Begin typing your search above and press return to search.
ग्राउंड रिपोर्ट

Ground Report : योगी के रामराज्य में श्रीराम को पार लगाने वाले मल्लाहों के 5 हजार परिवारों पर मंडराया रोटी का संकट

Janjwar Desk
24 May 2021 11:42 AM GMT
Ground Report : योगी के रामराज्य में श्रीराम को पार लगाने वाले मल्लाहों के 5 हजार परिवारों पर मंडराया रोटी का संकट
x

(गंगा के किनारे रहने वाले मल्लाहों पर कोरोना की मार और लॉकडाउन के बाद 5 हजार से जादा परिवारों को खाने तक के लाले पड़ रहे हैं। Photo - Janjwar)

उन्नाव की तरफ वाले शुक्लागंज में मल्लाहों के लगभग 5 हजार परिवार रहते हैं। जिनकी आबादी 20 हजार के आस-पास बताई जाती है....

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर/शुक्लागंज/उन्नाव। रामायण तो अधिकतर लोगों ने पढ़ी होगी। जिसने पढ़ी ना हो तो टीवी पर यह धारावाहिक जरूर ही देखा होगा। देखा है तो, आपने वह प्रसंग भी देखा होगा जिसमें वनवास जाते समय प्रभु राम को मल्लाह केवट ने पत्नी सहित सरयू नदी पार कराई थी। भगवान ने नदी पार होने के बाद मल्लाह को अपना दोस्त बताया था जिससे मल्लाह धन्य हो गया था। लेकिन उन्ही राम के उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में हजारों-हजार मल्लाह दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं।

कानपुर के पुराने पुल से शुक्लागंज जाते समय थोड़ी कठिनाई हुई। कठिनाई यह की पुल बंद कर दिया गया है, मुख्यद्वार पर प्रशासन ने बड़ी सी दीवार बनवा दी है। पहले तो यहां की 'गंगाघाट पुलिस' वाहनो से वसूली कर उन्हें जर्जर पुल से निकलने देती रही और जब बड़े वाहनो से पुल की हालत खराब हुई तो सुध ली। सुध ली तो इसे बंद कर दिया गया। अब आलम यह है कि शुक्लागंज से कानपुर आने वाले कामगार प्रशासन को कोस रहे हैं।

पुल बंद होने से हमें एक किलोमीटर का पुल पैदल ही पार करना पड़ा जिससे आगे का सफर थका देने वाला रहा। उन्नाव की तरफ वाले शुक्लागंज में मल्लाहों के लगभग 5 हजार परिवार रहते हैं। जिनकी आबादी 20 हजार के आस-पास बताई जाती है। इनका मुख्य काम नाव चलाना, गोताखोरी करना, मछली पकड़कर बेंचना और गंगा की रेती में सब्जी इत्यादी उगाकर कस्टमर खोजने का होता है। गंगा के किनारे हमें सबसे पहले मल्लाह बउवा मिला।

ठेठ गंवई बैठकी में बैठा बउवा कहता है 'भईया जब से ये कोरोना लगा है, और सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया है तब से बहुत हालत खराब हो चुकी है।' जीने मरने जैसे हालात हो रहे हैं। एक तो जोखिम भरा काम ऊपर से परेशानियां हजार, बसर मुश्किल हो रही। बस ये समझ लो बताने-कहने में भी कष्ट होता है।

बगल में ही बैठा सईद बताता है कि 'सब कमाई-धमाई लॉकडाउन के बाद गंगा जी में ही डूब गई। बाल-बच्चे परिवार हम लोग कइसे पाल रहे सब हमीं लोग जानते हैं। मछली वगैरा बेंचने की बाबत पूछने पर सईद कहता है कि वह मछली का शिकार नहीं करता। सिर्फ नाव चलाकर गुजारा करता है। कभी मिला कभी नहीं मिला। बस ऐसे ही परिवार चल जा रहा है। हाल बड़े खराब हैं।

इस गंगाघाट से लगभग 2 किलोमीटर उन्नाव की तरफ चलने पर मल्लाहों का मुहल्ला पड़ता है। मुहल्ला यहां लगे पीपल वाले पेड़ को लेकर जादा चर्चित है। यहां मिले तशरीफ बताते हैं कि हम लोग गंगा में मछली मारकर और खेती वगैरा से भी गुजारा कर लेते थे। कभी काम ना हुआ तो पानी मे पैसा ढूंढ लेते थे। अब गंगाजी का पानी भी कम है। खेती और मछली पर रोक लगा दी गई है। लाते भी हैं तो प्रशासन के लोग हमें पीटकर छीन लेते हैं। लॉकडाउन में हमें खाने तक के लाले पड़े हुए हैं।

आगे मिली शायरा बानो कहती हैं, 'क्या करें जैसे मोदी करा रहा है, वैसे सब चल रहा है। सुबह होती है, सुबह से फिर शाम होती है और शाम से फिर सुबह। हम लोग गंगाजी के सहारे हैं। अब गंगाजी का भी सहारा नहीं है तो मेहनत- मजदूरी, ईंट-गारा करते हैं वो भी काम अब नहीं मिल रहा है, लॉकडाउन में। ना कोटे से राशन मिले, देता भी है तो घटतौली कर लेता है। हमने पूछा की योगी जी कहते हैं कि बहुत कुछ दे दिया सभी को, जिसपर शायरा बानो ने जवाब दिया कि 'योगी झूठ बोलता है।'

थोड़ी दूर बुजुर्ग मुन्ना उबली आलू तखत पर रखकर बेंच रहे थे। उनसे पूछा कि कितने रूपये का पत्ता है, जवाब मिला 3 रूपये 5 रूपये। कितना कमाई हो जाती है? जिसपर मुन्ना ने जवाब दिया कभी 30 रूपये तो कभी 50 रूपये भी मिल जाते हैं। पूरी पककर सफेद हो चुकी दाढ़ी खुजाते हुए मुन्ना कहते हैं 'सब काम चौपट हो गया है, बताओ का करें अब? राशन भी बंटता है लेकिन मिलता उसे है जिसके पास आधार कार्ड है, उन्हें वो भी नहीं मिलता। कल हमें सिर्फ चावल मिला है 3 किलो, एक महीने का राशन। समझ मे नहीं आ रहे इसे खाएं, की देखते रहें।'

इस मुहल्ले की नीलो बहुत गुस्से में थी। वह कोरोना का नाम सुनते ही भड़क जाती है। नीलो कहती है कि 'कहीं कुछ नहीं है कोरोना-वोरोना। हमने कहा इतने लोग मर रहे हैं तो सरकार क्या झूठ बोल रही है? नीलो हवा में गाली देते हुए बोली की ये सब झूठ बोल रहे हैं। कोरोना, कोरोना अरे मार डालो ऐसे ही आकर हमें। पानी की टंकी में जहर मिला दो आकर सब मर जाएंगे। कुछ नहीं मागेंगे सरकार से। क्या दिया है योगी ने 'बाबाजी का ठुल्लू। निलो कहती हैं, हम लोग तो खाली घण्टा हिलाने के लिए हैं।'

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार वाला तथाकथित रामराज्य अब आम आदमी को रास आना बंद हो चुका है। लगता तो नहीं लेकिन अगर योगी गरीबों के लिए कोई योजना भी चला रहे हों तो उनके बड़े पेट वाले प्रशासन के आगे इन तक पूरी योजना का लाभ पहुँच ही नहीं पाता। ऐसे में सभी गरीब इसे अपनी नियती मानकर कब तक सरकार पर भरोसा कायम रख पाएगा, कुल मिलाकर यह मुश्किल जान पड़ता है।

Next Story

विविध