Impact : जनज्वार में छपा कड़वा सच तो गंगा की जनता को राहत की उम्मीद, मेयर ने मंत्री से अंग्रेजी पुल खोलने की रखी मांग
कानपुर मेयर प्रमिला पाण्डेय ने शनिवार 29 मई को एक बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के सामने मांग रखी है, राहत की बात यह है कि सतीश महाना ने इसके लिए विचार करने व शासन को रिपोर्ट भेजने की अनुशंसा की है...
जनज्वार, कानपुर/शुक्लागंज/उन्नाव। कानपुर से शुक्लागंज होते हुए उन्नाव को जोड़ने वाला पुराना गंगा पुल बंद कर दिया गया है। प्रशासन की कमाई की भूख से जर्जर हालत में पहुँच चुका पुल अब इसके आसपास रहने वाले लाखों लोगों के लिए दर्द बन रहा है।
लगभग 150 साल पुराना यह पुल अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है। साथ ही मजबूती का अनूठा नमूना भी है। इस पुल की खासियत यह है कि इसके उपर से बड़े वाहन तो नीचे बने लोहेनुमा रास्ते से नौकरीपेशा करने वाले लोग आते-जाते थे। स्थानीय प्रशासन व सरकार की नाकामियों से पुल जर्जर हुआ तो ठीक करने की बजाए सरकारी आदेश से इसे दीवार बनाकर ढंक दिया गया।
जनज्वार ने पिछले दिन इस पुल की समस्या को अपनी एक रिपोर्ट में उठाया था। कि किस तरह यह पुल सिस्टम की नाकामी की भेंट चढ़ा, बल्कि यह भी बताया था कि इस पुल पर दीवार बना देने से भारी वाहन तो बंद हुए साथ ही वह भी तमाम दिक्कतों का सामना कर रहे जो पैदल या फिर साईकिल इत्यादि से नीचे के जाल से गुजरते हैं।
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इस पुल से रोजाना दूधिए, नौकरीपेशा से लेकर फुटपाथ पर रेहणी लगाकर परिवार पालने वाले भी आते जाते हैं। पुल के दोनों तरफ पुलिस का पहरा रहता है। इस पुल को शुरू करवाकर पुलिस की निगरानी बढ़ाई जा सकती है जिससे भारी वाहन ना निकल सकें लेकिन रोजाना पेट पालने वालों को भी तकलीफ न हो।
इस पुल के पैदल निकास को शुरू करने के लिए कानपुर मेयर प्रमिला पाण्डेय ने शनिवार 29 मई को एक बैठक के दौरान कैबिनेट मंत्री सतीश महाना के सामने मांग रखी है। राहत की बात यह है कि शतीस महाना ने इसके लिए विचार करने व शासन को रिपोर्ट भेजने की अनुशंसा की है।
कानपुर मेयर प्रमिला पाण्डेय जनज्वार से बात करते हुए कहती हैं, 'उनसे जनता को जितनी राहत मिल सके कम है। लोगों का भला ना हो तो मेरा मेयर होना किस दिन काम आएगा। इसके लिए आप लोग भी बधाई के पात्र हैं जो इस तरह के मुद्दे हम लोगों के सामने लाते हैं, जिससे हम जनसेवक आवाज उठा पाते हैं।'
गौरतलब है कि कानपुर और शुक्लागंज को जोड़ने वाले मार्ग पर बना गंगा ब्रिज अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ है। यही वजह है कि जर्जर हो चुके इस ब्रिज पर ट्रक, बस आदि हैवी वेहिकल्स के आवागमन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। इसके बाद भी हल्के वाहनों से इस पुल से करीब एक लाख लोग रोजाना गुजरते हैं। पुल बदहाल स्थिति में होने के कारण पुल के नीचे वाले हिस्से से बाइक, स्कूटर गुजरने से रोकने के लिए गार्डर लगा दिए हैं।