Pilibhit News: चोर-उचक्के फर्जी लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन मिलने पर हाईकोर्ट सख्त, प्रमुख सचिव से मांगा हलफनामा

Pilibhit News - उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में तमाम चोर-उचक्कों को लोकतंत्र रक्षक सम्मान राशि (पेंशन) दिए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सख्त रुख अपनाया है।

Update: 2021-12-25 18:54 GMT

Pilibhit News: चोर-उचक्के फर्जी लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन मिलने पर हाईकोर्ट सख्त, प्रमुख सचिव से मांगा हलफनामा

पीलीभीत से निर्मल कांत शुक्ल की रिपोर्ट

Pilibhit News - उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में तमाम चोर-उचक्कों को लोकतंत्र रक्षक सम्मान राशि (पेंशन) दिए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार (State Government) के प्रमुख सचिव (राजनीतिक पेंशन) से यह हलफनामा पेश करने को कहा है कि यूपी में कितने लोगों को लोकतंत्र रक्षक सेनानी मासिक पेंशन दी जा रही है ? क्या वह राजनैतिक कैदी थे ? या अन्य आपराधिक मामलों में आपातकाल की अवधि में जेल में थे ?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने पीलीभीत के लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन के अध्यक्ष अशोक कुमार शम्सा आदि बनाम राज्य सरकार आदि जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका में यह मुद्दा उठाया गया है कि कुछ व्यक्तियों को फर्जी तरीके से लोकतंत्र रक्षक सेनानी की पेंशन मिल रही है। जबकि ये आपातकाल लागू होने की अवधि के दौरान, यानि 25 जून 1975 से 21मार्च 1977 को राजनीतिक कैदियों के रूप में हिरासत में लिये गए लोगों को देनी थी।

अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से कहा कि प्रतिवादी संख्या- एक प्रमुख सचिव (राजनीतिक पेंशन) हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में कितने व्यक्तियों को मासिक पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। हलफनामे में यह भी बताया जाएगा कि क्या वे राजनीतिक कैदी थे और इसलिए, पेंशन पाने के हकदार थे या उनके द्वारा किए गए कुछ अन्य अपराधों के कारण वह जेल में थे। जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 18 अप्रैल, 2022 को होगी।

याची के अधिवक्ता का तर्क

याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनमोहन सिंह ने कहा कि हमने अपनी याचिका में 23 लोगों के नाम दिए थे, जिनको गलत तरीके से लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि (पेंशन) दी जा रही है। हालांकि हम प्रशासन की जांच से संतुष्ट नहीं हैं। फिर भी प्रशासन की जांच में इनके हिसाब से ही 1/3 पेंशनर गलत पाए गए। यानि हमारी सूची के 23 में 6 लोग उच्च न्यायालय के आदेश पर जांच में गलत पेंशनर निकले। अगर इसी अनुपात को मान लिया जाए तो पूरे उत्तर प्रदेश में 6000 लोग सम्मान राशि पा रहे हैं, तो इनमें 1500 पेंशनर तो फर्जी निकलेंगे।

यह है लोकतंत्र रक्षक सेनानी संगठन की याचिका

पीलीभीत जिले में कई ऐसे लोक लोकतंत्र सेनानी बना दिए गए, जो चेन स्नैचिंग और हत्या के प्रयास जैसे मामले में जेल गए थे। याचिका में कहा गया कि बीते तीन साल में शासन-प्रशासन से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गई लेकिन कार्रवाई के बजाए जिला प्रशासन ने मीसा व डीआईआर में बंद रहे अपराधियों की सम्मान राशि स्वीकृत कर उनकी संख्या दोगुनी कर दी। 3 जून 2015 को डीएम से शिकायत की गई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अगस्त 2016 में अरविंद सिंह और सर्वजीत सिंह ने शिकायत की। अप्रैल 2017 में 18 फर्जी लोकतंत्र सेनानियों का नाम-पता बताकर कार्रवाई की बात कही। आपातकाल में पीलीभीत जेल में बंद रहे मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने 30 जून 2017 को मुख्यमंत्री को पत्र देकर फर्जी लोकतंत्र सेनानियों द्वारा राजकोष को हानि पहुंचाने की शिकायत की। मगर कहीं कोई कार्रवाई नहीं की गई, तब उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की।

पीलीभीत के कई प्रमुख लोग हैं याचिकाकर्ता

फर्जी लोकतंत्र सेनानियों का मामला उठाने वाले और हाईकोर्ट में याचिका करने वालों में लोकतंत्र रक्षक सेनानी के अध्यक्ष अशोक कुमार शम्सा, महामंत्री तौसीफ अहमद, वरिष्ठ पत्रकार विश्वमित्र टंडन, आयुर्वेदिक कॉलेज बरेली के पूर्व प्राचार्य डॉ. योगेश चंद्र मिश्रा, रिटायर्ड क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. वीरेंद्र कुमार उर्फ वीर भाई, सेवानिवृत राजकीय चिकित्सक डॉ. धीरेंद्र सिंह चौहान, राम इंटर कॉलेज के पूर्व प्रबंधक अश्वनी गंगवार, पूर्व प्रधानाचार्य करुणाशंकर शुक्ला, पूर्व प्रवक्ता दामोदार दास गुप्ता, जमायते इस्लाम के मोहम्मद रजा खां, अजय शम्सा एडवोकेट, वरिष्ठ भाजपा नेता सरदार सर्वजीत सिंह, बीसलपुर के बुजुर्ग नेता राजीव अग्रवाल, विद्यार्थी परिषद के पूर्व संगठन मंत्री अरविंद सिंह आदि हैं।

प्रारंभिक जांच में एडीएम ने पकड़े थे फर्जी पेंशनर

वर्ष 2018 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पहली बार सुनवाई करते हुए जब जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की तो एडीएम (न्यायिक) देवेंद्र प्रताप मिश्र की जांच रिपोर्ट में पांच ऐसे लोग पाए गए हैं, जो फर्जी तरीके से लोकतंत्र सेनानी पेंशन ले रहे थे, इनमें बीसलपुर के रामपाल एवं घासी, शहर के अखिलेश, अब्दुल वली खां एवं हारून खां के नाम का उल्लेख किया गया। जांच के दौरान पांचों लोगों के पास लोकतंत्र सेनानी होने का कोई प्रमाण नहीं मिला था।

यूपी में पेंशन पर खर्च हो रहे 35.35 करोड़

उत्तर प्रदेश में करीब छह हजार लोकतंत्र सेनानी हैं। इनको दी जाने वाली पेंशन पर सरकार का 35.35 करोड़ से अधिक हर महीने खर्च हो रहा है। साथ ही लोकतंत्र सेनानियों को रोडवेज में नि:शुल्क यात्रा और जिला अस्पतालों में नि:शुल्क चिकित्सा की भी सुविधा दी गई है। लोकतंत्र स्वतंत्रता सेनानी अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दी जाने वाली अन्य सुविधाओं की भी मांग कर रहे हैं।

लखनऊ में पकड़ा जा चुका है हिस्ट्रीशीटर पेंशनर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 124 लोग लोकतंत्र सेनानी के नाम पर पेंशन ले रहे हैं। दो साल पहले शासन के निर्देश पर डीएम ने जांच करवाई तो चौंकाने वाला सच सामने आया कि लखनऊ के मड़ियांव के घैला गांव निवासी जाकिर अली (71) मड़ियांव थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसकी हिस्ट्रीशीट संख्या 197-ए है। जाकिर पर 12 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसके बावजूद उसको लोकतंत्र सेनानी की पेंशन मिल रही थी।

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