उत्तरप्रदेश में उम्रदराज व बीमार कैदियों की रिहाई संबंधी PIL पर सरकार को हाईकोर्ट की नोटिस

याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के जेल प्रशासन विभाग और उत्तर प्रदेश उच्चाधिकार प्राप्त समिति को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे उन कैदियों की रिहाई पर विचार करें, जो 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या कई बीमारियों से ग्रसित हैं...

Update: 2020-09-26 09:11 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर

जनज्वारकोरोना वायरस के बढ़े मामलों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर लिखित जबाब देने को कहा है।

याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के जेल प्रशासन विभाग और उत्तर प्रदेश उच्चाधिकार प्राप्त समिति को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे उन कैदियों की रिहाई पर विचार करें, जो 65 वर्ष से अधिक उम्र के हैं या कई बीमारियों से ग्रसित हैं।

जनहित याचिक एडवोकेट मनमोहन मिश्रा द्वारा दायर की गई है, जो एडवोकेट दिलीप कुमार गुप्ता के चैंबर से हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील हैं। एडवोकेट दिलीप कुमार गुप्ता चर्चित डॉक्टर कफील खान केस में उनके एडवोकेट थे।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह राज्य भर की अदालतों के सामने लंबित अग्रिम जमानत अर्जियों, पैरोल अर्जियों आदि के फौरन निपटारे को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए ताकि जेल में कैदियों की भीड़ को कम किया जा सके।

याचिका पर संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और याचिका के जवाब में अपना लिखित जवाब देने को कहा है।

याचिका में कहा गया है कि उत्तरप्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। इसके लिए कुछ आंकड़ों का हवाला भी दिया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए जेलों में भीड़ को कम करना जरूरी है और वैसे कैदियों, जिनकी उम्र 65 वर्ष से ज्यादा है और कई तरह के अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके जमानत, पैरोल आदि के तुरंत निपटारे के लिए कार्रवाई करने का आदेश राज्य को दिया जाय।

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