UP Election 2022: गरीब व मध्यम वर्ग को साधने की कोशिश में कांग्रेस, पैरा-बैंकिंग संस्थानों में फंसी जनता की कमाई के लिए सरकार को घेरने की तैयारी

UP Election 2022: यूपी विधान सभा चुनाव को लेकर कांग्रेस राजनीतिक दौड़ में सबसे आगे साबित करने के लिए हर प्रयास में लगी है। इस बीच पैरा बैंकिंग संस्थानों द्वारा कम समय में भारी मुनाफा का लालच देकर गरीब व मध्यम वर्ग की गाढ़ी कमाई को लूट लेने के लिए कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे घेरने की रणनीति बनाई है।

Update: 2022-01-02 14:01 GMT

UP Election 2022: यूपी विधान सभा चुनाव को लेकर कांग्रेस राजनीतिक दौड़ में सबसे आगे साबित करने के लिए हर प्रयास में लगी है। इस बीच पैरा बैंकिंग संस्थानों द्वारा कम समय में भारी मुनाफा का लालच देकर गरीब व मध्यम वर्ग की गाढ़ी कमाई को लूट लेने के लिए कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे घेरने की रणनीति बनाई है। करोड़ों की रकम डूबने से परेशान लाखों लोगों के दर्द को उभार कर उनसे नाता जोड़ने की कांग्रेस पार्टी की इस रणनीति को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

राज्यभर के जिला मुख्यालयों पर कांग्रेस पार्टी ने 4 जनवरी को प्रदर्शन करने का एलान किया है। उधर चुनाव आयोग द्वारा 5 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची जारी करने का एलान करने के बाद यह माना जा रहा है कि इसके बाद कभी भी चुनावी अधिसूचना जारी हो जाएगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि चुनाव पूर्व कांग्रेस पार्टी के होनेवाले किसी भी आंदोलनों में यह 4 जनवरी का प्रदर्शन अंतिम कार्यक्रम होगा। इसकी तैयारियों व मुददों की बात करें तो इस आंदोलन के बड़े राजनीतिक मायने हैं। ऐसे वक्त में जब प्रमुख विपक्षी दल सपा सरकार को घेरने के लिए अपने पूर्व के कार्यों को गिनाने व भाजपा के विकास के दावे को झुठलाने में लगी है। इसके बीच कांग्रेस पार्टी आम आदमी से अपना नाता जोड़ने की कोशिश में है। इस क्रम मेें पर्ल व सहारा समेत अन्य कंपनियों द्वारा लंबे समय से जनता को कम समय मंे अधिक मुनाफा देने का लालच देकर करोड़ों की रकम डकार लेने के सवाल को कांग्रेस पार्टी अपने प्रदर्शनों के माध्यम से उठाने का फैसला की है।

कांग्रेस पार्टी का मानना है कि प्रदेश में इस फर्जीवाड़े का शिकार हुए लोगों की सूची तक सरकार के पास नहीं है।ऐसे में इनसे इंसाफ मिलने की उम्मीद कैसे की जाए। पर्ल कंपनी ने लोगों से गलत तरके से 18 सालों में अपने चलाये गये गोरखधंधे से यहां के लोगों से 60 हजार करोड की राशि सामूहिक निवेश योजना के जरियें जुटायी। बाजार नियामक संस्था सेबी के अनुसार 31 मार्च 2021 तक पर्ल कंपनी ने पीएसीएल के 127 लाख से अधिक निवेशकों के लूटे गये लगभग 10 हजार करोड़ में से अब तक केवल 438 करोड़ ही वापस मिल पाये हैं। इन आवेदकों के दावे ज्यादातर 10 हजार रूपये तक के ही है। अभी भी इस कंपनी में लोगों का लगभग 9500 करोड़ रूपया फंसा पड़ा है। सेबी ने निवेशकों का पैसा लौटाने में असमर्थ रहने पर दिसंबर 2015 में पीएसीएल और उसके नौ प्रवर्तेकांे तथा निदेशकांे की सभी संपति कुर्क करने के आदेश दिये थे। इससे पहले नियामक ने 22 अगस्त 2014 को पीएसीएल उसके प्रवर्तकों तथा निदेशकांे को योजनाएं बंद करने और निवेशकों का पैसा तीन महीने के भीतर लौटाने का निर्देश दिया था,जिसका अनुपालन अभी तक नहीं हुआ है।

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सहारा ग्रुप ने अपनी दो कंपनियों के जरिये एसआर्रआरइसीएल और एसएचआईसीएल ने लगभग 225 करोड़ लोगों से 24 हजार करोड़ रूपये जुटाये। इसके बाद इन पैसों का कैसे और कहां इस्तेमाल किया गया,इसका कोई रिकार्ड नहीं है।सेबी ने जांच शुरू की तो सामने आया कि दोनों कंपनियांे ने लगभग 25 करोड़ लोगांे से 24 हजार करोड़ करोड़ रूपये इकठठे किये। दो साल तक यह सिलसिला चलता रहा। सहारा ने इसके लिए सेबी की अनुमति तक नहीं ली।सेबी की जांच मे पता चला कि सहारा के कई निवेशक फर्जी थे और इनका बाकियों का कंपनी से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था। 2009 में सहारा ग्रुप की एक कंपनी के शेयर मार्केट में जाने की इच्छा से मामला शुरू होता है।शेयर मार्केट में जाने से पहले सेबी से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में सहारा प्राइम सिटी नाम की कंपनी नं सेबी को आईपीओ लाने के लिए डीआरएचपी भेजा। यानि मार्केट से पैसा उगाहने के लिए अपना बायोडाटा भेजा। सेबी कंपनी का बायोडाटा जांच रही थी। इसी दौरान सहारा की दो कंपनिया सहारा इंडिया रियल इस्टेट काॅरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट काॅरपोरेशन लिमिटेड कटघरे में आ गई। सेबी को लगा कि इन्होंने गलत तरीके से जनता से पैसे उगाहे हैंै। इन निवेशकांे में से ज्यादातर निवेशक उत्तर प्रदेश के हैं,जिन्होंने बेहतर रिर्टन के लिए पर्ल और सहारा में इंवेस्ट किया। हाईकोर्ट,सुप्रीम कोर्ट और सेबी के दखल के बाद भी अभी तक लोगों के हाथ खाली है।

इन सवालों को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत 4 जनवरी को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन की रणनीति बनाई है।जिसमें अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश है। पार्टी का मानना है कि प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने के लिए निर्णायक संघर्ष की जरूरत है। पार्टी के प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय व देवरिया के जिलाध्यक्ष रामजी गिरी ने कहा कि प्रदेश की गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों को न्याय दिलाने व सरकार द्वारा कंपनियों मेे जिन निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है। उन्हें सूचीबद्ध कर उनकी गाढ़ी कमाई को वापस दिलाने जाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन का निर्णय लिया गया है।जिसमें पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ ही प्रभावित लोगों को भी शामिल कराने का प्रयास किया जायेगा। जिससे की जरूरत मंदो को न्याय दिलाया जा सके।

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