बाबरी ध्वंस मामले में कल आएगा फैसला, जानें क्या है कानूनी पहलू और क्या होगी प्रक्रिया

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा कि 30 सितंबर को आनेवाला फैसला यह स्पष्ट करेगा कि आरोपितों में से किसपर दोष सिद्ध हुआ और कौन निर्दोष साबित हुआ, अधिवक्ता दिलीप कुमार गुप्ता बहुचर्चित आरुषि मर्डर केस और डॉक्टर कफील खान केस में एडवोकेट रह चुके हैं....

Update: 2020-09-29 14:22 GMT

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जनज्वारअयोध्या में बाबरी ध्वंस मामले में कल फैसला आनेवाला है। सीबीआई की विशेष अदालत यह फैसला सुनाएगी। ऐसे में यह उत्सुकता बनी हुई है, कि कल कोर्ट में क्या-क्या हो सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार गुप्ता ने कहा कि 30 सितंबर को आनेवाला फैसला यह स्पष्ट करेगा कि आरोपितों में से किसपर दोष सिद्ध हुआ और कौन निर्दोष साबित हुआ। अधिवक्ता दिलीप कुमार गुप्ता बहुचर्चित आरुषि मर्डर केस और डॉक्टर कफील खान केस में एडवोकेट रह चुके हैं।

उन्होंने प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि जिसका दोष सिद्ध होगा और दोषी करार दिया जाएगा, उसे हिरासत में ले लिया जा सकता है। फिर उसके सजा के बिंदु पर सुनवाई होगी। उन्होंने बताया कि इस दौरान मुलजिम वाजिब कारणों के साथ अपनी सजा कम से कम रखने की गुहार भी लगा सकता है। इस सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद कोर्ट सजा सुना सकता है। उन्होंने बताया कि आगे इस केस में लगाई गईं धाराओं के आधार पर सजा के बिंदु पर सुनवाई होगी।

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को हुए बाबरी ध्वंस की घटना के 27 साल के बाद सीबीआई की विशेष अदालत कल 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 आरोपी हैं। फैसले के दिन इन सभी को अदालत में मौजूद रहना होगा। 

अयोध्या के बाबरी विध्वंस मामले में कुल 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इनमें से 17 का निधन हो चुका है। पहली एफआईआर फैजाबाद थाने में राम जन्मभूमि के एसओ प्रियंवदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एफआईआर एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। इसके अलावा बाकी 47 एफआईआर अलग-अलग तारीखों पर पत्रकारों-फोटोग्राफरों सहित अन्य लोगों ने दर्ज कराई थी। इसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। 

सीबीआई ने बाबरी विध्वंस मामले की जांच करके एक साल से भी कम समय में 5 अक्टूबर 1993 को 49 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिए। लेकिन 13 अभियुक्तों को विशेष अदालत ने आरोप के स्तर पर ही डिस्चार्ज कर दिया। इसको पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।

लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत में फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव समेत कुल 28 अभियुक्तों के खिलाफ केस शुरू हुआ। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती समेत मुख्य 8 आरोपियों की सुनवाई रायबरेली की विशेष अदालत में शुरू हुई।

हालांकि, बाद में अप्रैल 2017 को रायबरेली की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही को भी लखनऊ की सीबीआई कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया। जिन 13 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप विशेष अदालत ने डिस्चार्ज किए थे, उन अभियुक्तों के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा चलाने का आदेश हुआ।

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