस भी अधिकारी के पास जाना पड़ा, जाऊंगा। प्रो. कमलेश के आरोपों में सत्यता है तो उन्हें न्याय दिलाने की पूरी कोशिश करूंगा। समर्थन में उप्र आवासीय विश्वविद्यालय महासंघ के अध्यक्ष प्रो. चितरंजन मिश्र, प्रो. सुधीर श्रीवास्तव, प्रो. विजय शंकर वर्मा, प्रो. चन्द्रभूषण अंकुर, प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रो. अजेय गुप्ता, गुआक्टा के महामंत्री डॉ. धीरेन्द्र सिंह, प्रो. सुशील तिवारी, डॉ. दुर्गा प्रसाद यादव, डीडीयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह, राम प्रताप राम, माध्यमिक शिक्षक संघ (पाण्डेय गुट) के प्रांतीय महामंत्री जगदीश पाण्डेय, ज्ञानेश राय, दिग्विजयनाथ पांडेय, श्याम नारायण सिंह के अलावा कई संगठनों के पदाधिकारी व छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

प्रो. कमलेश गुप्त के सत्याग्रह को कैंपस में शिक्षकों का भी समर्थन मिला। शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष 'प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी शुक्रवार की सुबह 10 बजे ही बडी मात्रा में काली पट्टी लेकर डीडीयू के मुख्य द्वार पर पहुंच गए थे। उधर से गुजर रहे सभी शिक्षकों से वे अपील करते रहे कि वे पट्टी बंधवाकर ही शिक्षण कार्य करें। ज्यादातर शिक्षकों ने सहमति जताते हुए उनसे काली पट्टी बंधवाई, उसके बाद कक्षाओं की ओर गए। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि ज्यादातर शिक्षकों ने गेट पर काली पट्टी बंधवाई। गणित के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विजय शंकर वर्मा, गणित विभाग के प्रो. सुधीर कुमार श्रीवास्तव व राजनीति शास्त्र के प्रो. गोपाल प्रसाद ने भी मुख्य द्वार पर खड़े होकर उनका साथ देते हुए शिक्षकों को शिक्षकों को काली पट्टियां बांधी।

कारण बताओ नोटिस जारी करने को लेकर शिक्षकों में उबाल

प्रो. कमलेश गुप्ता के साथ धरने पर बैठे शिक्षकों को 24 दिसंबर को कारण बताओ नोटिस प्राप्त होने के बाद इनका आक्रोश बढ़ गया।धरने पर ये लोग कुछ देर सभी लोग शांत रहे तभी शिक्षकों की सेलरी काटे जाने की बात छिड़ गई। कारण बताओ नोटिस प्राप्त शिक्षकों ने बताया कि शुक्रवार को उन्हें कारण बताओे नोटिस प्राप्त हो गया है।

नोटिस का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। तीन दिन में जवाब नहीं देने पर यह माना जाएगा कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे सही हैं। उसके आधार पर उन्हें एक दिन लीव विदाउट पे मानते हुए उनका वेतन काटा जाएगा। सेलरी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सेलरी काटने की बात कही जा रही है। नोटिस का जवाब तीन दिन में मांगा गया है जबकि वह डेढ़ दिन बाद उन्हें प्राप्त हुई है। शिक्षकों की बातें सुनने के बाद प्रो. 'चित्तरंजन मिश्र' बोले, सेलरी कटती है तो 'कुलपति और वित्त अधिकारी के खिलाफ अमानत में खयानत का मुकदमा दर्ज कराइए। ऐसा वह 1990 में ही कर चुके हैं। वेतन काटना आसान नहीं, इसके लिए पूरी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।

राज्यपाल के ओएसडी ने दो दिनों तक कैंपस में शिक्षकों से की वार्ता

कुलपति प्रो. राजेश सिंह को हटाने की मांग को लेकर कैंपस का माहौल गरमाने का असर इस कदर दिखा की राजभवन तक इसकी गुंज सुनाई पड़ने लगी। लिहाजा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के विशेष कार्याधिकारी डॉ. पंकज एल जानी 24 दिसंबर दिन शुक्रवार की रात गोरखपुर पहुंच गए। शनिवार को वे प्रो. कमलेश गुप्त के अलावा अन्य शिक्षकांे व विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति, कुलसचिव, वित्त अधिकारी और डीन से भी मुलाकात किए। इस दौरान प्रो. कमलेश के निलंबन के अलावा शिक्षकों को जारी नोटिस और छात्रों के विभिन्न मुद्दों पर भी वे डीडीयू के अधिकारियों से वार्ता की।

कुलपति का चार्ज देने पर उठा सवाल

प्रो. कमलेश ने कहा कि विश्वविद्यालय की व्यवस्था के अनुसार कुलपति के न रहने पर उसका चार्ज या तो प्रति कुलपति या वरिष्ठतम शिक्षक को दिया जाता है। लेकिन वरिष्ठता क्रम में 22वें नंबर के प्रोफेसर को कुलपति का चार्ज दिया गया है। इससे पता चलता है कि संवैधानिक व्यवस्था में उनका विश्वास नहीं है। प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी ने 3 जनवरी को आम सभा बुलाने का मैसेज ग्रुप पर डाला। उसके 10 मिनट बाद ही प्रो. विनोद सिंह ने भी मैसेज डाला कि आम सभा की बैठक 3 जनवरी को आहुत की जा रही है। प्रो. विनोद ने अपना पदनाम लिखा 'तकनीकी रूप से अध्यक्ष''। उनके इस मैसेज पर एक अन्य शिक्षक प्रो. अनिल यादव ने तंज कसते हुए लिखा कि तकनीकी रूप से एक साल से अधिक कोई अध्यक्ष नहीं हो सकता। इसी लालसा ने शिक्षक संघ को चैपट करके रख दिया। उसके बाद ग्रुप पर कोई टिप्पणी तो नहीं आई लेकिन उस चैट का स्क्रीनशॉट वायरल होने लगा।

3 जनवरी को शिक्षक बनाएंगे रणनीति

डीडीयू शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी व शिक्षक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह ने सभी शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा है कि अब तीन जनवरी को विश्वविद्यालय खुलेगा। उसी दिन शिक्षकों की आमसभा की बैठक मजीठिया भवन में आयोजित की गई है। सभी शिक्षकों से अपील है कि वे समय से पहुंचें।

कुलाधिपति के निर्णय पर सबकी निगाह

इस बीच राज्यपाल के ओएसडी पूरी जांच रिपोर्ट को लेकर लखनउ रवाना हो गए।उधर शीतावकाश के चलते कैंपस दो जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है। अब 3 जनवरी को कैंपस खुलने पर शिक्षक संघ की आमसभा बुलाई गई है। जिसमें पूरे प्रकरण को लेकर शिक्षक आगे की रणनीति तय करेंगे। उधर शिक्षकों को उम्मीद है कि ओएसडी के रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी निर्णय जल्द ही ले सकती हैं। सत्याग्रह के राह पर चल पड़े प्रो. कमलेश गुप्ता ने एलान किया है कि अवकाश के दौरान उनका लोगों से संपर्क का अभियान जारी रहेगा। उन्होंने सभी से अभियान में भागीदार बनने की अपील करते हुए कुलपति को हटाने की मांग को लेकर किए जा रहे जनसंपर्क की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की अपील की है।

Tags:    

Similar News