Hapur News : दलित लड़कियों के कपड़े उतारने पर NCSC के एक्शन के बाद मचा हड़कंप, जांच के आदेश, 2 टीचर सस्पेंड
Hapur News : जिला शिक्षा विभाग ने दो शिक्षकों को पहले ही निलंबित कर दिया था। एनसीएससी के एक्शन में आने के बाद डीएम के आदेश पर अमल करते हुए पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
Hapur News : उत्तर प्रदेश ( Uttar pradesh ) के हापुड़ ( Hapur ) जिले के घौलाना क्षेत्र के एक स्कूल में दो दलित छात्राओं के कपड़े उतरने की घटना सामने आने के बाद से हड़कंप की स्थित है। इस मसले पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ( NCSC ) ने रिपोर्ट तलब करने के बाद से न केवल डीएम मेधा रूपम एक्शन में आ गई हैं, बल्कि यूपी शिक्षा विभाग ( UP Education department ) ने भी इस मसले पर जांच ( Inquiey ) बैठा दी है।
शिक्षा विभाग ने सोमवार को हापुड़ में दो दलित स्कूली छात्राओं ( two dalit girl stripped ) के कपड़े उतारने और उनकी वर्दी क्लास फोटो के लिए ऊंची जाति की लड़कियों को देने के मामले में जांच के आदेश दिए हैं। वहीं हापुड़ के जिला मजिस्ट्रेट मेधा रूपम ने बताया कि उन्होंने लोकल पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। जिला शिक्षा विभाग ने दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया था। अब पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, यह मामला धौलाना प्रखंड के गांव दहिरपुर स्थित कम्पोजिट प्राइमरी स्कूल का बताया जा रहा है। 11 जुलाई को कक्षा चार में पढ़ने वाली दो दलित छात्राओं ने स्कूल के दो शिक्षकों पर जबरन स्कूल यूनिफॉर्म उतारकर दूसरी लड़कियों को पहनाने का आरोप लगाया है। दोनों छात्राओं के माता-पिता के मुताबिक शिक्षक स्कूली पोशाक में छात्रों की तस्वीरें ले रहे थे, लेकिन शिक्षकों ने उनकी बेटियों की तस्वीरें नहीं लीं, बल्कि उनकी बेटियों को शिक्षकों ने अपनी वर्दी उतारने और उन्हें देने के लिए कहा। दोनों लड़कियां स्कूल ड्रेस में नहीं आई थी। इस बात का विरोध करने पर शिक्षकों ने उन्हें निष्कासित करने की धमकी दी।
बुनियादी शिक्षा अधिकारी अर्चना गुप्ता ने घटना के सामने आने के बाद दोनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया था। एनसीएससी की ओर से रिपोर्ट तलब करने के बाद पुलिस ने भी प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
एक लड़की के पिता ने टीओआई को बताया कि इस मामले को दबाने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरी शिकायतों के बावजूद अभी तक शिक्षकों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। मुझ पर उनके साथ-साथ अन्य ग्रामीणों द्वारा भी चुप रहने का दबाव बनाया जा रहा है। मैंने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में शिक्षकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को कहा कि एनसीएससी के अध्यक्ष विजय सांपला द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के एक दिन बाद महिला कांस्टेबलों सहित एक टीम ने लड़कियों का बयान दर्ज किया।
वहीं एनजीओ शोषित क्रांति दल ने बाद में इस मुद्दे को उठाया और सोशल मीडिया पर इस मामले को उजागर किया। शोषित क्रांति दल के अध्यक्ष रविकांत ने अपने ट्विट में बताया है कि एक सप्ताह गुजरने के बाद भी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है। आरोपी शिक्षक लड़कियों के परिवारों पर दबाव बनाने के लिए पंचायतों का आयोजन कर रहे हैं। यह दलित अधीनता की पराकाष्ठा है। आप इसे और कैसे परिभाषित करेंगे?