उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में कैसी हो सकती है गठबंधनों की तस्वीर

प्री-पोल गठबंधन को लेकर राजनीतिक दल अपनी तरफ से बयान दे रहे हैं और उस बयान को लेकर दूसरे दल की प्रतिक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं..

Update: 2021-07-20 04:00 GMT

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बढ़ चुकी है सियासी हलचल

जनज्वार। उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल बढ़ी हुई है। सत्ताधारी दल बीजेपी सहित प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सभी के द्वारा चुनावी तैयारी शुरू की जा चुकी है।

राजनीतिक दलों द्वारा जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश हो रही है तो एक-दूसरे के साथ गठबंधन को लेकर भी संभावनाएं टटोली जा रही हैं। प्री-पोल गठबंधन को लेकर राजनीतिक दल अपनी तरफ से बयान दे रहे हैं और उस बयान को लेकर दूसरे दल की हो रही प्रतिक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं।

गठबंधन को लेकर कांग्रेस का क्या है स्टैंड ?

इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने तीन दिवसीय दौरे पर यूपी पहुंची, जहां उन्होंने रविवार 18 जुलाई को को गठबंधन के सवालों को लेकर कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अन्य राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करने के बारे में 'खुले विचारों वाली' है। प्रियंका ने आगे कहा कि चुनाव के लिए अन्य दलों के साथ गठबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस महासचिव ने हालांकि यह भी कहा है कि अभी वह यह नहीं कह सकतीं कि कांग्रेस यूपी की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडे़गी या फिर गठबंधन करेगी। वैसे उन्होंने यह जरूर कहा कि कोई भी गठबंधन पार्टी के हितों की कीमत पर नहीं होगा। प्रियंका ने कहा है कि वो उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पर्यटक नहीं है और वह पिछले डेढ़ साल से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के लगातार संपर्क में हैं। अब वो यूपी को ज्यादा वक्त देंगी।

सपा प्रमुख पहले ही कह चुके हैं-होगा गठबंधन

समाजवादी पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ ही शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ तालमेल करने के लिए तैयार है। सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक मीडिया संस्थान के साथ बातचीत में यह संकेत दिया है।

इस दौरान अखिलेश यादव का दावा है कि असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने की योजना से उनके अल्पसंख्यक वोटों पर फ़र्क नहीं पड़ेगा।

मौजूदा भाजपा सरकार को नाकाम बताते हुए उन्होंने ये भी कहा कि आज उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास अपना कोई ऐसा वोट नहीं है जिसके सहारे वो यहां एक मज़बूत ताक़त के रूप में उभर सके।

बसपा की क्या है सोच

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती हालांकि ऐलान कर चुकी हैं कि बसपा 2022 में यूपी चुनाव अपने बूते लड़ेगी लेकिन राजनीति में कोई भी स्टैंड स्थायी नहीं माना जाता। वैसे पहले मीडिया में इन खबरों ने सुर्खियां पाई हैं जिनमें कहा गया था कि बीएसपी का असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ गठबंधन हो सकता है।

चूंकि गत वर्ष संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में दोनों दल चुनाव पूर्व गठबंधन के साथ मैदान में उतरे थे। हालांकि इस गठबंधन का फायदा सिर्फ ओवैसी की पार्टी को मिला था और उसे 5 सीटें मिल गयीं थीं। वैसे पंजाब चुनावों के लिए मायावती अकाली दल के साथ गठबंधन की बात कह चुकी हैं इसलिए उत्तरप्रदेश चुनावों का समय और नजदीक आते-आते बसपा भी गठबंधन की संभावनाएं तलाश सकती है।

गठबंधन को लेकर बीजेपी की क्या हो सकती रणनीति

भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में विभिन्न जाति आधारित छोटे दलों के साथ गठबंधन कर बड़ी कामयाबी हासिल की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुसार पार्टी उसी तरीके को अपना कर फिर से वही सफलता दोहराना चाहती है।

चर्चाओं के अनुसार भारतीय समाज पार्टी, फूलन सेना, जयहिंद समाज पार्टी जैसे छोटे दल बीजेपी के साथ आ सकते हैं। फूलन सेना निषादों की पार्टी है, जबकि जयहिंद समाज पार्टी बिंदों की है। इन तीनों जातियों का यूपी में अच्छा खासा जनाधार है। इसके अलावा बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी जनअधिकार मंच भी बीजेपी गठबंधन का हिस्सा बन सकती है। हालांकि बाबू को लेकर बीजेपी का रुख अभी साफ नहीं है।

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