Mandir Masjid Vivad : अयोध्या और काशी के बाद मथुरा में तनाव, फिर से चर्चा में कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह मस्जिद विवाद
Mandir Masjid Vivad : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मनीष यादव की याचिका पर मथुरा स्थित भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि का सर्वे ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर कराने का आदेश दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब मथुरा की जिला अदालत को तय करना है कि कि वह मनीष यादव की अर्जी पर क्या फैसला लेती है।
Mandir Masjid Vivad : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के मथुरा ( Mathura ) में स्थित भगवान श्रीकृष्ण मंदिर ( Shri krishna Janambhoomi Mandir ) और ईदगाह मस्जिद ( Idgah masjid ) विवाद ने और तूल पकड़ लिया है। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद ( Gyanvapi Masjid ) की तरह इसकी भी वीडियोग्राफी कराकर 4 महीने में सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच ने आदेश दिया है। उसके बाद से यह मामला फिर से गरमा गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक वरिष्ठ अधिवक्ता को कमिश्नर और दो अधिवक्ता को सहायक कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया है। इस सर्वे कमीशन में वादी और प्रतिवादी के साथ सक्षम अधिकारी के शमिल होने का आदेश बेंच ने दिया है।सर्वे की ज्ञानवापी की तरह ही बाकायदा वीडियोग्राफी भी होगी।
क्या है मथुरा का मंदिर-मस्जिद विवाद
दरअसल, महाक्षत्रप सौदास के समय के एक शिलालेख से पता चलता है कि वसु नाम के व्यक्ति ने यहां कृष्ण जन्म स्थान पर पहला मंदिर बनाया था। इसके बहुत समय बाद विक्रमादित्य के काल में यहां दूसरा मंदिर बनवाया गया। इस मंदिर को 1017-18 में महमूद गजनी ने तोड़ दिया। 1150 में महाराजा विजय पाल देव के शासन में जज्ज नामक व्यक्ति ने यहां फिर एक विशाल मंदिर बनवाया। इसे 16वीं सदी की शुरुआत में सिकंदर लोदी ने नष्ट करवा दिया। ओरछा के राजा वीरसिंह जूदेव बुंदेला ने फिर से इस खंडहर पड़े स्थान पर भव्य मंदिर बनवाया। कहते हैं यह इतना ऊंचा था कि आगरा से दिखाई देता था लेकिन 1669 में इसे भी मुस्लिम शासकों ने तोड़कर जन्म भूमि की लगभग आधी जगह पर एक भव्य ईदगाह बनवा दी। ईदगाह के पीछे ही महामना मनमोहन मालवीय की प्रेरणा से पुनः एक मंदिर बनवाया गया लेकिन अब यह एक विवादित क्षेत्र बन चुका है क्योंकि जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह है और आधे पर मंदिर।
एक साल पहले मनीष यादव नामक इस विवाद को लेकर याचिका दायर की थी। अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को सर्वे का आदेश दिया है। यह मामला मथुरा जिला कोर्ट में करीब एक साल से लंबित थी। जब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तब यह आदेश हुआ। सर्वे के लिए यहां भी ज्ञानवापी की ही तरह एक कमिश्नर, दो सहायक कमिश्नर नियुक्त किए जाएंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक सर्वे के दौरान वादी तथा प्रतिवादी भी मौजूद होंगे। जिस तरह ज्ञानवापी में कई अनदेखे, अनसुने तथ्य सामने आए थे, उसी तरह यहां भी कई पहेलियां सुलझने की उम्मीद जताई जा रही है।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और अन्य हिंदू संगठनों ने अयोध्या आंदोलन के वक्त ही नारा दिया था। अभी तो यह झांकी है मथुरा-काशी बाकी है। अयोध्या का मामला सुलझ चुका है। काशी में विश्वनाथ मंदिर के भीतर स्थित ज्ञानवापी के भी कई तथ्य सामने आ चुके हैं। अब बारी मथुरा या कृष्ण जन्मभूमि की है।